नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम में संशोधन संसदीय समिति द्वारा आम सहमति से किया गया है और यह कानून आगामी संसद सत्र में पेश किया जाएगा.
उन्होंने कहा, “मोदी जी के नेतृत्व में हमने सहकारिता के क्षेत्र में कई पहल की हैं. बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन का काम संसदीय समिति ने सर्वसम्मति से किया है और यह कानून इसी सत्र में आने वाला है.” केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय राजधानी में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (IECC) में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे.
इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आज घोषणा की कि संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा.
शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा “अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि” विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसकी अध्यक्षता अमित शाह कर रहे हैं.
Speaking at the 17th Indian Cooperative Congress.https://t.co/0TTOjl1srH
— Amit Shah (@AmitShah) July 1, 2023
शाह ने आगे कहा कि सहकारिता मंत्रालय का गठन तभी किया गया जब पीएम मोदी दोबारा सत्ता में चुने गए, हालांकि आजादी के बाद से ही इसकी मांग हो रही थी.
शाह ने कहा, “हमारे देश में सहकारिता आंदोलन करीब 115 साल पुराना है. आजादी के बाद से ही सहकारी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की मुख्य मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय अलग बनाया जाए. 2019 में पीएम मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने एक अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया.“
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने संवैधानिक दायरे में राज्य और केंद्र के अधिकारों से छेड़छाड़ किए बिना सहकारी कानून में एकरूपता लाने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा, “सहकारी आंदोलन ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29 प्रतिशत का योगदान देता है. उर्वरक वितरण में इसका योगदान 35 प्रतिशत, उर्वरक उत्पादन में 25 प्रतिशत, चीनी उत्पादन में 35 प्रतिशत से अधिक, खरीद, बिक्री में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी है. और दूध का उत्पादन 15 प्रतिशत तक पहुंच रहा है,”
17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन 1 जुलाई से 2 जुलाई तक किया जा रहा है.
इसका उद्देश्य सहकारी के विभिन्न कार्यों पर चर्चा करना, अपनाई जा रही प्रथाओं को बताना और इस दौरान सामने आ रही चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना है. साथ ही इसमें भारत के सहकारी आंदोलन के विकास के लिए भविष्य की नीति की दिशा पर भी चर्चा की जाएगी.
“अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि” के मुख्य विषय पर सात तकनीकी सत्र का आयोजन भी किया जाएगा.
एक बयान के अनुसार, इसमें प्राथमिक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के प्रतिनिधियों, मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 3,600 से अधिक हितधारकों की भागीदारी होगी.
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