नई दिल्ली: गाजियाबाद के व्यवसायी, जिस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता जनरल (सेवानिवृत्त) वी.के. सिंह की बेटी योगजा सिंह से 3.5 करोड़ रुपये ठगने का आरोप है, उसके खिलाफ पहले भी कम से कम चार-पांच मामले दर्ज हो चुके हैं.
दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है. सूत्रों ने बताया कि हालांकि, उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया, क्योंकि उन सभी मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जिन धाराओं के तहत उस पर आरोप लगाए गए थे, उनमें सात साल से कम की जेल की सजा का प्रावधान था.
सहायक पुलिस आयुक्त (गाजियाबाद) अभिषेक श्रीवास्तव ने दिप्रिंट को बताया कि मामले की जांच चल रही है और उससे अभी पूछताछ होनी है. आरोपी गाजियाबाद का रहने वाला है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “शिकायतकर्ता ने 2014 में राजनगर कॉलोनी में 5.5 करोड़ रुपये में एक मकान खरीदने के लिए आरोपी के साथ समझौता किया था. हालांकि, 3.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने के बाद भी आरोपी ने बिक्री विलेख (सेल डीड) को अंतिम रूप नहीं दिया.”
कवि नगर थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट को मिली है, व्यवसायी पर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया है. इसमें कहा गया है कि सिंह और आरोपी ने 14 जून, 2014 को गाजियाबाद की संपत्ति को 5.5 करोड़ रुपये में बेचने के लिए मौखिक समझौता किया था.
शिकायतकर्ता योगजा ने उसे जल्द ही 10 लाख रुपये का भुगतान किया और शेष राशि धीरे-धीरे चुकाने का फैसला किया. इसके बाद इमारत को रेनोवेट किया गया और सिंह को 4.5 लाख रुपये के लंबित खर्च के बारे में बताया गया, जिसके लिए उसने उसे पोस्ट डेटेड चेक दिए.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 15 जुलाई 2014 को संपत्ति सौंप दी जानी थी और वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है. कुछ समय बाद, सिंह को इमारत पर ऋण लेना था, जिसके लिए दोनों के बीच एक लिखित अनुबंध हुआ था. 13 फरवरी से 15 फरवरी 2017 के बीच, 33.5 लाख रुपये का एक और भुगतान उसके खाते में स्थानांतरित कर दिया गया. एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि योगजा ने उस इमारत पर ऋण लेने के लिए आरोपी से घर के मूल दस्तावेज मांगे. उसने उसे दस्तावेज नहीं दिए और अधिक पैसे की मांग करने लगा.
एफआईआर के अनुसार, 2018 से 2023 के बीच शिकायतकर्ता ने 3 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. हालांकि, जब उन्होंने आरोपी को बताया कि उनका लोन मंजूर हो गया है और उसे प्रॉपर्टी रजिस्टर करानी है, तो उसने उन्हें “गलत और झूठे तथ्यों” के आधार पर कानूनी नोटिस भेजा.
उन्होंने इस साल 30 अगस्त को नोटिस का जवाब दिया, जिसका फिर से आरोपी व्यवसायी ने विरोध किया.
एफआईआर में कहा गया है, “शिकायतकर्ता के बार-बार कहने के बाद भी आरोपी विवादित मकान का सेल-डीड नहीं कर रहा है और उसे और उसके परिवार को विवादित मकान से बेदखल कर उस पर कब्जा करना चाहता है. आवेदनकर्ता द्वारा दी गई राशि को ज़बरदस्ती हड़पने की कोशिश में आरोपी ने एक जाली किराए की रसीद बनवाई और इसके आधार पर अपर जिलाधिकारी की कोर्ट में मकान खाली करवाने की अपील कर दी.”
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