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Saturday, 20 April, 2024
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इस बार कश्मीर में 2017 से आतंकी संगठनों में कम युवा भर्ती हुए और अगस्त के बाद ये और भी कम

रक्षा एजेंसियों द्वारा इकट्ठा किए गये आंकड़ों के अनुसार 2019 से जिन 110 युवाओं ने आतंकवादी संगठनों को ज्वाइन करने का फैसला लिया उनमें ज्यादातर दक्षिण कश्मीर से थे.

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नई दिल्ली : इस साल कश्मीर में आतंकवाद के लिए पिछले दो साल से कम लोग भर्ती किए गये. और जब से सरकार ने अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त को हटाया था तब से ये संख्या तेज़ी से गिरी है.

रक्षा एजेंसियों द्वारा इकट्ठा किए गये आंकड़ों के अनुसार 2019 से जिन 110 युवाओं ने आतंकवादी संगठनों को ज्वाइन करने का फैसला लिया उनमें ज्यादातर दक्षिण कश्मीर से थे. इनमें पुलवामा ज़िले से अकेले 36 युवा शामिल हैं. 2017 में 128 स्थानीय युवाओं नें आतंकियों के साथ हाथ मिलाये थे और ये संख्या 2018 में बढ़ के 209 हो गई थी.

रक्षा एजेंसियों का कहना है कि हालांकि जब से वहां बंदिशें लगी हैं दो युवाओं ने अगस्त, 8 ने सितंबर और 6 अक्टूबर को आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे.

इन 110 में से 46 हिज़बुल मुजाहिदीन में शामिल हुए और 34 जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन में. लश्कर ए तैयबा में 22 युवा शामिल हुए. इस साल जम्मू कश्मीर के इस्लामिक स्टेट में तीन स्थानीय लोग शामिल हुए.

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एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘असल में स्थानीय भर्ती कम हो गई है. 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद, स्थानीय स्तर पर आतंकवादी रिक्रूटमेंट में थोड़ी बढ़ोत्तरी हुई थी, पर अब ये कम हो रही है.’

पाकिस्तान की सीमा रेखा पर उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं.


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सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से ज़्यादा संख्या में आतंकवादियों को सीमा पार भेजने आशंका जताए जने के मद्देनजर आगे की योजना बनाई थी, जिसमें पाकिस्तान की ओर से सीमा नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम का उल्लंघन बढ़ाए जाने की चिंता थी.

अक्टूबर 2019 में पाकिस्तान ने 251 बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया था, वहीं अक्टूबर 2018 में ये संख्या 178 थी और उसके एक साल पहले 122.

इस योजना में ये भी आशंका जताई गई है कि बाहरी मज़दूरों को निशाना बनाना जारी रखा जायेगा ताकि घाटी में दहशत का माहौल रहे, और बंदिशें लगानी पड़ें ताकि स्थिति सामान्य न हो पाये.

मोबाइल सेवा चालू करने के लिए विरोध प्रदर्शन की योजना.

दिप्रिंट को प्राप्त एक गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, पृथकतावादी कोशिश करेंगे कि मोबाइल सेवा चालू करने के लिए विरोध प्रदर्शनों को हवा दें, ताकि सैनिक फिर बदले की कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इसमें आम जनता को जान माल का नुकसान होगा और लोगों के बीच गुस्से की भावना उभरेगी और ये एक हिंसा के दुश्चक्र का प्रचार प्रसार करेगा.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘इससे से नागरिकों के हताहत होने की संभावना और बढ़ेगी, जिससे भावनाओं को उभार कर खुद से फैलाए हिंसा चक्र को बढ़ाया जा सके.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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