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Friday, 20 December, 2024
होमदेश‘प्लीज़ कुछ कीजिए’, लोन एप एजेंटों के कर्ज़दारों को तंग किए जाने पर तेलंगाना सरकार का RBI से अनुरोध

‘प्लीज़ कुछ कीजिए’, लोन एप एजेंटों के कर्ज़दारों को तंग किए जाने पर तेलंगाना सरकार का RBI से अनुरोध

तेलंगाना सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों से पता चलता है, कि धोखाधड़ी वाले लोन एप्स से जुड़े आपराधिक मामलों की संख्या 2021 में 61 से 1,300% बढ़कर 2022 में 900 पहुंच गई, जिनमें से बहुत से मामलों में उसे भी लपेटा गया है.

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हैदराबाद: तत्काल लोन एप्स के रिकवरी एजेंट्स के हाथों प्रताड़ित किए जाने से तंग आकर, आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले की एक 24 वर्षीय महिला, और करीमनगर ज़िले के दो युवाओं ने इसी हफ्ते अपनी जान ले ली.

तीनों ने एप्स के ज़रिए तत्काल ऋण लिए थे, लेकिन कथित रूप से भारी ब्याज लिए जाने की वजह से कर्ज़ की पूरी रक़म अदा करने में उन्हें दिक़्क़तें आ रहीं थीं. मौत से पहले रिकवरी एजेंट कथित रूप से कम से कम दो पीड़ितों- आंध्र की महिला और तेलंगाना के एक 25 वर्षीय व्यक्ति- के पीछे पड़े थे जिन्हें उन्होंने धमकी दी थी, कि वो उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें उनके परिजनों और कॉन्टैक्ट्स को भेज देंगे.

लोप एप रिकवरी एजेंटों द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किए जाने की बढ़ती घटनाओं के बीच, तेलंगाना सरकार ने पिछले सप्ताह एक बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को इस ख़तरे से आगाह किया.

नोट में, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, कहा गया है, ‘गूगल प्ले स्टोर में बहुत सारे लोन एप्स मौजूद हैं जो आरबीआई गाइडलाइन्स के खिलाफ हैं. वो संबद्ध एनबीएफसी (ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) का नाम नहीं बता रहे हैं. इसलिए आरबीआई और एनबीएफसीज़ के पास बाज़ार की निगरानी के लिए एक प्रणाली होनी चाहिए, जिससे ऐसे अवैध लोन एप्स की पहचान हो सके जो आरबीआई गाइडलाइन्स के विरुद्ध काम कर रहे हैं, और उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए’.

नोट में कहा गया है कि ‘राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल’ के आंकड़ों के अनुसार, धोखाधड़ी वाले लोन एप्स से जुड़े आपराधिक मामलों की संख्या, 2021 में 61 से 1,300% से अधिक बढ़कर 2022 में 900 पहुंच गई. उसमें आगे कहा गया कि इसी अवधि में, कुल 107 एफआईआर दायर की गईं, और कम से कम आठ लोगों की (सबसे हालिया मामलों के अलावा) ख़ुदकुशी से मौत हुई.

कम से कम तेलुगू राज्यों में, लोन एप्स द्वारा उत्पीड़न, 2020 में सामने आया जब हैदराबाद पुलिस ने बहुत सी शिकायतें दर्ज कीं, और कम से कम तीन आत्महत्याओं का संबंध लोन एप शार्कों से जोड़ा गया. इसके अलावा, पुलिस का आरोप था कि कई एप्स का संचालन चीनी नागरिक कर रहे थे.

हालांकि उसके बाद से ये समस्या लगातार बनी हुई है.

हैदराबाद के सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) केवीएम प्रसाद ने दिप्रिंट से कहा, ‘अकेले हैदराबाद में, साल 2020-21 में हमने 28 मामले दर्ज किए और 23 लोगों को गिरफ्तार किया, और साथ ही गुरुग्राम, हैदराबाद, तथा बेंगलुरू में नौ कॉल सेंटर्स पर छापेमारी की. इस साल (2022), हमने 100 से अधिक केस दर्ज किए और बिहार, दिल्ली, तथा बेगलुरू से कुछ लोगों को गिरफ्तार किया’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इस साल तेलंगाना से लोन एप उत्पीड़न की वजह से आत्महत्या के दो मामले सामने आए. हमें पता चला कि इन लोन एप्स के प्रमुख संचालक चीनी नागरिक थे. हमें अभी भी शिकायतें मिलती हैं’.

पड़ोसी आंध्र प्रदेश में राज्य के अपराध जांच विभाग के अतिरिक्त निदेशक पीवी सुनील कुमार ने कहा कि उनका अनुमान था कि पिछले साल से धोखाधड़ी वाले लोन एप्स से जुड़े मामलों में, कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

दिप्रिंट से बात करते हुए तेलंगाना के विशेष मुख्य सचिव वित्त, के रामकृष्ण राव ने कहा कि पिछले सप्ताह आरबीआई के साथ हुई सभी राज्यों की बैठक में, लेन एप्स से जुड़ी चिंताओं को उठाया गया.

उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र ने भी हमसे सहमति जताते हुए कहा, कि वो भी ऐसे बहुत से मामलों से निपट रहा है. लेकिन आरबीआई ने इस पर ज़्यादा ज़ोर दिया कि ऐसे मामले दायर होने पर पुलिस किस तरह तुरंत कार्रवाई कर सकती है, और किस तरह इस बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जानी चाहिए’.

राव ने आगे कहा कि हालांकि आरबीआई के नियम हैं कि जिनमें कहा गया है कि केवल एनबीएफसी से जुड़े एप्स को ही वैध माना जाएगा, लेकिन फिर भी एक ‘उचित निगरानी प्रणाली’ की ज़रूरत है, चूंकि ‘धोखेबाज़ एप्स की संख्या बढ़ रही है’.

दिप्रिंट ने लोन एप्स मामले के बारे में आरबीआई को ईमेल किया, लेकिन इस ख़बर के प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला था. अगर आरबीआई से कोई जवाब मिलता है, तो इस ख़बर को अपडेट कर दिया जाएगा.

‘एक ठोस प्रक्रिया की ज़रूरत है’

तेलंगाना सरकार का कहना है कि बहुत से लोन एप्स एनबीएफसी के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं, जबकि वो उनसे जुड़े हुए नहीं होते. राज्य सरकार ने आरबीआई से अनुरोध किया है कि सभी एनबीएफसीज़ और उनसे जुड़े लोन एप्स की एक सूची अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे, जिससे बाज़ार में चल रहे अनैतिक एप्स की पहचान करने में सहायता हो सके.

नोट में कहा गया, ‘तेलंगाना में, 213 लोन एप्स और 80 एनबीएफसीज़ की पहचान की गई है. इनमें से क्रमश: केवल 80 और 33 ही आरबीआई के साथ पंजीकृत पाईं गईं, जबकि बाक़ी पंजीकृत नहीं थीं’.

आरबीआई के अनुसार, एनएफबीसी एक कंपनी होती है जो कंपनीज़ एक्ट,1956, के तहत पंजीकृत होती है और अन्य चीज़ों के अलावा, ऋण और अग्रिम देने का व्यवसाय में लगी होती हैं.

तेलंगाना के विशेष मुख्य सचिव वित्त के रामकृष्ण राव ने कहा कि उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई इस बारे में कुछ सुरक्षा उपाय करेगा.

उन्होंने कहा, ‘देखिए, अगर (एप्स) ग़ैर-क़ानूनी हैं, तो भी पैसा किसी बैंकिंग चैनल से जुड़ रहा है. उसके बिना पैसा स्थानांतरित नहीं हो रहा है’.

वित्त विभाग के एक और अधिकारी ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि ऐसा लगता है कि आरबीआई ने ज़्यादातर दायित्व राज्यों और पुलिस विभागों पर डाल दिया है, और उन्होंने ये भी कहा कि समस्या से निपटने के लिए इतना काफी नहीं है.

अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा नहीं हो सकता कि पुलिस लोन एप मामले दर्ज करती रहे, उनकी जांच करती रहे, और अभियुक्तों को गिरफ्तार करती रहे. हर राज्य में ऐसे सैकड़ों मामले हो रहे हैं. इससे निपटने के लिए सभी पार्टियों की ओर से एक ठोस प्रक्रिया की ज़रूरत है’.


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लोन एप्स कैसे करती हैं पीड़ितों का उत्पीड़न

तेलंगाना पुलिस के अनुसार ज़्यादातर लोन एप्स की कार्य प्रणाली एक जैसी होती है. जब यूज़र्स इनमें से किसी एप को डाउनलोड करते हैं, जो अकसर गूगल प्ले स्टोर से होता है, तो उनसे उनकी कॉन्टेक्ट लिस्ट, फोटोग्राफ्स, मैसेजेज़ आदि तक पहुंचने की अनुमति मांगी जाती है. अगर यूज़र सहमत हो जाता है तो होस्ट उसके फोन की तमाम जानकारियों तक पहुंच जाता है.

ऐसी एप्स का लोभ ये होता है कि ये तत्काल ऋण की पेशकश करती हैं, जिसके लिए यूज़र को ज़्यादा सुरक्षा गारंटी नहीं देनी होती, और आश्वासन के तौर पर सिर्फ पहचान के एक सबूत चाहिए होता है. ब्याज दरें आमतौर से बहुत ऊंची होती हैं- कभी कभी 100 प्रतिशत तक.

एक बार निर्धारित तारीख आ जाए और भुगतान न हुआ हो, तो ये लोन कंपनियां कर्ज़दार का उत्पीड़न शुरू कर देती हैं, और इसके लिए वो यूज़र के फोटोज़ और कॉन्टेक्ट लिस्टों तक पहुंच का फायदा उठाती हैं.

ऐसा देखा गया है कि रिकवरी एजेंट्स यूज़र्स के परिवार के सदस्यों को कर्ज़ अदाएगी में चूक के बारे में सूचित करने, या उनकी आपत्तिजनक तस्वीरों (असली या फर्ज़ी) को साझा करने की धमकी देते हैं.

गुंटूर की उस 24 वर्षीय महिला के साथ कथित रूप से यही हुआ, जिसने पिछले सप्ताह आत्महत्या करके अपनी जान ले ली, और अपने पीछे एक बेहद कष्टदायी वीडियो छोड़ गई, जिसमें उसने दावा किया कि उसे ये क़दम उठाने के लिए परेशान किया गया था.

ख़बरों के अनुसार, महिला ने दो कंपनियों के एप्स के ज़रिए क़रीब 20,000 रुपए का कर्ज़ लिया था, जो भारी ब्याज लगाने के बाद उससे 2 लाख रुपए मांग रहीं थीं. महिला का कहना था कि उसने रक़म अदा कर दी थी, लेकिन कंपनियां फिर भी धमकी दे रहीं थीं, कि उसकी निजी तस्वीरें उसके संपर्कों को भेज देंगी.

ख़ुद को फांसी पर लटकाने से पहले, महिला ने एक सेल्फी वीडियो बनाया जिसमें उसने कहा: ‘मैंने कर्ज़ लिया था और मुझे उसे सात दिन में लौटाना था. मैंने उसे पहले ही अदा कर दिया था…लेकिन वो मुझसे बार बार फिर से मांग रहे हैं, और मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं. मां, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है. मुझे अफसोस है. अगर मैं शाम 7 बजे तक उसे अदा नहीं करती, तो वो धमकी दे रहे हैं कि मेरी तस्वीरें सभी रिश्तेदारों को भेज देंगे. उन तस्वीरों में मैं नहीं हूं. मुझे बहुत अफसोस है’.

तेलंगाना के करीम नगर ज़िले के दाथू प्रसंत का मामला भी इसी तरह का था. एक एप के रिकवरी एजेंट्स के हाथों प्रताड़ित किए जाने के बाद, पिछले हफ्ते उसने रेल की पटरियों पर कटकर जान दे दी. उसके फोटो को कथित तौर पर बदलकर, उसके रिश्तेदारों को भेज दिया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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