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Monday, 18 November, 2024
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टिकरी ‘गैंगरेप’: कार्यकर्त्ता ने लगाए आरोप, लेकिन कोई पोस्ट मॉर्टम नहीं, मरते समय का बयान एक चुनौती

महिला के पिता ने उसके कोविड से मरने के 9 दिन बाद एफआईआर दर्ज कराई, जब इस घटना को कई हफ्ते बीत चुके थे, जिसमें किसान सोशल आर्मी सदस्य और उसके साथियों ने, उसे परेशान किया, उसपर हमला किया, उसका रेप किया, और उसे अग़वा करने की भी कोशिश की.

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नई दिल्ली: हरियाणा पुलिस के सामने एक ज़बर्दस्त चुनौती है. वो बंगाल से आई एक 26 वर्षीय महिला के दिल्ली से सटे टिकरी बॉर्डर पर कथित गैंगरेप की जांच कर रही है, जिसकी इस बीच 30 अप्रैल को कोविड से मौत हो गई थी. पुलिस के पास न तो मेडिकल रिपोर्ट है, न उसका पोस्टमॉर्टम हुआ, और न ही मरने से पहले का उसका कोई बयान है.

इन सब के न होने से, पुलिस को अब उन लोगों के बयानात का सहा  रा लेना पड़ रहा है, जिन्हें महिला ने गुप्त बातें बताईं थीं, जिनमें उसके पिता भी शामिल थे और 16 अप्रैल को रिकॉर्ड किया गया एक वीडियो है, जिसमें वो बात कर रही है, कि किसान सोशल आर्मी नामक इकाई के सदस्य अमिल मलिक ने किस तरह, उसे ‘ज़बर्दस्ती नीचे दबाकर किस किया, और फिर ब्लैकमेल किया’. पुलिस के पास कुछ ‘तकनीकी सबूत’ भी हैं, जिनमें मलिक और महिला के बीच, लिखित संदेश और फोन कॉल्स शामिल हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास तकनीकी सबूत हैं, बयानात हैं, और एक वीडियो है, लेकिन चूंकि पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया था, और कोई मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट, या मरने से पहले का बयान भी नहीं था, इसलिए केस और ज़्यादा चुनौतीपूर्ण बन जाता है’.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘फिलहाल ये स्पष्ट नहीं है, कि हमला किस तारीख़ को हुआ और रेप कैसे हुआ, लेकिन हम घटनाक्रम को स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं. महिला 25 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुई, और 30 अप्रैल उसकी मौत हो गई, और 9 मई को हमें एक शिकायत प्राप्त हुई. अगर 30 अप्रैल से पहले, हमें उसके बलात्कार की ख़बर मिल जाती, तो हमने उसका मेडिकल करा लिया होता, जिससे केस में फायदा होता’.

मलिक और उसका साथी अनूप सिंह चनौट फरार हैं, और फोन की पहुंच से बाहर हैं. लेकिन मीडिया वेबसाइट्स द्वारा जारी फेसबुक लाइव वीडियो में, चनौट ने आरोपों का खंडन किया है, हालांकि उसने ये ज़रूर कहा कि वो इस बात से वाक़िफ था, कि दिल्ली आते समय महिला के साथ, ट्रेन के अंदर छेड़छाड़ हुई थी. उसने ये भी सवाल किया है, कि शिकायत इतने दिन बाद क्यों दर्ज की गई, लेकिन साथ ही ये भी कहा, कि वो जांच का सामना करने को तैयार है.

FIR में देरी

पुलिस की जानकारी के अनुसार, अप्रैल के शुरू में किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए, पश्चिम बंगाल से दिल्ली आई महिला के साथ, पहले अनिल मलिक ने ट्रेन में कथित रूप से छेछख़ानी की, और फिर उसने टिकरी बॉर्डर पर एक टेंट के अंदर, उसका कथित बलात्कार किया. मलिक ने अपने एक साथी के साथ मिलकर, कथित रूप से उसे अग़वा करने की भी कोशिश की. उसके बाद 21 अप्रैल को महिला कोविड लक्षणों के साथ बीमार पड़ गई. 25 अप्रैल को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, और 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई.


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उसकी मौत के नौ दिन बाद, 9 मई को महिला के पिता ने, हरियाणा पुलिस में एक अधिकारिक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि किसान सोशल आर्मी के, अनिल मलिक और अनूप सिंग चनौट ने, उनकी बेटी का बलात्कार किया, और उसे परेशान किया.

पुलिस ने उसी दिन एक प्राथमिकी दर्ज कर ली, जिसमें महिला के कुछ पुरुष व महिला मित्रों समेत छह लोगों के खिलाफ, आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुक़दमा क़ायम किया गया, जिनमें 376डी (गैंगरेप) भी शामिल है. पुलिस को दिए एक ताज़ा पत्र में, महिला के पिता ने अब अनुरोध किया है, कि अंकुर सांगवान, कोविता आर्य, जगदीश ब्रार, और योगिता सुहाग के नाम एफआईआर से हटा दिए जाएं, क्योंकि उन्होंने ‘दरअस्ल उसकी सहायता की थी’.

पुलिस ने छह लोगों तथा स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष, योगेंद्र यादव को नोटिस जारी करके, जांच में शामिल होने के लिए कहा है. पुलिस द्वारा बुधवार को यादव से पूछताछ की गई.

यादव, जिन्होंने सोमवार को इस केस के सिलसिले में एक प्रेस वार्त्ता को संबोधित किया था, कहा कि उन्होंने अप्रैल में अलग अलग समय पर, महिला व उसके पिता से बात की थी, और उन्हें मलिक तथा चनौट द्वारा किए गए, कथित अपहरण के बारे में कुछ जानकारियां दीं थीं. लेकिन उन्होंने दिप्रिंट से कहा, कि पहले उन्हें रेप के आरोप का पता नहीं था, और महिला ने उनकी पत्नी से बात की थी, और उन्हें बताया था कि उसके साथ ‘बदसलूकी’ हुई थी. यादव ने कहा कि उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला, महिला के पिता पर छोड़ दिया था.

ट्रेन यात्रा से हुई शुरूआत

अप्रैल के शुरू में, एफआईआर में नामित छ सदस्यों का एक डेलिगेशन, ‘बीजेपी हराओ’ अभियान के तहत पश्चिम बंगाल गया, जिसे संयुक्त किसान मोर्चा की और से भेजा गया था. ये मोर्चा उन किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है, जो पिछले साल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित, तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में आंदोलन चला रहे हैं. वहां पर, उनकी महिला से पहली बार मुलाक़ात हुई, और उसने ग्रुप में शामिल होने की इच्छा जताई.

10 अप्रैल को, टिकरी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए, वो मलिक, चनौट, सांगवान, ब्रार, और आर्य के साथ, ट्रेन के ज़रिए पश्चिम बंगाल से दिल्ली के लिए निकल गई.

लेकिन ट्रेन का सफर उसके लिए बहुत तकलीफदेह साबित हुआ. दिप्रिंट के हाथ लगी एफआईआर के अनुसार, रात में जब सब सो रहे थे तो मलिक महिला की बर्थ के पास गया, और उसे जबरन किस कर लिया.

महिला ने इसका ख़ुलासा एक वीडियो में भी किया, जो 16 अप्रैल को शूट किया गया था, और कहा कि उसने मामले को इसलिए आगे नहीं बढ़ाया, चूंकि वो किसान आंदोलन को नुक़सान नहीं पहुंचाना चाहती थी.

वीडियो में उसने कहा, ‘रात के समय ट्रेन में, हर कोई अपनी सीटों (बर्थ) पर सोने चला गया, और मैं भी सो गई. आधी रात के समय मेरी आंख खुली, तो मैंने अनिल को अपनी सीट पर बैठे पाया. जैसे ही मैंने उससे पूछा कि वो यहां क्यों था, वो ज़बर्दस्ती मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरे हाथ सीट के साथ दबा दिए, और ज़बर्दस्ती मेरे होंठों को किस कर लिया’. उसने आगे कहा, ‘मैं इस बारे में किसी को नहीं बता सकी, क्योंकि मैं किसान आंदोलन को नुक़सान नहीं पहुंचाना चाहती थी. लेकिन अनिल मुझे ब्लैकमेल करता रहा’.

उसकी दोस्त योगिता सुहाग ने, जिसने वीडियो शूट किया, दिप्रिंट को बताया कि उसने कुछ किसान नेताओं को, हमले के बारे में सूचित किया, लेकिन हर किसी ने मामले को ‘दबाने’ की कोशिश की.

उसने कहा, ‘मुझे धमकियां मिलने लगीं, मैंने अपनी तरफ से ज़मीन पर मौजूद नेताओं को बताने की कोशिश की, लेकिन हर कोई बस इसे दबा देना चाहता है. अनिल ने भी मुझे मैसेज किया, कि अगर मैंने इस मामले को बढ़ाया, तो वो ख़ुदकुशी कर लेगा’.

तथाकथित हमला

महिला के पिता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया, कि 12 अप्रैल को जब ये ग्रुप टिकरी बॉर्डर के प्रदर्शन स्थल पर पहुंचा, तो महिला अनिल मलिक, अनूप सिंह चनौट, और अंकुर सांगवान के साथ, एक टेंट में रुक गई, लेकिन वहां पर वो सहज नहीं थी.

महिला ने फोन पर भी अपने पिता को बताया, कि ट्रेन में उसके साथ क्या हुआ था, और ये भी कहा कि मलिक और चनौट ‘अच्छे लोग’ नहीं थे, और उन्होंने उससे कहा कि सहायता के लिए, वो संगठन की कुछ महिलाओं से बात करे.

पिता ने अपनी शिकायत में कहा, ‘बात करते हुए वो बहुत झिझक रही थी. उसने कहा कि अनिल और अनूप अच्छे लोग नहीं थे, और वो दबाव बनाकर उसे ब्लैकमेल कर रहे थे. मैंने तब उससे कहा कि वहां मौजूद कुछ महिलाओं से बात करे, और तुरंत सहायता के लिए लोकल कमेटी को सूचित करे. मैंने उससे ये भी कहा कि ठहरने के लिए कोई और टेंट देख ले’.

लेकिन, उन्होंने आरोप लगाया कि टेंट में ठहरने के दौरान, उसपर हमला किया गया.

महिला की मित्र कोविता आर्या ने भी दिप्रिंट को बताया, कि उसने मलिक द्वारा यौन हमला करने का ज़िक्र किया था.

आर्या ने कहा, ‘उसने मुझे बताया कि टेंट में, अनिल और अनूप ज़बर्दस्ती उसके ऊपर चढ़ रहे थे. उसने ये भी कहा कि अनिल ने उसे धमकाया, और उससे वादा लिया, कि वो इसे राज़ ही रखेगी’.

एफआईआर में ये भी कहा गया, कि 16 और 17 अप्रैल को महिला ने अपने पिता को बताया, कि उसके पेशाब में ख़ून आया था.

पिता ने अपनी शिकायत में कहा, ‘मैंने उससे कहा कि अपने आसपास की महिलाओं से तुरंत सहायता ले, और अगर ज़रूरत हो तो डॉक्टर के पास जाए. उसने ये भी बताया कि योगिता की मदद से, वो एक दूसरे टेंट में चली गई थी’.

17 अप्रैल को पिता ने योगिता सुहाग से बात की, और उससे अपनी बेटी की मदद करने के लिए कहा. अगले दिन महिला ने योगिता सुहाग, जगदीश ब्रार, और एक किसान नेता हिम्मत सिंह ब्रार के साथ, टिकरी प्रदर्शन स्थल पर दो वकीलों से मुलाक़ात की, और फैसला किया कि इस यौन उत्पीड़न के बारे में, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं को सूचित किया जाए.

पिता ने कहा, ‘उसी शाम, योगिता की सहायता से वो पिलर नंबर 774 के पास के टेंट में शिफ्ट हो गई, जहां दो और महिलाएं थीं’.

अस्पताल में भर्ती और मौत

एफआईआर के मुताबिक़, संभावित कोविड संक्रमण के शक में, 25 अप्रैल को एक अस्पताल में भर्ती होने के बाद, 29 अप्रैल को उसके पिता उसकी देखभाल के लिए दिल्ली आ गए. वहां उसने पिता को बताया, कि अनिल मलिक ने केएसए टेंट में, उस पर यौन हमला किया था, और अनूप सिंह चनौट ने उसकी सहायता की थी. ये पहली बार था जब उसने खुलकर, उन्हें यौन हमले के बारे में बताया था.


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पिता ने अपनी शिकायत में कहा, ‘वो दबाव में थी और टेंट में अनिल और अनूप उसपर लगातार नज़र रखे हुए थे. उसने मुझसे कहा ‘हमारे साथ ख़राब काम हुआ है’. उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए उन्हें समझ आया, कि पिछली फोन कॉल के दौरान उसने ख़ुशी से उन्हें क्यों बताया था, कि उसे मासिक स्राव हुआ था, और इसी वजह से उसे पेशाब में ख़ून आ रहा था.

उन्होंने कहा, ‘उसने मुझसे कहा कि मैं सुनिश्चित करूं, कि अनिल और अनूप को सज़ा मिले. उसने मुझे ये सुनिश्चित करने के लिए भी कहा, कि किसान आंदोलन को नुक़सान नहीं पहुंचना चाहिए. 30 अप्रैल की सुबह उसकी मौत हो गई’.

पिता ने ये भी आरोप लगाया, कि 30 अप्रैल को स्थानीय पुलिस अस्पताल आई थी, और उनपर दवाब बनाया था कि वो लिखकर दें, कि उनकी बेटी कोविड से मरी थी.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं अपनी बेटी का शव ले जाना चाहता हूं, तो मुझे बयान देना होगा कि उसकी मौत कोविड-19 से हुई थी. उस समय मैं भावनात्मक रूप से टूट गया था, और अपनी बेटी का शव फौरन ले लेना चाहता था. इसलिए, मैंने पुलिस को एक छोटा सा बयान दे दिया’.

लेकिन, पुलिस ने इससे इनकार किया, और सूत्रों ने कहा कि महिला के पिता ‘अपनी मर्ज़ी से शव को ले गए, और उस दिन भी उन्होंने यौन हमले का ज़िक्र नहीं किया’.

अहपरण का प्रयास

21 अप्रैल को, महिला को हल्का बुख़ार हो गया था, और फिर कोविड-19 के अन्य लक्षण पैदा हो गए.

24 अप्रैल को उसके चिंतित पिता ने, जय किसान आंदोलन के अविक शाह से संपर्क करके, चिकित्सा सहायता की गुहार लगाई. शाह ने पिता का संपर्क योगेंद्र यादव से कराया, जिन्होंने फिर महिला को फोन किया, और अधिकारियों से उसकी उचित चिकित्सा देखभाल करने के लिए कहा.

यादव ने दिप्रिंट को बताया, कि 24 अप्रैल की रात को उनकी पत्नी ने, जो बंगाली मूल की हैं, महिला की हालत का पता लगाने के लिए उससे बात की. महिला ने इशारा किया कि उसके साथ ‘बदसलूकी’ हुई है, लेकिन आगे विस्तार से नहीं बताया.

जब मलिक और चनौट को पता चला, कि महिला सीधे एसकेएम नेतृत्व के संपर्क में है, तो उन्होंने कथित रूप से, उसे वहां से हटाने की कोशिश की.

महिला के पिता ने आरोप लगाया, कि उन्हें लोकल कमेटी के एक सदस्य का फोन आया था, जिसने महिला को बंगाल वापस भेजने के लिए, उनकी अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा, ‘मैंने मना कर दिया और कहा, कि उसे चिकित्सा सहायता की ज़रूरत है. उन्होंने बेटी से मेरी बात कराई, जिसकी आवाज़ बहुत कमज़ोर थी. वो इसी शर्त पर तैयार हुई, कि उसके साथ कोई महिला होनी चाहिए, और अनिल तथा अनूप को उससे दूर रखा जाए’.

लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि कॉल के दौरान उन्हें लगा, कि उसे कार में मलिक और चनौट के साथ कहीं ले जाया जा रहा था.

उन्होंने कहा, ‘परेशान होकर मैंने डॉ अमित को फोन किया, जिन्होंने फिर मिस्टर यादव को ख़बर दी’.

10 मई को एक प्रेस कॉनफ्रेंस में यादव ने कहा, कि उन्होंने महिला को फोन किया, तो उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ है, और उसे उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कहीं ले जाया जा रहा था.

यादव ने कहा, ‘जब मैंने उसे कॉल किया, तो मुझे लगा कि जैसे कोई हमारी बातचीत सुन रहा था. इसलिए मैंने उससे बंगला में पूछा, कि क्या उसे ले जा रहे लोग ‘अच्छे लोग’ हैं तो उसने कहा ‘नहीं’. तो मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है, और मैंने फौरन अनिल और अनूप से कहा, कि गाड़ी को घुमाएं और दिल्ली वापस लौट आएं’.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उससे अपनी लाइव लोकेशन भेजने के लिए भी कहा, जो उस समय हांसी (हिसार के पास) थी. इसलिए मैंने दोनों लोगों को फिर कॉल किया, और उनसे सख़्ती से कहा कि या तो लौट आएं, वरना कार्रवाई का सामना करें. मैंने उनसे भी अपनी लाइव लोकेशन शेयर करने के लिए कहा, ताकि हमें पता रहे कि उसे सुरक्षित वापस लाया जा रहा है. दिल्ली पहुंचते ही, उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया’.

जब दिप्रिंट ने यादव से पूछा, कि उन्होंने 25 अप्रैल को ही पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया, ये जानते हुए भी, कि वो लोग महिला को उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ ले जा रहे थे, तो उन्होंने कहा कि ‘उनके पास पूरी जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने पिता के ऊपर ही छोड़ दिया, कि वो ख़ुद इसका फैसला करें’.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उन दो लोगों से कहा कि अगर वो रूट से हटे, तो मैं पुलिस को बता दूंगा. चूंकि वो उसे सुरक्षित वापस ले आए, मैं पुलिस के पास नहीं गया. इसके अलावा, मेरे पास पूरी जानकारी भी नहीं थी, कि वहां क्या चल रहा था. पुलिस को बुलाएं या नहीं, ये तय करने का फैसला, हमने महिला के पिता पर छोड़ दिया’.

चनौट का बचाव

मंगलवार को दिखाए गए फेसबुक लाइव वीडियो में, अनूप सिंह चनौट ने ख़ुदपर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया, और कहा कि वो टिकरी बॉर्डर पर रेप की किसी घटना से वाक़िफ नहीं है.

लेकिन, उन्होंने ये ज़रूर माना कि महिला के साथ ट्रेन के अंदर छेड़छाड़ हुई थी, और उन्हें इसका पता था, ‘जिसके बाद अनिल को एक चेतावनी दी गई थी, और उसके संगठन की गतिविधियों में शिरकत करने पर भी, पाबंदी लगा दी गई थी’.

चनौट ने कहा कि वो जांच का सामना करने के लिए तैयार है, और उसने सवाल किया कि महिला के पिता ने, उसकी मौत के 9 दिन के बाद ही, शिकायत क्यों दर्ज कराई थी.

उसने कहा, ‘जब महिला ने अपने पिता को ट्रेन वाली बात बताई, तो उन्होंने उस मामले को सीनियर नेताओं के साथ क्यों नहीं उठाया, या पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की? और, उन्होंने पुलिस को क्यों नहीं बताया, जब उनकी बेटी ने उनसे कहा, कि अनिल अच्छा आदमी नहीं था, और वो अपने टेंट में सहज महसूस नहीं कर रही थी? ये एफआईआर बहुत पहले दर्ज कराई जानी चाहिए थी’.

चनौट ने कहा, ‘लेकिन, मेरी समझ में नहीं आता, कि वो इसे रेप क्यों कह रहे हैं. उन्हें हमें बताना चाहिए कि वो कब और कहां हुआ. हमारे ग्रुप में कोई ऐसा आदमी नहीं है, जिसे स्पष्ट रूप से इस बारे में बताया गया हो. हो सकता है कि ये आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश हो’.

अग़वा की कोशिश के आरोप का खंडन करते हुए, उसने आगे कहा कि ‘महिला को बंगाल वापस ले जाने’ का फैसला कमेटी ने उसके बीमार पड़ने के बाद लिया था, और उसके पिता को सूचित कर दिया गया था. उसने ये भी दावा किया कि पिता को उसे वापस घर भेजे जाने पर, कोई ऐतराज़ नहीं था.


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उसने कहा, ‘वो झूठ कह रहे हैं कि उन्होंने कमेटी मेम्बर से, उसे वापस लाने से मना किया था. उन्होंने उसे लाने के लिए कहा था. नहीं तो हम उसे वापस बंगाल ले जाने के लिए इतने इंतज़ाम क्यों करते?’ चनौट ने आगे कहा, ‘उसके पिता ने तो मज़ाक़ में ये भी कहा था, कि जब हम उनके यहां पहुंचेंगे, तो वो हमें मछली के पकौड़े खिलाएंगे’.

उसने कहा कि ये सही है, कि महिला ने मलिक के साथ कार में जाने से मना कर दिया था. उसने कहा, ‘उसने मुझसे कहा कि वो तभी जाएगी, अगर मैं साथ आउंगा. हालांकि मैं सफर के लिए तैयार नहीं था, लेकिन मैं उसकी ख़ातिर चला गया’.

पूर्व में कोलकाता की तरफ बढ़ने की बजाय, वो लोग दिल्ली के पश्चिम की ओर हिसार में क्यों थे, ये समझाते हुए चनौट ने कहा कि उन्हें कुछ पैसा लेना था, और वो कार भी बदलनी थी, जिसमें वो जा रहे थे.

उसने कहा, ‘ये सही है कि बंगाल का रास्ता जयपुर से होकर जाता है, लेकिन हमने रास्ता बदल लिया था, क्योंकि हमें वो रेंटल कार लेनी थी, जो हमने हिसार में अपने एक दोस्त से, 1,000 रुपए रोज़ के किराए पर तय की थी, और साथ में कुछ पैसा भी लेना था. यही वो समय था जब हमें महिला के पिता, और श्री योगेंद्र यादव का भी फोन आया, और हम लौट आए’.

उसने कहा, ‘अगर हम उसे अग़वा कर रहे थे, तो पिता की कॉल क्यों लेते, या मिस्टर यादव की कॉल क्यों लेते? हम अपने फोन अपने साथ क्यों रखते? हम लड़की को लगातार अपने पिता के संपर्क में क्यों रहने देते? ये सब आरोप बेबुनियाद हैं’.

‘वरिष्ठ SKM नेताओं को हमले का पता था’

जहां यादव का दावा था कि 24 अप्रैल से पहले, उनकी महिला से कभी बात नहीं हुई, और उन्होंने किसान सोशल आर्मी, के किसान आंदोलन का हिस्सा होने की बात भी नहीं सुनी थी, वहीं पुलिस कह कहना था, कि वरिष्ठ एसकेएम नेतृत्व को महिला पर हुए हमले का पता था, और इसीलिए उनमें से कई को, पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहन की, महिला विंग की प्रमुख हरिंदर कौर बिंदू ने कहा: ‘पिता बेहद दबाव में हैं. वरिष्ठ एसकेएम नेताओं को इसका पता था, लेकिन किसी ने हमें सूचित नहीं किया. सैकड़ों महिलाएं यहां इस प्रदर्शन स्थल पर रहती हैं, और हम उनकी रक्षा करते हैं. ये महिला हमारे आंदोलन में शरीक होने के लिए यहां तक आई थी, और उसका रेप कर लिया गया’.

उन्होंने से भी आरोप लगाया: ‘पिता की सहायता के लिए, जब हमने पता लगाना शुरू किया, तो पता चला कि लड़की को ख़ून आ रहा था, और उसे तत्काल चिकित्सा उपलब्ध नहीं कराई गई थी. टेंट के आसपास के लोगों को मालूम था, लेकिन वो ख़ामोश रहे’.

लेकिन, मंदीप मलिक जैसे कई अन्य बीकेयू सदस्यों ने इस दावे को ख़ारिज किया.

मलिक ने कहा, ‘महिला ने कभी किसी हमले के बारे में कुछ नहीं कहा. हां, हमने ट्रेन में हमले के बारे में सुना था, लेकिन उसके बाद हमने अनिल और उसे साथ देखा था, और वो दोस्तों की तरह दिख रहे थे. इसलिए किसी ने दख़ल नहीं दिया, या कुछ नहीं कहा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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