नई दिल्ली: ग्रामीण भारत के गरीबों को कोरोनावायरस के कारण होने वाले आर्थिक असर से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने सीधे सहायता हस्तांतरण या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर (डीबीटी) के जरिए जल्दी पैसा पहुंचाने का निर्णय लिया है. साथ ही सरकार का जोर महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत निजी संपत्ति को बढ़ावा देने पर है.
ये कदम उन कदमों में शामिल हैं जो सरकार उन लोगों की सहायता के लिए उठा रही है जिनकी 21 दिन के लॉकडाउन में आजीविका प्रभावित होगी. प्रधानमंत्री ने मंगलवार को लॉकडाउन की घोषणा की थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा था कि सरकार एक आर्थिक राहत पैकेज उन सेक्टरों के लिए तैयार कर रही है जिनपर कोरोनावायरस का बुरा असर होगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘शुक्रवार को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया कि डीबीटी के इस वित्त वर्ष 2019-20 को जल्द से जल्द जारी किया जाये. हम सभी वैकल्पिक डिजिटल माध्यमों से, यूपीआई के जरिए इसे कर रहे हैं.’
इस समय लगभग 400 सरकारी योजनाओं को डीबीटी के तहत लाया गया है.
मनरेगा का बकाया भी जल्द जारी किया जायेगा
बुधवार से ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा की बकाया देनदारी पूरी करना शुरु कर देगी. इस वित्त वर्ष में मनरेगा में 8 करोड़ लोग रजिस्टर हुए हैं.
एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सोमवार को संसद ने दूसरी 5000 करोड़ रुपये की अनुपूरक मांग को स्वीकृति दी है. इसकी सहायता से कामगरों को 31 मार्च तक बकाया भुगतान किया जा सकेगा.’
इस बात का भी ख्याल किया जा रहा है कि लॉकडाउन का ग्रामीण गरीबों पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने साथ ही राज्यों से कहा है कि ऐसा काम दिया जाये जिससे ‘व्यक्तिगत आय का सृजन’ हो, जिसमें ज्यादा से ज्यादा चार से पांच कर्मियों की ही जरूरत हो.
मनरेगा में व्यक्तिगत आय सृजन के तहत खेतों में पोखर बनाना, कुएं खोदना, बागबानी से जुड़ी गतिविधियां आदि शामिल हैं.
दूसरे अधिकारी का कहना था कि इसमें ‘कम से कम चार पांच लोग काम आसानी से कर सकें और साथ ही वे सोशल डिस्टेंसिंग भी बना के रख पायें.’
ऐसा करने से, अधिकारी का कहना था कि कामगर इस आपदा के दौर में भी रोजी रोटी कमा पायेगा.
मंत्रालय ने हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उस मांग पर कुछ निर्णय नहीं लिया है जिसमें उन्होंने केंद्र से कामगरों को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए धन देने की मांग की थी. मनरेगा के तहत एक कामगर को भत्ता देने का प्रावधान है अगर उसे 15 दिनों तक काम मांगने पर भी काम न मिला हो.
मंत्रालय ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से कामगरों के लिए सेस कोष का इस्तेमाल करने को कहा
मंगलवार को श्रम मंत्रालय ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नरों को सुझाव दिया है कि वो डीबीटी के जरिए निर्माण क्षेत्र के कामगरों के खातो में उस सेस फंड से जो लेबर वेलफेयर बोर्ड ने इकट्ठा किया था, खर्च करें.
इस सेस फंड में 52,000 करोड़ इकट्ठा है और करीब 3.5 करोड़ निर्माण क्षेत्र में कामगर इन बोर्डों में रजिस्टर्ड हैं.
सोमवार को सरकार ने सभी राज्यों से फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया से तीन महीने के लिए खाद्यान्न उधार लेने को कहा था.
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