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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशअयोध्या में 1992 में कारसेवकों में से थे यह आईपीएस अधिकारी, खुश हैं कि राम मंदिर बन रहा है

अयोध्या में 1992 में कारसेवकों में से थे यह आईपीएस अधिकारी, खुश हैं कि राम मंदिर बन रहा है

मध्य प्रदेश के एडीजी राजा बाबू सिंह कहते हैं कि उन्होंने न तो बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया न ही उस दृश्य के साक्षी रहे.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हिदू पक्षों को 2.77 एकड़ जमीन देने की अनुमति देने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखने जा रहे हैं.

यह भूमि का टुकड़ा है जहां बाबरी मस्जिद 6 दिसंबर 1992 तक खड़ी थी और बाद में इसे कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था.

उस समय अयोध्या में डेढ़ लाख कारसेवक मौजूद थे और उनमें से अब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं. हालांकि मध्य प्रदेश के भोपाल में पुलिस मुख्यालय में एडीजी (सामुदायिक पुलिसिंग) राजा बाबू सिंह, का कहना है कि उन्होंने न तो विध्वंस में भाग लिया और न ही इसे देखा.

सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि 1992 में वे अयोध्या गए थे और जब राम लला को टेंट में विराजमान किया गया था, तो वहां उन्होंने भगवान के दर्शन करने के बाद उन्हें एक ईंट भी भेंट की थी.

सिंह ने बताया, ‘मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र था और इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के दारागंज क्षेत्र में एक किराए के कमरे में रह रहा था. आरएसएस दारागंज इकाई ने कारसेवा के लिए दारागंज से कुछ युवाओं को अयोध्या ले जाने के लिए एक बस की व्यवस्था की थी.’

सिंह ने याद करते हुए बताया कि सभी कारसेवकों के ठहरने की व्यवस्था एक बड़े मंदिर के हॉल में की गयी थी. ‘हम बिना उचित बिस्तर आदि के फर्श पर एक पतली चटाई पर सोये थे और रात कंपकंपी और ठंड से जूझते हुए बिताई. अगली सुबह, हमने पहली बार सरयू नदी में डुबकी लगाई और फिर पुरानी संरचना के ईंट के मलबे के ऊपर कपड़े से बनाये मंदिर में राम लला के ‘दिव्य दर्शन’ किये.

सिंह ने कहा कि राम लला की उनकी संक्षिप्त झलक बहुत ही भावुक क्षण थी. ‘मैं 25 साल का था. कार सेवा के लिए जाने में एक अलग ही रोमांच और उत्साह था.


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‘अयोध्या देश का गौरव ‘

सिंह ने कहा कि जब वह छोटे थे तो कुछ महीनों के लिए उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अपने पैतृक गांव में आरएसएस की एक शाखा में शामिल हुए थे, लेकिन यह ‘सुबह की कसरत और दोस्तों के साथ खेलने’ मात्र के लिए था.

एक किसान के बेटे सिंह ने, अपने पहले प्रयास में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त की थी, और फिर अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली. उनके पास 5,000 से अधिक पुस्तकों के व्यक्तिगत संग्रह है और वे अक्सर जैविक खेती, जल सरंक्षण, योग, आयुर्वेद और भगवदगीता से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं.

सितंबर 2017 तक भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के साथ केंद्रीय नियुक्ति पर रहने के बाद उन्होंने ग्वालियर क्षेत्र के एडीजी और आईजी के रूप में अपनी सेवाएं दीं.

आईपीएस अधिकारी ने हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख, महंत नृत्य गोपाल दास की अपने ग्वालियर निवास पर मेजबानी की. वह बुधवार को अयोध्या में भूमि पूजन समारोह में शामिल नहीं होंगे लेकिन उन्हें इस बात का आनंद है कि मंदिर आखिरकार बनाया जा रहा है.

सिंह ने कहा, ‘सारा देश आनंदित है तो मैं भला खुश क्यों नहीं होऊंगा…अयोध्या भारत का गौरव है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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