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Thursday, 19 December, 2024
होमदेश'डल झील' को बचाने के लिए श्रीनगर के बाप-बेटी की जोड़ी कैसे दे रही है अपना योगदान

‘डल झील’ को बचाने के लिए श्रीनगर के बाप-बेटी की जोड़ी कैसे दे रही है अपना योगदान

तारिक अहमद पतलू श्रीनगर की डल झील में एम्बुलेंस शिकारा चलाते हैं. पिछले महीने पीएम मोदी ने 'मन की बात' में उनका जिक्र किया था.

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श्रीनगर,कश्मीर: डल झील पर बने हाउसबोट के अपने घर से आठ साल की जन्नत पर्यटकों को शिकारा से सैर करते हुए देख रही है. जैसे ही पर्यटकों में से एक पर्यटक ने खाली चिप्स का एक खाली पैकेट पानी मे गिराया, जन्नत अपना लाउडस्पीकर लेने के लिए दौड़ी औेर बोली ‘पानी मे प्लास्टिक मत फेंको.’ उसने दोहराया, ‘कृपया प्लास्टिक की थैलियां या कोई भी कचरा यहां डल झील मे ना फेंके, यह हमारा घर है.’

कुछ घंटो बाद ,वह अपने शिकारे पर बैठ जाती है और पानी से बोतलें, प्लास्टिक के पैकेट और कागज इकठा कर और उन सभी को एक बैग में भरना शुरू करती है. औेर जैसे -जैसे वह झील के चारों ओर चक्कर लगाती है, वह पर्यटकों से अनुरोध करती रहती है कि ‘कृपया झील मे प्लास्टिक की थैलियां या कोइ भी कचरा ना फेंके’. उसे यह करने मे एक घंटे से अधिक समय लगता है.

तारिक अहमद पतलू जो जन्नत के पिता है . वह हाउसबोट के बाहर अपने एम्बुलेंस शिकारा की मरम्मत करने में व्यस्त हैं, जिसका उपयोग वह झील में रहने वाले मरीजों को लाने ले जाने के लिए करते हैं.

ट्रस्ट की मदद से पतलू ने पिछले साल अगस्त में कोविड -19 के दौरान इस एम्बुलेंस का निर्माण किया गया था. कोरोनावायरस के डर से कोई भी शिकारा झील के उस पार ले जाने के लिए तैयार नहीं था.

पतलू को डल झील को पार कर अस्पताल पहुंचने में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. तभी उन्होंने फैसला किया था की झील में रहने वाले लोगों के लिए वह एम्बुलेंस का निर्माण करेंगे.

उस एम्बुलेंस में आपातकाली स्थिति से निपटने की सारी व्यवस्था मौजूद है जैसे की स्ट्रेचर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सिलेंडर और मेडिकल बॉक्स. अब ये झील के उस पार आपातकालीन स्थिति में लोगों को ले जा सकते हैं.

पिछले महीनें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात कार्यक्रम में पतलू का उल्लेख किया था और उनके काम को लेकर सराहना भी की थी.

हालांकि, अब पतलू को लगता है कि मीडिया कवरेज के साथ उन्हें लोगों का ध्यान भी उनकी तरफ गया लेकिन कोई भी इसे चालू रखने के लिए किसी ने भी मदद का हाथ आगे नहीं बढ़ाया.

पतलू, जो लगातार अलग- अलग सरकारी मंचों पर बोटिंग कम्यूनिटी की चिंताओं को सामने रखने का प्रयास किया है और उनकी बेटी जन्नत , जो झील की सफाई के लिए अभियान चला रही है का मन की बात में उल्लेख किया जाना उत्साह बढ़ाने के लिए तो ठीक है लेकिन काफ़ी नही है.

Jannat sits on the ambulance | Photo: Praveen Jain | ThePrint
जन्नत डल झील पर अपने पिता की एम्बुलेंस पर बैठी आइसक्रीम का आनंद ले रही है/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
As Jannat leaves for a boat ride, father Ahmad gives her instructions | Photo: Praveen Jain | ThePrint
कोविड के दौरान जन्नत ने अपने पिता के साथ मिलकर काम किया/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Jannat has been closely working with her father during covid | Photo: Praveen Jain | ThePrint
डल झील का एक दृश्य/ फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
Jannat does not leaver her father's side | Photo: Praveen Jain | ThePrint
डल झील पर एंबुलेंस पर अपने पिता के साथ जाती जन्नत/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
While Ahmed arranges the oxygen cylinder, Jannat wait outside | Photo: Praveen Jain | ThePrint
जब अहमद अपने शिकारा एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर फिट कर रहे हैं तब जन्नत बाहर इंतजार कर रही हैं/ फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
The boat ambulance has all the emergency facilities | Photo: Praveen Jain | ThePrint
इमरजेंसी सुविधा के साथ बोट एंबुलेंस/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

 

Jannat rides the boat | Photo: Praveen Jain | ThePrint
जन्नत बोट चलाती हुई/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Jannat urges the tourists not to litter the lake | Photo: Praveen Jain | ThePrint
जन्नत पर्यटकों से कहती हुई कि झील में गंदगी न डालें/फोटो: प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
Father -daughter duo have worked on keeping the environment clean | Photo: Praveen Jain | ThePrint
बाप-बेटी दोनों पर्यावरण को साफ सुथरा रखने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Jannat has been closely working with her father during covid | Photo: Praveen Jain | ThePrint
कोविड के दौरान अपने पिता के साथ जन्नत ने मिलकार काम किया/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट

 

As Bakri Eid approaches, Jannat wear mehendi | Photo: Praveen Jain | ThePrint
बकरीद के लिए जन्नत ने अपने हाथों पर मेहंदी लगाई/फोटो: प्रवीण जैन/दिप्रिंट
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