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Monday, 18 August, 2025
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भारतीय विमानन क्षेत्र में ‘सेफ्टी कल्चर’ की समस्या, एयरलाइन कंपनियां और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी जिम्मेदार

विश्लेषण से पता चला है कि 68 फाइनल रिपोर्ट्स में से कम से कम 47% मामलों में एएआईबी (AAIB) ने ऑपरेटर्स की लापरवाही या नियम उल्लंघन पाए और उस पर टिप्पणी की. हालांकि, ये हमेशा हादसों से सीधे जुड़े नहीं थे.

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नई दिल्ली: एक मई 2022 को मुंबई से दुर्गापुर जा रही स्पाइसजेट की एक रेगुलर फ्लाइट यात्रियों और क्रू के लिए डरावना अनुभव बन गई. लैंडिंग के दौरान विमान तूफान की चपेट में आ गया. तेज़ झटकों की वजह से कई यात्री, जिन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी, घायल हो गए. एक यात्री की रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण बाद में मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हुए.

तीन साल बाद, मई में जारी अपनी अंतिम रिपोर्ट में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने इस घटना के लिए कई वजहें गिनाईं—क्रू के बीच तालमेल की कमी, पायलटों के गलत फैसले और यात्रियों का सीट बेल्ट संकेतों को नज़रअंदाज़ करना, लेकिन रिपोर्ट ने गहरे मुद्दों की ओर भी इशारा किया—बार-बार होने वाली मेंटेनेंस की लापरवाहियां और बेसिक रिपोर्टिंग नियमों का पालन न होना.

जांच में पाया गया कि स्पाइसजेट ने अपनी बोइंग 737 बेड़े (जिसमें हनीवेल RDR-4B वेदर राडार सिस्टम लगा था) की खामियों को ट्रैक और कंट्रोल करने की प्रक्रिया को “सही ढंग से” नहीं अपनाया. इस बेड़े में ऐसे 60 दोष दर्ज हुए थे, जिनमें से 15 तो 1 मई की घटना से पहले ही सामने आ चुके थे.

खास बात यह है कि 14 से 30 अप्रैल के बीच वेदर राडार सिस्टम से जुड़े तीन अलग-अलग दोष रिपोर्ट हुए थे, भले ही वे सीधे उस विमान से जुड़े न हों. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पायलटों ने इस बेड़े के वेदर राडार सिस्टम की भरोसेमंदी पर सवाल उठाए थे.

इसके अलावा, मई की घटना के बाद स्पाइसजेट ने विमान को उसके मालिक (lessor) को लौटा दिया, बिना डीजीसीए (DGCA) या एएआईबी (AAIB) से आवश्यक मंज़ूरी लिए. रिपोर्ट के अनुसार, यह तब किया गया जब एयरलाइन से वेदर राडार से जुड़ी बार-बार की खराबियों की पूरी जानकारी तक नहीं ली गई थी.

ऐसी लापरवाहियां और नियम उल्लंघन एक-दो बार की नहीं हैं. विमानन कंपनियों, ग्लाइडर क्लबों वगैरह में निगरानी की असफलताएं आम और लगातार बनी रहती हैं और ट्रेनिंग सिस्टम की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है.

12 जून को हुई एयर इंडिया फ्लाइट 171 की दुर्घटना—जो दशकों में देश की सबसे बड़ी नागरिक विमानन त्रासदियों में से एक मानी जा रही है, इसने एयरलाइन इंडस्ट्री को कठोर सवालों के घेरे में ला दिया है. एएआईबी (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के बाद, जिसने फिलहाल एयर इंडिया और बोइंग को क्लीन चिट दी, सुरक्षा, प्रोटोकॉल, पायलट और क्रू ट्रेनिंग, विमान की देखरेख और पहले से रिपोर्ट की गई तकनीकी खराबियों पर बहस शुरू हो गई.

पिछले महीने एएआईबी को अपनी शुरुआती रिपोर्ट को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी. विवाद का एक अहम बिंदु था पायलटों के बीच ईंधन स्विच को लेकर हुई बातचीत का ज़िक्र, जहां एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने इंजनों की फ्यूल सप्लाई क्यों काटी और दूसरे ने इसे नकार दिया.

रिपोर्ट के जारी होने के बाद से बोइंग और एयर इंडिया की भूमिका पर कई तरह की चर्चाएं और सवाल उठे हैं. एएआईबी ने पश्चिमी मीडिया की उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें पायलट की गलती या जानबूझकर की गई कार्रवाई की ओर इशारा किया गया था.

दिप्रिंट ने 2012 से अब तक की 68 एएआईबी फाइनल रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया. यह तीन-पार्टी की सीरीज़ की पहली रिपोर्ट है, जिसमें एयरलाइन ऑपरेटरों और फ्लाइट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशंस की बार-बार की गई गड़बड़ियों को उजागर किया गया है.

ग्राफिक: दिप्रिंट टीम
ग्राफिक: दिप्रिंट टीम

ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) और एएआईबी के पूर्व महानिदेशक औरोबिंदो हांडा ने दिप्रिंट से कहा, “AAIB किसी भी घटना को तुरंत वर्गीकृत नहीं करता, जब तक कि उसमें जनहानि न हो. अगर स्थिति साफ नहीं है, तो DGCA या AAIB अधिकारियों की टीम मौके पर भेजी जाती है और शुरुआती रिपोर्ट बनाई जाती है. किस श्रेणी में घटना आएगी, इसका अंतिम फैसला DG, AAIB के पास होता है. अगर जनहानि होती है, तो AAIB की टीम सीधे मौके पर पहुंचती है.”

उन्होंने आगे कहा, “जांच टीम का गठन DG, AAIB की जिम्मेदारी होती है. क्रैश इन्वेस्टिगेटर्स केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कम संसाधन हैं. DG, AAIB टीम की संरचना तय करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल कर सकते हैं.”

ग्राफिक: दिप्रिंट टीम
ग्राफिक: दिप्रिंट टीम

कुल मिलाकर, 101 एएआईबी रिपोर्ट्स (27 हेलीकॉप्टरों की और 6 एयरक्राफ्ट की प्रारंभिक रिपोर्ट सहित) सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं.

फाइनल रिपोर्ट्स के विश्लेषण से पता चला कि कम से कम 47% मामलों में एएआईबी ने ऑपरेटरों की लापरवाही या नियम उल्लंघन पाए और उन पर टिप्पणियां दर्ज कीं. हालांकि, ये हमेशा सीधे तौर पर दुर्घटना की वजह नहीं बने.

करीब एक दर्जन दुर्घटनाओं में तकनीकी खराबियां पाई गईं, भले ही उन्हें सीधी वजह न माना गया हो. पांच मामलों में तो एएआईबी यह भी तय नहीं कर पाया कि असल में खराबी किस कारण से हुई.

लगभग 67% रिपोर्ट्स में किसी न किसी रूप में पायलट के फैसले या कार्रवाई का ज़िक्र है, लेकिन इन रिपोर्ट्स ने हर बार दुर्घटना की वजह को सीधे पायलट की गलती नहीं मानाय (इस पर विस्तार से दूसरी रिपोर्ट में चर्चा होगी).

दिप्रिंट के विश्लेषण में यह सामने आया कि ऑपरेटर न केवल निगरानी में चूक कर रहे हैं, बल्कि एसओपी (SOPs) और गाइडलाइन्स का पालन भी अक्सर नहीं करते. समस्याओं में गलत टेक लॉग्स, मेंटेनेंस की खामियां, फ्यूल और ऑयल रिकार्ड रखने में गड़बड़ी, पुराने नियम, पहले हुए हादसों की रिपोर्ट्स से मिली सुरक्षा सिफारिशों का पालन न करना, अनुशासनहीनता, कमज़ोर सेफ्टी कल्चर और पायलटों की अधूरी ट्रेनिंग शामिल हैं.

चित्रण: दिप्रिंट टीम
चित्रण: दिप्रिंट टीम

इसी तरह FTOs (DGCA द्वारा मान्यता प्राप्त पायलट ट्रेनिंग संस्थान) में भी यही पैटर्न देखने को मिलता है. इनमें गलत ब्रीफिंग, अधूरे टेक लॉग्स, घटिया ट्रेनिंग, मौसम की निगरानी की व्यवस्था का अभाव, खराब मेंटेनेंस, इंस्ट्रक्टर्स द्वारा SOPs का पालन न करना, नाइट फ्लाइंग या रेडियो कम्युनिकेशन के SOPs का न होना, सीसीटीवी की कमी जैसी गड़बड़ियां सामने आईं.

उदाहरण के तौर पर 2016 में हुई एक ग्लाइडर दुर्घटना में AAIB ने DGCA द्वारा चलाए जा रहे हड़पसर ग्लाइडिंग सेंटर में कई खामियों को चिह्नित किया. रिपोर्ट में कहा गया कि सेंटर के पास आपातकालीन स्थितियों से निपटने के SOPs नहीं थे और DGCA ने अपने ग्लाइडर संबंधी सर्कुलर्स वेबसाइट पर अपलोड भी नहीं किए थे.

दिप्रिंट ने एएआईबी, DGCA और एयरलाइंस (एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयर इंडिया, स्पाइसजेट और इंडिगो) से ईमेल और मैसेज के ज़रिए से प्रतिक्रिया मांगी है, जैसे ही जवाब मिलेंगे, रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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दबाव, ट्रेनिंग और अनसुनी की गई सुरक्षा चेतावनियां

एएआईबी (AAIB) की जांच रिपोर्ट में अगस्त 2020 में कोझिकोड में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान दुर्घटना में कई बार ‘सेफ्टी कल्चर’ का ज़िक्र किया गया है. बोइंग 737 विमान गीली रनवे से फिसलकर ढलान से नीचे जा गिरा और तीन टुकड़ों में टूट गया था. इस हादसे में दोनों पायलट और 19 यात्री मारे गए थे.

रिपोर्ट में पायलट की गलतियों को ‘संभावित कारण’ बताया गया, लेकिन एएआईबी ने यह भी कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस की एचआर (HR) पॉलिसी “खराब” थी, जो पायलटों पर अनावश्यक दबाव डालती थी.

कमान में मौजूद पायलट (PIC) को आखिरी वक्त पर ड्यूटी पर लगाया गया क्योंकि कैप्टन की कमी थी. अगले दिन सुबह की फ्लाइट के समय में समायोजन कर उसकी ड्यूटी घंटे पूरे किए गए, जिससे उस पर कोझिकोड समय पर उतरने का दबाव बढ़ा. रिपोर्ट के मुताबिक, पायलट ने वापसी का फैसला इसलिए लिया ताकि अगले दिन सुबह की उड़ान के लिए ड्यूटी समय सीमा (FDTL) से बाहर न हो जाए. ऐसा होने पर अगले दिन कोझिकोड से उड़ने वाली तीन उड़ानों के लिए पायलट की कमी हो जाती.

रिपोर्ट ने कहा, “एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड (AIXL) की नीतियों ने ट्रेनिंग, ऑपरेशंस और सुरक्षा की निगरानी में कमी पैदा की, जिससे बार-बार मानवीय गलतियां और हादसे हुए.” क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) की खराबी पहले भी बड़ी दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं में सामने आई थी, लेकिन इसके बावजूद ट्रेनिंग असरदार नहीं रही और यह हादसे का बड़ा कारण बनी.

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) डेटा से पता चला कि विमान का विंडशील्ड वाइपर ठीक से काम नहीं कर रहा था और क्रू को इसकी जानकारी थी, लेकिन इसे तकनीकी लॉग में दर्ज नहीं किया गया. रिपोर्ट ने कहा कि संभव है इसे केवल मौखिक रूप से बताया गया हो—जो गैर-मानक प्रक्रिया को दर्शाता है.

ट्रेनिंग से जुड़ी खामियां भी सामने आईं: सिम्युलेटर की देखरेख खराब थी, अनिवार्य अभ्यास हमेशा पूरे नहीं कराए गए. पायलटों के पास लैंडिंग के लिए ज़रूरी ऑनबोर्ड परफॉर्मेंस टूल (OPT) उपलब्ध नहीं था. DGCA की कई बार की ऑडिट और सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स (CARs) के बावजूद, एयर इंडिया एक्सप्रेस डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) की निगरानी पूरी तरह नहीं कर पाया.

CARs (Civil Aviation Requirements), DGCA द्वारा जारी अनिवार्य मानक और प्रक्रियाएं हैं, जिनमें फ्लाइट डेटा मॉनिटरिंग, मेंटेनेंस, सेफ्टी मैनेजमेंट और ट्रेनिंग जैसे नियम शामिल हैं.

जुलाई 2019 में मुंबई एयरपोर्ट पर हुई स्पाइसजेट दुर्घटना की जांच में भी AAIB ने पाया कि एयरलाइन ने सुरक्षा सिफारिशों को गंभीरता से लागू नहीं किया. बारिश के दौरान विमान मुख्य रनवे से आगे निकल गया था. रिपोर्ट ने कहा कि पहले भी इसी तरह की गलतियों के कारण स्पाइसजेट और अन्य एयरलाइनों को हादसों का सामना करना पड़ा, लेकिन सुझाए गए सुधार या तो लागू नहीं किए गए या समय के साथ ढीले पड़ गए.

AAIB ने पाया कि स्पाइसजेट के पास सक्रिय फ्लाइट मॉनिटरिंग प्रोग्राम भी नहीं था.

मार्क डी. मार्टिन, सीईओ, मार्टिन कंसल्टिंग (एविएशन सलाह और जोखिम प्रबंधन कंपनी) ने कहा, “यह बेहद ज़रूरी है कि AAIB दुर्घटनाओं की जांच के बाद एयरलाइनों को दी गई सिफारिशों और निर्देशों को मजबूत नियमों के साथ लागू करवाए. भारत में सेफ्टी कल्चर, खासकर रिपोर्टिंग कल्चर, लगभग न के बराबर है. विमान ऑपरेटर और हेलीकॉप्टर ऑपरेटर सुरक्षा और एयरवर्दीनेस (उड़ान योग्यता) के नियमों का सबसे ज्यादा उल्लंघन करते हैं.”

गलत फ्यूल चेक और कागज़ों पर मेंटेनेंस

मई 2021 में दर्ज एक मामले में, मध्य प्रदेश के विमानन निदेशालय (DoA) का एक बिना बीमा वाला विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ. जांच में पता चला कि ऑपरेटर के ऑपरेशंस मैनुअल में Civil Aviation Requirements के गलत रेफरेंस दिए गए थे.

DoA ने डीजीसीए से यह छूट भी नहीं ली थी कि बीचकाफ्ट किंग एयर 250 विमान में यात्री को केबिन के बजाय कार्गो सेक्शन में ले जाया जाए. यह विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पर क्रैश-लैंड हुआ था, जिसमें दो पायलट समेत सभी तीन लोग घायल हुए.

जून 2020 के एक मामले में, इंडिगो का एक विमान दमाम (सऊदी अरब) से कोचीन उतरते समय टर्बुलेंस में फंस गया. इसमें एक केबिन क्रू को गंभीर चोट आई. एएआईबी ने पाया कि इंडिगो ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) का डेटा सुरक्षित नहीं रखा, जबकि यह दुर्घटनाओं के कारण जानने में बेहद ज़रूरी होता है.

मार्च 2023 में झारखंड फ्लाइंग इंस्टीट्यूट द्वारा कराई गई एक ‘जॉय राइड सॉर्टी’ इंजन में फ्यूल न पहुंचने की वजह से क्रैश हो गई. जॉय राइड सॉर्टी छोटे विमानों या हेलीकॉप्टरों से घूमने-फिरने या मनोरंजन के लिए उड़ाई जाती है. जांच में पाया गया कि कॉकपिट के अंदर लगे दोनों फ्यूल वॉल्व गलती से बंद ही रह गए थे.

धनबाद के एक रिहायशी इलाके में हुए इस हादसे में पायलट और 14 साल का यात्री घायल हो गए.

एएआईबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उड़ान जल्दबाजी में शुरू की गई थी, न तो कोई प्री-फ्लाइट निरीक्षण हुआ और न ही सेफ्टी कल्चर का पालन—जो संगठन में पहले से ही मौजूद नहीं थी.

AAIB (एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) की रिपोर्ट बताती हैं कि इंजन तक फ्यूल न पहुंच पाने की वजह से इंजन बंद हो जाना या मैकेनिकल खराबी आना कोई नई बात नहीं है. इसका नतीजा बहुत खतरनाक हो सकता है.

फरवरी 2019 में बारामती में हुई एक दुर्घटना की फाइनल रिपोर्ट में AAIB ने कहा कि एकल प्रशिक्षण उड़ान के दौरान इस्तेमाल किए गए Cessna 172S विमान में ईंधन और तेल का रिकॉर्ड CAR गाइडलाइन के अनुसार नहीं रखा गया था. साथ ही, पायलट को ईंधन का आकलन करने की पर्याप्त ट्रेनिंग भी नहीं दी गई थी.

फ्यूल असेसमेंट का मतलब है – यात्रा के लिए कितनी मात्रा में ईंधन चाहिए, विमान में कितना ईंधन मौजूद है और तय रास्ते के मुताबिक, यात्रा पूरी करने के लिए कितना और लगेगा, इसका सही हिसाब लगाना.

इस प्रक्रिया में यह चेक किया जाता है: ईंधन की मात्रा और क्वालिटी (यानी उसमें कोई गंदगी/कंटैमिनेशन तो नहीं), फ्यूल सिस्टम में कोई लीक तो नहीं, फ्यूल पंप सही से काम कर रहे हैं या नहीं, कहीं पाइपलाइन में ब्लॉकेज तो नहीं और वाल्व सही पोज़िशन में हैं या नहीं.

आधुनिक कमर्शियल विमानों में फ्यूल क्वांटिटी इंडिकेशन सिस्टम होते हैं और पायलट डिस्पैच फ्यूल स्लिप्स को भी क्रॉस-चेक करते हैं. यह काम उड़ान से पहले ही नहीं, बल्कि उड़ान के दौरान भी नियमित चेक का हिस्सा होता है.

इस मामले में फ्लाइट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशंस था Academy of Carver Aviation.

इसी तरह मई 2016 में एक एयर एंबुलेंस, जिसमें पाँच लोग सवार थे, दिल्ली के नजफगढ़ में क्रैश-लैंड कर गई थी. जांच में पाया गया कि ऑपरेटर Alchemist Air Pvt. Ltd. ने फ्यूल खपत का आकलन करने की तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया था.

पिछले साल DGCA ने Alchemist का FTO अप्रूवल रद्द कर दिया क्योंकि ऑडिट में कई गंभीर कमियाँ सामने आईं. यह कदम उस हादसे के बाद उठाया गया, जिसमें अगस्त 2024 में जमशेदपुर के पास एक प्रशिक्षक और एक ट्रेनी पायलट की मौत हो गई थी.

मई 2021 में मुंबई एयरपोर्ट पर एक एयर एम्बुलेंस से जुड़ा एक और हादसा रिपोर्ट हुआ. जांच में पता चला कि कंपनी जेट सर्व एविएशन में क्वालिटी मैनेजर और चीफ ऑफ फ्लाइट सेफ्टी के पदों पर “बाकी पदों के मुकाबले ज़्यादा लोगों ने नौकरी छोड़ी है.”

एएआईबी ने नोट किया कि “चीफ ऑफ फ्लाइट सेफ्टी का पद 2019 से लगातार अस्थिर रहा और हादसे के दिन तक यह खाली पड़ा था.”

जेट सर्व एविएशन को एफटीओ (फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइज़ेशन) के तौर पर ऑपरेट करने की मंज़ूरी भी मिली हुई थी.

एएआईबी ने माना कि विमान में मैकेनिकल फेल्योर हुआ, लेकिन इसकी असली वजह का पता नहीं लगाया जा सका. दोनों मामलों में बीचक्राफ्ट किंग एयर C90 A विमान शामिल थे.

जनवरी 2023 में फाल्कन एविएशन अकादमी ने रीवा में एक क्रैश में अपने चीफ फ्लाइट इंस्ट्रक्टर को खो दिया, जबकि ट्रेनिंग ले रहा पायलट गंभीर रूप से घायल हुआ. जांचकर्ताओं ने पाया कि सेसना 152 विमान रात के समय उड़ान भरा, जबकि विज़ुअल फ्लाइट की शर्तें पूरी नहीं थीं. फाल्कन के पास रीवा में विज़िबिलिटी की स्थानीय व्यवस्था नहीं थी और उसने वाराणसी एटीसी से समन्वय के तय नियमों का पालन भी नहीं किया.

एएआईबी जांच रिपोर्टों के नतीजे | इन्फोग्राफिक: श्रुति नैथानी/दिप्रिंट
एएआईबी जांच रिपोर्टों के नतीजे | इन्फोग्राफिक: श्रुति नैथानी/दिप्रिंट

खास बात यह है कि फरवरी 2022 में नलगोंडा में हुए एक हादसे में, जब एक ट्रेनिंग पायलट की मौत हो गई, तो एएआईबी ने पाया कि फ्लाइटेक एविएशन अकादमी ने मेंटेनेंस और इंस्पेक्शन के दौरान सेसना 152 विमान के कंट्रोल केबल्स और दूसरे उपकरणों की खराब हालत को नहीं पहचाना, लेकिन ऑपरेटर के रिकॉर्ड में दिखाया गया था कि सभी तय निरीक्षण पूरे किए गए, जबकि मलबे की जांच में सामने आया कि विमान की हालत उन रिकॉर्ड्स के मुताबिक नहीं थी.

एएआईबी सटीक वजह का पता नहीं लगा सका, लेकिन इशारा किया कि हादसा विमान की तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ. रिपोर्ट में कहा गया: “हालांकि, दुर्घटना से पहले विमान पर कोई खराबी दर्ज नहीं थी, लेकिन जांच टीम ने रखरखाव में कई कमियां पाईं.”

एएआईबी ने लिखा, “ऑपरेटर द्वारा रखे गए दस्तावेज़ों के मुताबिक विमान पर सभी निरीक्षण शेड्यूल पूरे किए गए थे, लेकिन मलबे की जांच में सामने आया कि दुर्घटना से पहले विमान की हालत उन शेड्यूल्स के तहत किए गए काम से मेल नहीं खाती थी. कुछ कंट्रोल केबल्स और उनसे जुड़े पार्ट्स लिमिट से ज़्यादा घिस चुके थे. कुछ पुली पर लुब्रिकेशन की कमी, जंग और खांचे के निशान पाए गए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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