नई दिल्ली: ग्रे रंग से रंगे और कांच के बक्से में बंद केदारनाथ मंदिर का मॉडल काले रंग के खंभे पर टिका हुआ है. इसके बगल में उत्तराखंड के मूल केदारनाथ मंदिर का एक विशाल चित्र है.
दोनों के बीच समानताएं चौंकाने वाली हैं, सिवाय इसके कि दिल्ली के बुराड़ी में बनने वाले मंदिर में सीढ़ियां होंगी और इसके चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ नहीं होंगे.
मॉडल और चित्र को श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के एक कमरे वाले कार्यालय में रखा गया है, जो 3 एकड़ की जगह पर है, जहां मंदिर बनाया जाना है.
जीतेंद्र फुलारा, जो दिल्ली के मंदिर के 250 ट्रस्टियों में से एक हैं और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य हैं, ने कहा, “यह दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ मंदिर का मॉडल है. मूल मंदिर और दिल्ली में बनने वाले मंदिर में फर्क है. दिल्ली में बनने वाले मंदिर में बेसमेंट, सीढ़ियां और यहां तक कि निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर भी अलग होंगे. साथ ही, हमारे पास ज्योतिर्लिंग भी नहीं है.”
फुलारा का यह भी दावा है कि वे आप की छत्तीसगढ़ इकाई के पूर्व प्रभारी हैं.
लकड़ी के खंभों पर एक नारंगी-सफेद रंग का टेंट है, और प्रवेश द्वार पर आमंत्रित लोगों की लिस्ट वाला एक बोर्ड अभी भी लटका हुआ है, जिससे यह आभास होता है कि बुराड़ी में हरे-भरे केदारनाथ मंदिर स्थल का शिलान्यास समारोह से आगे बढ़ना अभी बाकी है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 10 जुलाई को बुराड़ी के हिरनकी इलाके में भूमि पूजन करने और इसकी आधारशिला रखने के बाद से यह मंदिर विवादों में घिरा हुआ है.
भारत भर में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं — भगवान शिव को समर्पित पूजनीय मंदिर. केदारनाथ सबसे उत्तरी है और उत्तराखंड में चार धाम तीर्थयात्रा सर्किट का भी हिस्सा है.
केदारनाथ में मंदिर के पुजारी मंगलवार तक इस बात पर विरोध कर रहे थे कि “व्यावसायिक उद्देश्यों” के लिए प्रतिकृति मंदिर के लिए ज्योतिर्लिंग के नाम का उपयोग करना उन्हें अस्वीकार्य है.
हालांकि, धामी के साथ बैठक के बाद विरोध को रोक दिया गया, जहां ट्रस्ट का नाम बदलने पर आम सहमति बनी. बुराड़ी स्थित ट्रस्ट ने दिप्रिंट को पुष्टि की कि ट्रस्ट का नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना से नाराज़ पुजारियों को खुश करने के लिए ट्रस्ट ने बुधवार को कहा था कि वह अपने नाम में ‘धाम’ शब्द की जगह ‘मंदिर’ शब्द जोड़ेगा.
ट्रस्ट के संस्थापक-अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने कहा, “भ्रम की स्थिति थी. केदारनाथ के पुजारियों को लगा कि हम दिल्ली में धाम बना रहे हैं. धाम कभी नहीं बनाया जा सकता. हम केवल मंदिर बना रहे हैं.”
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‘जब तक वे लिखित में नहीं देते’
लेकिन, केदारनाथ के पुजारियों में गुस्सा कम नहीं हुआ है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अपना आंदोलन फिलहाल रोक दिया है, लेकिन वे कुछ दिनों में एक बैठक करने की योजना बना रहे हैं, जिसके बाद वे मुख्यमंत्री धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे.
केदारनाथ मंदिर के पुजारी आचार्य संतोष त्रिवेदी ने कहा, “जब तक वे हमें लिखित में नहीं देते कि केदारनाथ दिल्ली में नहीं बनाया जाएगा, हम आंदोलन करते रहेंगे.”
त्रिवेदी ने कहा कि ट्रस्ट का नाम धाम से बदलकर मंदिर करना उनकी मांग नहीं थी. त्रिवेदी ने दिप्रिंट से कहा, “हमारी मांग थी कि केदारनाथ शब्द को हटाया जाए और मंदिर की संरचना अलग होनी चाहिए, लेकिन हम जो सुन रहे हैं, वह यह है कि मंदिर केदार बाबा के मंदिर के समान ही बनाया जा रहा है और हम इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे.”
उन्होंने कहा कि दिल्ली में मंदिर उत्तराखंड में मूल मंदिर की पवित्रता के साथ छेड़छाड़ होगी.
केदारनाथ में विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे रहने वाले एक अन्य पुजारी उमेश पोस्ती ने कहा कि उन्हें शिवालय या शिव मंदिर बनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन केदारनाथ की नकल नहीं की जा सकती.
पोस्ती ने कहा, “हमारा आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है. इसे केवल कुछ समय के लिए रोका गया है. हम सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली में केदारनाथ की नकल न हो.”
उन्होंने दावा किया कि धामी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि केदारनाथ का नाम हटा दिया जाएगा और संरचना भी बदल दी जाएगी.
पोस्ती ने कहा, “हम अब सीएम से मांग कर रहे हैं कि वे हमें ये बातें लिखित में दें, अन्यथा हम फिर से आंदोलन शुरू करेंगे.”
पुजारियों ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि यह कहानी गलत है कि कमजोर, अशक्त और बूढ़े लोग दिल्ली में केदारनाथ जा सकते हैं.
पोस्ती ने कहा, “लेकिन शिव केवल केदार में हैं. ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद लोगों को जो उपलब्धि का अहसास होता है, वह दिल्ली में महसूस नहीं होगा और शांति एवं भगवान का आशीर्वाद केवल केदार में ही महसूस किया जा सकेगा, जहां स्वयं शिव निवास करते हैं.”
अंडरग्राउंड पार्किंग, क्यूआर के जरिए से दान
दिल्ली के बुराड़ी में प्रस्तावित मंदिर के प्रवेश द्वार पर आमंत्रित लोगों के नाम प्रदर्शित करने वाले एक बोर्ड पर उनकी तस्वीरें भी हैं — भाजपा सांसद मनोज तिवारी, बांसुरी स्वराज, अजय टम्टा और योगेंद्र चंदोलिया से लेकर आप विधायक शरद चौहान और संजीव झा तक — सभी राजनीतिक दलों के नेता इस कार्यक्रम में आमंत्रित थे.
ट्रस्टियों के अनुसार, तिवारी, टम्टा और अन्य लोग शामिल हुए, लेकिन स्वराज निजी कारणों से नहीं आ सकीं.
एक ट्रस्टी ने कहा कि मंदिर का निर्माण 20 करोड़ रुपये के संभावित बजट से किया जाएगा. उन्होंने मंदिर के लिए योगदान के रूप में ऑनलाइन भुगतान की सुविधा के लिए ट्रस्ट के नाम पर एक क्यूआर कोड भी बनाया है.
एक अन्य ट्रस्टी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “मंदिर में आने वाले लोगों के लिए अंडरग्राउंड पार्किंग की सुविधा होगी. हमने एक कंपनी को काम पर रखा है जो मंदिर के खाके पर काम कर रही है और कुछ संशोधन कर रही है.”
ट्रस्ट ने एक फेसबुक पेज भी बनाया है, जिसमें एक पोस्ट में लिखा है: “दिल्ली में बस रहा है केदारनाथ, अब हर मौसम में बाबा केदार के दर्शन होंगे संभव. इस फेसबुक पोस्ट में इस तथ्य का उल्लेख है कि केदारनाथ धाम भारी बर्फबारी के कारण छह महीने तक बंद रहता है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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