अयोध्या: अयोध्या विकास प्राधिकरण के कार्यालय में आईएएस अधिकारी विशाल सिंह इस वक्त अपनी दो आधिकारिक जिम्मेदारियां – एडीए के वॉइस चेयरमैन और अयोध्या के नगर निगम आयुक्त – निभाने में व्यस्त हैं. वह हर दिन मंदिरों के शहर में कई जगह चल रहे निर्माण स्थलों का दौरा करते हैं, जो कि 22 जनवरी को नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए कई वीवीआईपी यानि अति विशिष्ट लोगों की मेजबानी करने वाला है.
शहर को भगवा रंग में रंगा जा रहा है, खास जगहों का सुंदरीकरण किया जा रहा है और राम मंदिर की ओर जाने वाली मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े प्रवेश द्वार लगाए जाने हैं.
सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ”हमारा लक्ष्य अयोध्या को एक वैश्विक आध्यात्मिक राजधानी बनाना है और इसके लिए, हम न केवल शहर को नया रूप दे रहे हैं बल्कि सूरजकुंड स्थित गुप्तार घाट जैसे प्रमुख आकर्षक केंद्रों का नवीनीकरण भी कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि हमारा विचार स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देना है.
“स्थानीय अर्थव्यवस्था को तभी बढ़ावा मिलेगा जब श्रद्धालु आएंगे और कुछ दिनों के लिए रुकेंगे.”
इससे पहले, सिंह वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव और काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ के रूप में कार्यरत थे. वाराणसी में उनके कार्यकाल के दौरान 2019 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का नवीनीकरण शुरू किया गया था.
नाम न जाहिर करने की शर्त पर यूपी सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बदलाव के लिए सिंह की प्रशंसा की थी और इसके तुरंत बाद उन्हें अयोध्या स्थानांतरित कर दिया गया था.
सिंह उस कार्यबल का हिस्सा हैं जिसमें शहर के योजनाकारों, प्रशासकों, वास्तुकारों और अन्य लोगों को मंदिर शहर के परिदृश्य को बदलने का काम सौंपा गया है, जो न केवल अरबों लोगों की आस्था का केंद्र है बल्कि भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के मूल में भी है.
दिप्रिंट अयोध्या प्रोजेक्ट के कुछ अन्य प्रमुख पदाधिकारियों के बारे में आपको बता रहा है.
रुचिता बंसल, सिटी प्लानर
इस पूरे ट्रांसफॉर्मेशन के पीछे रुचिता बंसल की टीम का दिमाग है. ट्रैक पैंट और स्नीकर्स पहने हुए, बंसल रोजमर्रा के प्रमुख मामलों की देखरेख करती हैं, जिसमें सौंदर्यशास्त्र पर निर्णय लेने से लेकर निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना और प्रमुख आकर्षक केंद्रों को नवीनीकृत करने की योजना तैयार करना शामिल है.
वह दो साल पहले नोएडा से अयोध्या आई थीं और तब से मंदिरों के इस शहर को बदलने के लिए लगातार काम कर रही हैं.
बंसल कहती हैं कि अयोध्या उनका “ड्रीम प्रोजेक्ट” है.
उन्होंने कहा, “मैंने किसी शहर में आमूलचूल बदलाव के बारे में हमेशा किताबों में ही पढ़ा था, लेकिन यहां अयोध्या में मैंने इसे शुरू से किया.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने परिवार को याद करती हैं और हर दो महीने में एक बार उनसे मिलने जाती हैं.
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दीक्षु कुकरेजा, सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स
अयोध्या के मुख्य द्वार का नियंत्रण और उसे एक जैसा बनाने का जिम्मा नई दिल्ली स्थित सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के दीक्षु कुकरेजा के दिमाग की उपज थी. कुकरेजा ने ही अयोध्या का ब्लूप्रिंट तैयार किया.
कुकरेजा ने कहा, “मैं शहर की मूल पहचान को नष्ट किए बिना उसे एक नया अवतार देना चाहता था. एक तरफ यह शहर रामायण के लिए जाना जाता था और दूसरी तरफ यह टूटता जा रहा था. इसलिए मैं इसमें ऐतिहासिक फ्लेवर लाना चाहता था और इसे समसामयिक बनाना चाहता था.”
राज करन नैय्यर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
नैय्यर की दैनिक दिनचर्या में प्रमुख यातायात हॉटस्पॉट की निगरानी के लिए एकीकृत यातायात प्रबंधन नियंत्रण कक्ष की लगातार यात्राएं शामिल हैं. किसी भी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में, जमीन पर मौजूद कांस्टेबलों को मौके पर पहुंचने और आवश्यक कार्रवाई करने का मैसेज दिया जाता है.
जबकि लगभग सौ ट्रैफिक कांस्टेबल प्रतिदिन के हिसाब से अयोध्या की सड़कों पर यातायात की निगरानी करते हैं, उद्घाटन के दिन यह संख्या छह गुना तक बढ़ जाएगी.
नैय्यर ने कहा, “भक्तों की भारी आमद वाले मंदिरों के शहर के रूप में, यातायात प्रबंधन समय की मांग है. 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन पर लगभग 600 ट्रैफिक कांस्टेबल तैनात किए जाएंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “हम ट्रैफिक कांस्टेबलों को सिखाते हैं कि यात्रियों के साथ कैसे व्यवहार करें और आसानी से गुस्सा न हों, क्योंकि वे उच्च दबाव वाले वातावरण में काम करते हैं. वे दर्जनों वाहनों से घिरे हुए हैं और लोग उन्हें न जाने देने के लिए नखरे दिखाते हैं.”
इन सबके अलावा, नैय्यर अयोध्या में एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली के पुनर्गठन की भी देखरेख कर रहे हैं. इसकी वजह से मंदिर शहर में प्रमुख चौकियों पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाए जा रहे हैं.
ट्रैफिक पुलिस ने सैटेलाइट और मैपिंग सेवा प्रदाता मैपमायइंडिया और गूगल मैप्स के साथ भी साझेदारी की है. नैय्यर ने कहा, “मैपमाईइंडिया और गूगल मैप्स के माध्यम से, हम यात्रियों को वास्तविक समय पर अपडेट देने के लिए पार्किंग की स्थिति की मैपिंग कर रहे हैं.”
नीतीश कुमार, जिलाधिकारी
बरेली घरेलू हवाई अड्डे के विकास का श्रेय कुमार को दिया जाता है. अक्टूबर 2021 में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बरेली से अयोध्या स्थानांतरित कर दिया गया था और कहा जाता है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘आंख और कान’ हैं.
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना आगे नहीं बढ़ रही थी, क्योंकि भूमि अधिग्रहण एक बाधा साबित हो रहा था.
2010-बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा, “अयोध्या आने के बाद मैंने सबसे पहला काम भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करना किया. इसके लिए मुझे ग्राउंड पर रहकर एयरपोर्ट निर्माण से प्रभावित होने वाले परिवारों को समझाना पड़ा. यह एक कठिन काम था.”
विपुल वार्ष्णेय और नमित अग्रवाल, आर्किटेक्ट
जब हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन की बात आई, तो सब कुछ बिल्कुल साफ था: हेरिटेज वाला लुक, क्योंकि दोनों ही जगहें हर दिन अयोध्या पहुंचने वाले हजारों भक्तों के लिए पहला पड़ाव होंगी.
रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे दोनों को नागर शैली की वास्तुकला में बनाया गया था और बाहरी दीवारों पर धनुष और तीर के साथ राम की तस्वीर थी.
हवाई अड्डे का नाम ऋषि वाल्मिकी के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने सबसे पहले रामायण की रचना की थी. वार्ष्णेय ने कहा, “हवाईअड्डे के निर्माण के दौरान हमें निर्देश दिया गया था कि हवाईअड्डे पर भगवान राम की कहानी की झलक दिखनी चाहिए.”
दूसरी ओर, अग्रवाल को अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन को “धार्मिक पर्यटन स्थल” के रूप में विकसित करने के लिए कहा गया. निकलने से पहले, वास्तुकार ने कनक महल और हनुमान गढ़ी सहित अयोध्या के धार्मिक स्थलों की रेकी की.
प्रवीण कुमार, पुलिस महानिरीक्षक
2023 में, कुमार को मेरठ से स्थानांतरण के बाद अयोध्या रेंज का महानिरीक्षक (आईजी) नियुक्त किया गया था, जहां वे उसी पद पर थे. उत्तर प्रदेश सीएमओ के सूत्रों ने कहा कि उन्हें भीड़ प्रबंधन में विशेषज्ञता के लिए अयोध्या लाया गया था.
जब से कुमार ने कार्यभार संभाला है, पर्यटकों की सहायता के लिए नए पुलिस स्टेशन सामने आए हैं, मौजूदा पुलिस स्टेशनों को विभाजित किया जा रहा है और, कभी-कभी, क्षेत्राधिकार के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए तीन भागों में विभाजित किया जा रहा है.
इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा तंत्र बढ़ा दिया गया है कि आने वाले भक्तों को हमेशा मदद मिले.
कुमार ने कहा, “हम महत्वपूर्ण स्थानों पर साइनेज, मोबाइल फ्लेक्स बोर्ड और पूरे अयोध्या में लगभग 12 एलईडी स्क्रीन लगा रहे हैं जो पर्यटकों को वास्तविक समय में अपडेट देंगे कि किस मार्ग का अनुसरण करना है, कौन सा पार्किंग स्थल खाली है और कौन सा निकटतम पुलिस स्टेशन है.”
उन्होंने कहा कि किसी भी अप्रिय गतिविधि को रोकने के लिए लगातार सुरक्षा जांच की जा रही है.
कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “हमारे पास अयोध्या आने वाले सभी आगंतुकों की जानकारी है. हमारे पास उनके बारे में पूरी जानकारी है. यहां तक कि एक भिखारी भी हमारी सूची में शामिल है. इस घटना (22 जनवरी को) की भयावहता को देखते हुए, निर्बाध संचालन की गारंटी देना महत्वपूर्ण है. इसे सफल बनाने के लिए सभी विभाग मिलकर काम कर रहे हैं.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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