कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के बाद, अपनी नौकरी गंवाने वाले स्कूल शिक्षकों ने साल्ट लेक स्थित पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग मुख्यालय के बाहर लगातार चौथे दिन रविवार को भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ के लगभग 1,000 प्रदर्शनकारियों में वे शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन वे उन 25,753 शिक्षकों की सूची में शामिल थे जिन्हें कोर्ट ने अमान्य करार दिया था. न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया को ‘भ्रष्ट’ करार दिया था.
उन्होंने अपनी नौकरी बहाल करने और राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मुलाकात की मांग को लेकर नारे लगाए.
प्रदर्शनकारी शिक्षकों में शामिल एक महिला नम आंखों से छात्रों की उत्तर पुस्तिकाएं जांचती नज़र आईं, जबकि कई शिक्षक सड़क पर झाड़ू लगा रहे थे.
फोरम के प्रतिनिधि चिन्मय मंडल ने कहा, ‘‘हम यहां से तब तक नहीं हटेंगे जब तक मंत्री ब्रत्य बसु आकर यह आश्वासन नहीं देते कि हमें दोबारा परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी. राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जो पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है, उसमें हमारे पक्ष को भी शामिल किया जाए.’’
प्रदर्शनकारी यह भी मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार कानूनी और प्रशासनिक उपाय कर उन्हें तत्काल प्रभाव से फिर से बहाल करे.
दक्षिण 24 परगना जिले की एक विज्ञान शिक्षिका जोली हाजरा ने कहा, ‘‘कृपया इंतजार कीजिए, हम इस भ्रष्ट प्रशासन से जीत और न्याय लेकर रहेंगे.’’
विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ शिक्षकों ने दावा किया कि करीब 10 से 12 शिक्षकों को पुलिस थाने में पेश होने का नोटिस मिला है. ये नोटिस 15 मई को विकास भवन के बाहर पुलिस और शिक्षकों के बीच हुई झड़प की जांच के संबंध में भेजे गए हैं.
एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, प्रदर्शन स्थल पर बृहस्पतिवार को पुलिस और शिक्षकों के बीच झड़प के दौरान कई शिक्षक, विशेषकर महिलाएं घायल हुई थीं.
पुलिस उपायुक्त (बिधाननगर) अनीश सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारी शिक्षकों से शिक्षा विभाग के फंसे हुए कर्मचारियों को घर लौटने की अनुमति देने के बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखा.
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