नई दिल्ली: भारतीय वन सेवा (आईएफएस) की 2013 बैच की अधिकारी सुधा रमन दिन में तमिलनाडु के राज्य योजना आयोग के लिए काम करती हैं और रात में अपनी कला साधना में जुटी रहती हैं.
पुरस्कार विजेता इस वन अधिकारी ने अपनी कला को इसी महीने खुद प्रकाशित कराए एक कैलेंडर की सूरत में सामने रखा है. वह अपनी शैली को मंडला और जेंटंगल कला का एक फ्यूजन कहती हैं और बताती है कि इसमें उन्हें बचपन से ही रुचि रही है.
Happiness is to see the first print edition of my sketches pic.twitter.com/tLA5kUH9Zr
— Sudha Ramen ?? (@SudhaRamenIFS) January 3, 2022
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘कई बार काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन साधना तनावपूर्ण हो जाता है. इसलिए मैं नियमित रूप से कुछ कलाकृति बनाती रहती हूं. इससे मुझे सुकून मिलता है और एक बार जब आप काम पूरा कर लेते हैं तो वास्तव में बहुत अच्छा लगता है. मुझे कई बार रात 2 बजे और यहां तक कि 3 बजे तक काम करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है.’
अपने इस आर्ट वर्क के लिए प्रेरणा उन्हें अमूमन उन्हीं विषयों से मिलती है जो उनके रोज के काम का हिस्सा हैं— जैस वन, वन्य जीवन और पक्षी.
उन्होंने बताया, ‘अपने कॉलेज के दिनों से ही मैं फूल, फूलदान, लोगों आदि को अपने कैनवास पर उतारती रहती थी. लेकिन एक वन अधिकारी के तौर पर प्रशिक्षण के दौरान मुझे वन्यजीवों को नजदीक से देखने का मौका मिला और मैंने उनका स्केच बनाना शुरू कर दिया.’
करीब एक साल की मैटरनिटी लीव के बाद रमन ने दिसंबर में राज्य योजना आयोग में काम करना शुरू किया. वह उप वन संरक्षक (भौगोलिक सूचना प्रणाली) के पद पर हैं. चेन्नई के वंडालूर चिड़ियाघर में उनके पिछले कार्यकाल के दौरान बारिश की कमी से सूख चुकी झील का पुनरुद्धार हुआ था.
अब, वह टेक्नोलॉजी आधारित पहल के जरिये वन विभाग को अपना काम व्यवस्थित करने में मदद कर रही है. राज्य सरकार वन संसाधनों की पूरी सूची बनाने की एक योजना ‘डिजिटल वन’ शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
Tamil Nadu Forest Department will launch 'Digital Forests' a scheme at a cost of Rs 33.10 crores to leverage incredible benefits of Artificial Intelligence, Blockchain & cloud based technologies to inventorise its valuable forest resources. GO issued #Assemblyannouncement pic.twitter.com/dXat7O2Eyq
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) January 6, 2022
रमन ने कहा, ‘मैं यह तो नहीं बता सकती कि मैं किस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं लेकिन यह एक ऐसा उपकरण है जो आईटी टेक्नोलॉजी के साथ विभाग की सभी वन-आधारित गतिविधियों से एक साथ जोड़ देगा.’
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टेक्नोलॉजी और पर्यावरण
रमन एक औद्योगिक शहर कुड्डालोर के नेवेली में पली-बढ़ी हैं और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने कोयंबटूर स्थित अविनाशीलिंगम यूनिवर्सिटी से की है. वन सेवा में शामिल होने से पहले सुधा रमन ने तीन साल तक विप्रो में काम किया और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उनका कौशल उनके नए करियर के लिए मददगार साबित हुआ.
2015 में उन्होंने प्लांटेशन मेड ईजी नामक एक एप्लिकेशन विकसित किया, जो यूजर को अधिक आसानी से पौधे लगाने के लिए सही पेड़ चुनने में मदद करता था. 2018 में इसे तमिलनाडु इनोवेटिव इनिशिएटिव्स स्कीम (टीएएनआईआई) के तहत ट्रीपीडिया के तौर पर फिर से लॉन्च किया गया.
ट्रीपीडिया ने 2019 में रमन को डॉ. कलाम इनोवेशन इन गवर्नेंस अवार्ड दिलाया. पिछले साल तक इस ऐप पर 50,000 यूजर थे.
रमन ने कहा, ‘मैं तकनीकी विशेषज्ञ हूं और ऐप बनाने के मेरे अनुभव को देखते हुए मुझे लगता है कि मेरे वरिष्ठ सहयोगी यह अपेक्षा करते है कि मैं उस ज्ञान को विभाग की दक्षता बढ़ाने और कामकाज को सिस्टमैटिक बनाने में इस्तेमाल करूं.’
लेकिन पर्यावरण के संरक्षण में भी रमन को अच्छा-खासा अनुभव है. 2018 में वंडालूर चिड़ियाघर में पानी की कमी से सूख चुकी 18 एकड़ की एक झील को फिर से उसकी मूल स्थिति में लाने के काम में रमन ने अपने विभाग का नेतृत्व किया, जिसमें एक वर्ष से अधिक समय लगा.
उन्होंने बताया, ‘हमने पहले जो किया जाना जरूरी था, उसे प्राथमिकता देते हुए एक क्लीनिकल मेथडोलॉजी तैयार की. हमने गाद निकालने, कुछ देशी प्रजातियों को लगाने, पक्षियों पर नजर रखने, जल निकासी के रास्तों को साफ करने और मेढ़ों को मजबूत करने पर बहुत काम किया. जब काम पूरा होने वाला था, तभी मानसून शुरू हो गया और इसके बेहतर नतीजे हमारे सामने थे.’
बाड़ों में रहने वाले जानवरों के कल्याण और इसके प्रबंधन की दिशा में अपने काम के लिए उन्हें 2020 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की तरफ से प्राणी मित्र पुरस्कार दिया गया.
वह कहती हैं, ‘जंगल दूसरी प्राथमिकता हैं क्योंकि मानव की जरूरतें हमेशा पहले स्थान पर रहती हैं. लेकिन जागरूकता के कारण मुझे लगता है कि परिदृश्य धीरे-धीरे बदल रहा है. और मुझे उम्मीद है कि यह न केवल जंगलों के लिए बल्कि हम सभी के लिए एक अच्छा बदलाव होगा. हम हमेशा अपनी सभी आवश्यकताओं के लिए जंगलों की ओर देख सकते हैं.’
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