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Tuesday, 2 July, 2024
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पूरा जीवन दे दिया पार्टी को बुढ़ापे में हो गए निष्कासित, हटाए गए यूपी के वरिष्ठ कांग्रेसियों का छलका दर्द

अनुशासन समिति के सदस्य अजय राय का कहना है कि नोटिस ग्यारह लोगों को दिया था. कुछ का जवाब आ गया और कुछ का नहीं. हम जवाब से संतुष्ट नहीं थे.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस के 10 वरिष्ठ नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में बीते रविवार को पार्टी से छह साल के लिये निष्काषित कर दिया गया है. उनका गुनाह था नई टीम का विरोध करना. उस टीम का जिसे खुद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लीड कर रही हैं. पार्टी की इस कार्रवाई से यूपी कांग्रेस में ‘ओल्ड बनाम न्यू’ की लड़ाई तेज हो गई है. निष्कासित किए गए सभी नेता 55 साल से अधिक हैं और अधिकतर पूर्व विधायक, मंत्री या पूर्व सांसद रह चुके हैं.

नई टीम में जगह न मिलने से थे असंतुष्ट

दरअसल कांग्रेस की अनुशासन समिति ने पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व गृह मंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, विधान परिषद के पूर्व सदस्य सिराज मेंहदी, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, विनोद चौधरी और नेक चन्द्र पाण्डेय तथा युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वयं प्रकाश गोस्वामी और वरिष्ठ नेता संजीव सिंह को बाहर कर दिया है. इन सभी नेताओं पर पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से संबंधित पार्टी आलाकमान के निर्णयों को लेकर अनावश्यक रूप से सार्वजनिक तौर पर बैठकें करके विरोध जताने और मीडिया में बयानबाजी से पार्टी की छवि खराब करने का आरोप था.

इन सबने पिछले दिनों पूर्व सांसद संतोष सिंह के आवास पर बैठक कर अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताई. साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सुझाव देने का निर्णय लिया. इसके बाद प्रियंका वाड्रा के निर्देश पर 21 नवंबर को अनुशासन समिति ने बैठक में शामिल ग्यारह सदस्यों को नोटिस देकर चौबीस घंटे में स्पष्टीकरण मांगा था. रविवार को अनुशासन समिति ने इनमें से दस वरिष्ठ कांग्रेसियों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया.

अनुशासन समिति के सदस्य अजय राय का कहना है कि नोटिस ग्यारह लोगों को दिया था. कुछ का जवाब आ गया और कुछ का नहीं. हम जवाब से संतुष्ट नहीं थे. इसके अलावा संगठन द्वारा भी सारे तथ्यों की जांच की गई, जिसमें यह अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए.

निष्कासन के बाद छलका दर्द

पूर्व एमएलसी सिराज मेहंदी ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘न तो हमारा विरोध नेतृत्व के खिलाफ था और न ही नई टीम को लेकर और न ही हमें कोई पद चाहिए था. हम बस ये चाहते थे कि वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का भी इस्तेमाल होना चाहिए. हमने पूरा जीवन कांग्रेस को दिया है. मैं खुद 1977 से कांग्रेस से जुड़ा हुआ हूं. अब बुढ़ापे में हम किसी और दल में नहीं जाना चाहते. हमारी विचारधारा कांग्रेसी है.’

वहीं पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी का कहना है कि किसी भी बुजुर्ग ने नई टीम का विरोध नहीं किया और न ही अनुशासन तोड़ा. कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है और हर किसी को अपनी बात रखने का हक है. हम सोनिया गांधी तक अपनी बात पहुंचाएंगे. सोमवार को लखनऊ में सभी निष्कासित वरिष्ठ कांग्रेसियों ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर अपना दर्द मीडिया से साझा किया.


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कांग्रेस की अनुशासन समिति कि ओर से पार्टी के कुल 11 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करके 24 घंटे में जवाब मांगा था. उनमें से पूर्व विधायक हाफिज मोहम्मद उमर को छोड़कर किसी ने भी नोटिस का जवाब नहीं दिया था. कुछ नेताओं ने तो नोटिस का जवाब देने से इनकार भी कर दिया था.

युवाओं को तरजीह, बुजुर्गों से किनारा

बता दें कि हाल ही में जो यूपी कांग्रेस की नई टीम तैयार की गई है उसकी औसत आयु 42 साल है. वहीं पिछली 500 लोगों की कमेटी के बजाए इस बार केवल 41 लोगों को ही नई प्रदेश कमेटी में रखा गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अक्टूबर में प्रदेश कांग्रेस की नयी समिति घोषित होने के बाद संगठन में अपनी भूमिका को लेकर चिंतित थे. उस समिति ने अनुभवी नेताओं के बजाय युवाओं को वरीयता दी गयी है.

दरअसल, हाल में प्रदेश कांग्रेस की नयी टीम गठित होने के बाद से ही पार्टी के अंदर सवाल उठने शुरू हो गये थे तभी से असंतोष पनपने की शुरुआत भी हुई थी. पिछले दिनों कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा था कि अनुशासनहीनता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस कार्रवाई से यूपी कांग्रेस में ये संदेश चला गया है कि पार्टी नेतृत्व के फैसले को सबको स्वीकार करना ही पड़ेगा .

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