नई दिल्ली: दिप्रिंट द्वारा यह रिपोर्ट किए जाने के एक दिन बाद कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अयोध्या में सेना प्रशिक्षण के लिए ‘बफर जोन’ के रूप में चिह्नित भूमि को गैर-अधिसूचित कर दिया है, अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने कहा कि वह इस क्षेत्र में मैपिंग की अनुमति देगा, तथा इसे निर्माण और कॉमर्शियल उपयोग के लिए सार्वजनिक रूप से खोल देगा.
6 अगस्त, 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में, ADA ने कहा कि वह अब ‘माझा जमथरा’ में मैपिंग स्वीकार करेगा और पास करेगा. माझा जमथरा वह क्षेत्र जिसे राज्य सरकार ने महीनों पहले अडानी ग्रुप की सहायक कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस; आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्गत में पंजीकृत “धर्मार्थ ट्रस्ट” व्यक्ति विकास केंद्र (VVK); और योग गुरु व उद्यमी रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े दो व्यक्तियों द्वारा वहां जमीन खरीदने के बाद गैर-अधिसूचित कर दिया था.
अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक 14 गांवों में कुल 5,419 हेक्टेयर (13,391 एकड़) भूमि को सेना प्रशिक्षण के लिए बफर जोन के रूप में अधिसूचित किया गया था, जबकि माझा जमथरा के अंतर्गत आने वाली 894.7 हेक्टेयर (2,211 एकड़) भूमि – जहां उपर्युक्त संस्थाओं ने इस साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक से पहले जमीन खरीदी थी – को विशेष रूप से गैर-अधिसूचित किया गया था. दिप्रिंट ने पिछले सप्ताह इस बात की रिपोर्ट की थी.
अब, सरकार द्वारा चुपचाप क्षेत्र को गैर-अधिसूचित करने के दो महीने से अधिक समय बाद, इसने अपने निर्णय के बारे में सार्वजनिक रूप से बताया है, और स्थानीय प्रेस में विज्ञापन जारी कर कहा है कि यह क्षेत्र में विकास के लिए मैपिंग पर विचार करेगा और उन्हें स्वीकार करेगा.
जैसा कि दिप्रिंट ने बताया, युद्धाभ्यास, फील्ड फायरिंग और आर्टिलरी प्रैक्टिस एक्ट, 1938 के तहत क्षेत्र की अधिसूचना का मतलब था कि क्षेत्र में निजी तौर पर भूमि का स्वामित्व, बिक्री और खरीद हो सकती है, लेकिन इसका उपयोग सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही हो सकता था.
इस क्षेत्र में निर्माण और व्यावसायिक गतिविधि प्रतिबंधित थी, क्योंकि यह सेना की भूमि के बड़े हिस्से के ठीक बगल में स्थित है, जहां सेना अपनी फील्ड फायरिंग अभ्यास करती है, जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोगों, जानवरों और संपत्तियों को चोट, नुकसान या क्षति होने का खतरा रहता है.
पिछले साल नवंबर में, ADA ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के एक आदेश के रिस्पॉन्स में एक आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि वह 5,419 हेक्टेयर अधिसूचित भूमि पर विकास या निर्माण के लिए कोई भी मैपिंग स्वीकार नहीं करेगा. यह आदेश अयोध्या के वकील प्रवीण कुमार दुबे द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में पारित किया गया था, जिसमें बफर ज़ोन में अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था. अदालत ने कहा था, “रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई राज्य की भूमि पर कानून के उल्लंघन में अतिक्रमण या उसे नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.”
इस आदेश के अनुपालन में, ADA ने कहा था कि वह क्षेत्र में विकास या निर्माण के लिए कोई भी मैपिंग स्वीकार नहीं करेगा.
हालांकि, अब जारी की गई अपनी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से, ADA ने माझा जमथरा को अपने पहले के आदेश के दायरे से हटा दिया है.
विपक्ष ने उठाए सवाल
दिप्रिंट से बात करते हुए दुबे ने पूछा: “जब मामला अभी भी विचाराधीन है, तो वे ऐसा कैसे कर सकते हैं?”
उन्होंने आगे कहा: “इसके अलावा, उन्होंने ऐसा अब क्यों किया, न कि दो महीने पहले जब उन्होंने माझा जमथरा को डी-नोटिफाई किया था? केवल माझा जमथरा को ही क्यों नोटिफाई किया गया है, इस पर बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है – जाहिर है कि इसका उद्देश्य बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना है.”
दिप्रिंट ने एडीए के अध्यक्ष और सचिव तथा अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट से कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
पिछले सप्ताह दिप्रिंट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “क्या आप जानना चाहते हैं कि धर्म और राष्ट्रवाद की आड़ में वे वास्तव में क्या करते हैं? सेना प्रशिक्षण के लिए बफर जोन के रूप में अधिसूचित भूमि को पहले अडानी, रविशंकर और बाबा रामदेव द्वारा खरीदा जाता है और फिर राज्यपाल द्वारा इसे गैर अधिसूचित किया जाता है.
इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने मोदी सरकार पर अयोध्या में सेना की जमीन पर “कब्जा” करने और इसे अपने “मित्रों” को सौंपने का आरोप लगाया था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)