scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशतिहाड़ जेल के अधिकारियों ने सत्येंद्र जैन को खास तवज्जो दी, तोड़े गए नियम : दिल्ली कोर्ट

तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने सत्येंद्र जैन को खास तवज्जो दी, तोड़े गए नियम : दिल्ली कोर्ट

अदालत ने कहा कि तिहाड़ जेल के रिकॉर्ड प्रथमदृष्टया दिखाते हैं कि उसके अधिकारी, डीपीआर 2018 का उल्लंघन करते हुए, दिल्ली सरकार के मंत्री होने के नाते, सत्येंद्र जैन को फल और सब्जियां देकर उन्हें तरजीह दे रहे थे.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली की अदालत ने शनिवार को जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष भोजन करने की याचिका खारिज कर दी.

अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल के रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया दिखाते हैं कि उसके अधिकारी, डीपीआर 2018 का उल्लंघन करते हुए, दिल्ली सरकार के मंत्री होने के नाते, सत्येंद्र जैन को फल और सब्जियां देकर उन्हें तरजीह दे रहे थे.

सत्येंद्र जैन के यह दावा करने पर कि उनका तिहाड़ में 28 किलो वजन कम हुआ है, विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने शनिवार को कहा कि सत्येंद्र जैन का वजन कम होना उनके नियमित भोजन नहीं करने के कारण है और इसके लिए तिहाड़ जेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं है.

अदालत ने कहा, ‘डीजी (जेल) और अधीक्षक, तिहाड़ जेल को आवेदक सत्येंद्र कुमार जैन को फल, सब्जियां और सूखे मेवे उपलब्ध कराने का निर्देश देने का कोई आधार नहीं है. लिहाजा, आवेदन खारिज किया जाता है.’

विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने यह भी कहा कि मैं यह देखना चाहता हूं कि जब आवेदक अपने धर्म के अनुसार धार्मिक उपवास करने की इच्छा दिखाता है, तो वह जेल प्रशासन को इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करेगा और उसके बाद, डीपीआर 2018 के नियम 1142 के मद्देनजर आवेदक की प्रार्थना पर जेल प्रशासन निर्णय करेगा तथा यदि आवेदक को धार्मिक उपवास रखने की अनुमति दी जाती है तो उसे सरकार के आदेशानुसार खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

11 नवंबर, 2022 को सत्येंद्र जैन के सूखे मेवों को देने से रोकने की चिकित्सा अधिकारी की सलाह में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता है, अदालत ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी सबसे अच्छा व्यक्ति है, जो निर्धारित आहार की सलाह दे सकता है.

तिहाड़ के वकील अभिजीत शंकर ने बहस के दौरान स्पष्ट किया कि जेलों में सूखे मेवों को कैदी को देने की अनुमति नहीं है और इसे नियमित भोजन के विकल्प के रूप में भी नहीं लिया जा सकता है. हालांकि, यदि मेवा चिकित्सा अधिकारी द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए पूरक के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो ऐसी परिस्थितियों में ऐसे कैदियों को सीमित समय के लिए अनुमति दी जा सकती है.

अपने जवाब में, तिहाड़ जेल प्राधिकरण ने कहा कि हमारा प्रशासन जाति, पंथ, लिंग आदि के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव के बावजूद दिल्ली की जेलों में बंद सभी कैदियों को समान रूप से संतुलित और पौष्टिक आहार देता है.

अदालत ने इससे पहले तिहाड़ से एक रिपोर्ट भी मांगी थी कि पिछले छह महीनों में सत्येंद्र कुमार जैन को क्या खाना दिया जा रहा था, क्या वह पिछले 5-6 महीनों के दौरान धार्मिक उपवास पर थे और क्या आहार, जो पिछले 10-12 दिनों से उन्हें दिया जा रहा था कि बंद कर दिया गया है या नहीं.

तिहाड़ ने आगे कहा कि जेल प्रशासन से किसी कैदी को विशेष सुविधा देने की उम्मीद करना भी गलत है क्योंकि जेल विभाग जाति, पंथ, धर्म आदि को लेकर बिना किसी भेदभाव के सभी कैदियों को पोषण और संतुलित आहार प्रदान करता है.

दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा तिहाड़ के जवाब को पढ़ने के बाद सत्येंद्र जैन के लिए पेश हुए और कहा कि, ‘वे किस प्रावधान के तहत कहते हैं कि मैं अनिश्चितकालीन उपवास नहीं कर सकता? हम एक ऐसे देश में हैं जहां हर कोई अपना दावा करने के लिए स्वतंत्र है. वास्तव में मुझे अपने धर्म का पालन करने से कोई नहीं रोक सकता. मुझे जेल में जरूरी खाना तक नहीं मिल रहा है, क्या मेरे मानवाधिकार भी छीन लिए गए हैं?’

इससे पहले, राहुल मेहरा ने भी तिहाड़ जेल में जैन को खासतौर पर दिए गए इलाज को लेकर ईडी के आरोपों से इनकार किया था, उन्होंने पूछा था कि वे किस विशेषाधिकार के बारे में बात कर रहे हैं? मैंने जेल में 28 किलो वजन कम किया है. यहां तक ​​कि उन्हें उचित भोजन भी मिल रहा है. वे किस विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं? अगर कोई विचाराधीन कैदी उनका हाथ या पैर दबा रहा है तो जेल के नियमों का उल्लंघन नहीं है.’

पिछले हफ्ते, सत्येंद्र जैन ने प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्रवाई की मांग करते हुए एक आवेदन के साथ एक विशेष अदालत का रुख किया था. जैन की कानूनी टीम ने आरोप लगाया था कि ईडी ने अदालत में दिए गए हलफनामे के बावजूद सीसीटीवी वीडियो लीक कर दिया.


यह भी पढ़ें: गुजरात में मोदी का जलवा एक बड़े खालीपन की वजह से कायम है, जिसे सांस्कृतिक हस्तियां भी नहीं भर सकतीं


 

share & View comments