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Friday, 22 November, 2024
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सीधा पाताल लोक की कहानी- दिल्ली पुलिस के सिपाही ने आख़िरी प्रयास में पास की UPSC परीक्षा, बना ACP

दिल्ली पुलिस के एक सिपाही फिरोज़ आलम की कहानी, पिछले साल के नेटफ्लिक्स शो पाताल लोक के काल्पनिक किरदार, इमरान अंसारी से मिलती जुलती है.

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नई दिल्ली: पिछले साल नेटफ्लिक्स शो पाताल लोक में, अभिलाषा और पराजय, आदर्शवाद और यथार्थवाद की, जो बहुत सी वास्तविकताएं दिखाई गईं, उनमें इमरान अंसारी की कहानी थी (ईश्वक सिंह द्वारा अभिनीत) जो दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही काम करता है, और आख़िर में यूपीएससी परीक्षा पास करके, एक आईपीएस अधिकारी बन जाता है.

शो के अनुसार, महत्वाकांक्षी, युवा, तथा अंग्रेज़ी भाषी, अंसारी वो सब कुछ था, जिसे कोई दिल्ली पुलिस के सिपाहियों से जोड़कर नहीं देखता. उसे तो एक ‘साहिब’ बनना था, और ‘स्वर्ग लोक’ में रहना था, किसी भूल भुलैया जैसे पाताल लोक में नहीं, जो आपको अंदर खींचता रहता है, भले ही आप कितना भी ऊपर चढ़ने की कोशिश करें.

इधर उसके किरदार की सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से चर्चा हो रही थी, ख़ासकर मुसलमान की उसकी पहचान को देखते हुए, जो ‘सिस्टम’ का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा था, उधर दिल्ली पुलिस में एक वास्तविक कहानी जन्म ले रही थी, जिसमें अंसारी के किरदार से बहुत समानताएं थीं.

फिरोज़ आलम ने, जो 2011 से दिल्ली पुलिस में बतौर सिपाही अपनी सेवाएं दे रहे था, पिछले साल अपने छठे और अंतिम प्रयास में, यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी, और एक पुलिस अधिकारी बनने वाला था. उसके माता-पिता के लिए, जो केवल छठी क्लास तक पढ़े थे, और कबाड़ का व्यापार करते हैं, ये किसी सपने की तरह था.

2010 में बारहवीं की परीक्षा पास करते ही, उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के निवासी आलम, दिल्ली पुलिस में भर्ती हो गए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘अपने पूरे करियर के दौरान मैं अधिकारियों से घिरा रहा और समाज के लिए काम करने की उनकी क्षमता ने, मुझे बहुत प्रभावित किया. मैं इतना ज़्यादा प्रेरित हुआ कि मैं जानता था, कि मुझे सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा पास करनी है, और उनके जैसा (अधिकारी) बनना है’.

आलम ने कहा कि वो परीक्षा के लिए पढ़ाई करते थे और साथ में नौकरी भी बनाए रखी, ‘लेकिन इस बात का ध्यान रखा कि मेरी तैयारियां, मेरी ड्यूटी के रास्ते में न आएं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने छह साल तक ये इम्तिहान दिया, चार बार मेन्स पास की, लेकिन उससे आगे नहीं जा सका (वो इंटरव्यूज़ में फेल हो जाते थे)…छठे और अंतिम प्रयास में जाकर, आख़िरकार मैं कामयाब हो पाया.’

आलम ने कहा कि पुलिस विभाग में 10 साल की सेवा, आगे चलकर उनके बहुत काम आएगी, ‘मैंने अफसरों को बहुत क़रीब से देखा है, मैं समझता हूं कि सिस्टम कैसे काम करता है’. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सिपाहियों की समस्याओं और उनके कल्याण को भी समझता हूं, इसलिए मुझे लगता है कि मैं उनके लिए कुछ कर सकता हूं’.


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दिल्ली पुलिस को आलम पर गर्व

जब आलम पुलिस अधिकारी बनने की अपनी ट्रेनिंग से गुज़र रहे हैं, तो ये सिर्फ उनका परिवार ही नहीं है, जो गौरवान्वित महसूस कर रहा है. दिल्ली पुलिस के पूरे महकमे को उन पर गर्व है.

दिल्ली पुलिस उपायुक्त हरेंद्र के सिंह ने बुद्धवार को ट्वीट किया, ‘वो 2011 में बतौर सिपाही दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे, लेकिन कुछ बड़ा करने के सपने ने, उन्हें #सिविलसर्विसेज़ पास करा दी. फिरोज़ आलम अब बतौर एसीपी दिल्ली पुलिस में शामिल हो रहे हैं, और कल उनकी ट्रेनिंग शुरू हो रही है. सपने कभी पुराने नहीं होते, उन्हें पूरा करने की चाह जवान रहनी चाहिए’.

एक और ट्वीट में सिंह ने कहा, कि आलम की कामयाबी ऐसी है जैसे किसी कंपनी का कोई क्लर्क, उसका प्रबंध निदेशक (एमडी) बन जाए.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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