सांगोद (कोटा): राजस्थान के कोटा जिले के खजूरी ओदपुर गांव की संकरी गलियों में 70-वर्षीय शमशू अपने घर के बाहर एक पत्थर की मुंडेर पर बैठी हाथों से हरी तस्बीह (माला) फेर रही हैं और मन ही मन इबादत कर रही हैं. वे इन दिनों बेहद घबराई हुई है और छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाती हैं.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि वे 5 फरवरी से ऐसी ही स्थिति में हैं, जब उनके गांव की एक हिंदू महिला उनके दरवाज़े पर आईं और उन्हें बताया कि उनका 21-वर्षीय पोता लकी अली उनकी (हिंदू महिला की) 18 वर्षीय बेटी मुस्कान गौड़ के साथ भाग गया है. हालांकि, मुस्कान बालिग है, लेकिन उसके भागने से गांव में सांप्रदायिक तूफान मच गया है.
सिसकियों के बीच वे दिप्रिंट को बताती हैं, “मैंने एक साल पहले लड़की की मां से कहा था कि उसकी शादी कहीं और कर दो, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. हम साफ दिल के लोग हैं. यहां हर कोई शांति से रहता है, लेकिन इस घटना ने हिंदू और मुसलमानों के बीच खाई पैदा कर दी है.”
गांव के अधिकारियों के मुताबिक, खजूरी ओदपुर की आबादी 1,200 लोगों की है और इसमें से एक-चौथाई आबादी मुसलमानों की है.
मुस्कान और लकी अली के भागने की घटना ने गांव में पहले से मौजूद सांप्रदायिक आग में घी डालने का काम किया. खजूरी ओदपुर गांव का ये सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल — गणतंत्र दिवस के मौके पर एक नाटक के मंचन के बाद से धर्म परिवर्तन के आरोपों को लेकर ज्वलंत विवाद के बीच में है.
स्कूल के रिकॉर्ड के अनुसार, मुस्कान 2022 तक वहां की छात्रा थीं, जब उन्होंने 12वीं कक्षा पास की. मामले को बदतर बनाने के लिए 2019 के स्कूल के एडमिशन फॉर्म में उसका धर्म ‘इस्लाम’ लिखा गया है.
20 फरवरी को एक स्थानीय हिंदुत्व संगठन, सर्व हिंदू समाज ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें आरोप लगाया गया कि स्कूल में “लव जिहाद और धार्मिक रूपांतरण जैसी इस्लामी जिहादी गतिविधियां” थीं.
“लव जिहाद” एक टर्म है जिसे हिंदू दक्षिणपंथी एक कथित घटना के वर्णन में इस्तेमाल करते हैं, जहां मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को परिवर्तित करने के लिए शादी को एक हथियार के रूप में उपयोग करते हैं.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को संबोधित ज्ञापन में दावा किया गया है कि स्कूल के शिक्षक — अब प्रतिबंधित संगठन — पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हिस्सा थे. ऐसा तब हुआ जब विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और इसकी युवा शाखा बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों के साथ मिलकर मुस्कान के परिवार ने लकी के परिवार के खिलाफ अपहरण के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई.
सबूत के लिए हिंदू संगठनों ने स्कूल का एडमिशन फॉर्म दिखाया — एक दस्तावेज़ जो लड़की के परिवार ने एफआईआर दर्ज करते समय पुलिस के सामने पेश किया था.
21 फरवरी को शिक्षा मंत्री दिलावर, जो कि मजबूत हिंदुत्ववादी झुकाव वाले नेता हैं, ने तीन मुस्लिम शिक्षकों — मिर्ज़ा मुजाहिद, फिरोज़ खान और शबाना को निलंबित कर दिया.
अपनी ओर से स्कूल ने आरोपों से इनकार किया है और एडमिशन फॉर्म में हुई गलती को “मानवीय त्रुटि” के रूप में दर्ज किया है, जो दो छात्राओं के एक जैसे नाम के कारण हुई.
स्कूल के प्रिंसिपल कमलेश कुमार बैरवा ने दिप्रिंट को बताया, “सभी आरोप निराधार हैं. मैं 2021 से इस स्कूल में हूं, लेकिन मुझे इतने वर्षों में निलंबित शिक्षकों के व्यवहार में कोई दोष नहीं मिला. स्कूल में धर्म के आधार पर कभी भी कोई भेदभाव नहीं हुआ है.” उन्होंने आगे कहा, “त्रुटि” केवल एडमिशन के फॉर्म में थी, स्कूल के अन्य दस्तावेज़ में नहीं.
निलंबित शिक्षकों ने भी किसी भी गलत काम से इनकार किया है. उन्होंने दिप्रिंट से दावा किया है कि उन्हें उनकी मुस्लिम होने के कारण निशाना बनाया गया है, एक ने तो यहां तक कहा कि स्कूल से भागने का इस्तेमाल स्कूल को परेशान करने के लिए किया जा रहा था.
इस बीच, पुलिस का कहना है कि उन्हें मुस्कान मिल गई है और उनकी जांच अब पूरी हो गई है. कोटा ग्रामीण सर्कल अधिकारी राजू लाल ने दिप्रिंट को बताया, “हमारे यहां लड़की के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. हमने लड़की को ढूंढ लिया और उसे कोटा की अदालत में पेश किया. लड़की बालिग है और अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है.”
लेकिन गौड़ परिवार संतुष्ट नहीं है. उसके चाचा शिवराज ने दिप्रिंट को बताया, मुस्कान को “उकसाया” जा रहा है. उन्होंने कहा, “जैसे ही लड़की बालिग हुई, एक मुस्लिम लड़के ने उसका अपहरण कर लिया. इसमें स्कूल के शिक्षक भी शामिल हैं.”
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‘हम मुसलमान थे इसलिए निशाना बनाया गया’
यह सब इस साल गणतंत्र दिवस पर एक नाटक के साथ शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य “सर्व धर्म समभाव” (सभी धर्म समान हैं) का संदेश देना था. इसके बजाय, एक वीडियो प्रसारित होने के बाद इस घटना ने सांप्रदायिक विवाद पैदा कर दिया, जिसमें दावा किया गया कि एक हिंदू लड़के को जबरन टोपी पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप, धर्म परिवर्तन के आरोप लगे.
कमलेश बैरवा के अनुसार, स्कूल में 260 स्टूडेंट्स हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत मुस्लिम हैं. इसके 15 शिक्षकों में से 12 हिंदू हैं.
स्कूल के तीन निलंबित शिक्षकों को जिले से लगभग 500 किलोमीटर दूर बीकानेर में शिक्षा विभाग को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है.
अपनी ओर से शिक्षकों का कहना है कि उन्हें उनकी धार्मिक पहचान के कारण निशाना बनाया जा रहा है.
स्कूल में 42-वर्षीय शारीरिक शिक्षा शिक्षक मिर्ज़ा मुजाहिद को 22 फरवरी को जब व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया, तो उन्हें अपने निलंबन के बारे में पता चला. मुजाहिद, जो 2016 से वहां पढ़ा रहे थे, फूड पॉइजनिंग के एक बुरे मामले से उबर रहे थे और मेडिकल लीव पर थे.
उन्होंने कहा कि उन्हें निलंबन की कोई सूचना नहीं मिली. उन्होंने कहा, “जब मैं उस अस्पताल से घर लौटा जहां मुझे दो दिन पहले भर्ती कराया गया था, तो मुझे निलंबन आदेश के बारे में पता चला और मैं हैरान रह गया. बिना किसी सूचना के मुझे कैसे निलंबित किया जा सकता है?”
उन्होंने कहा, यह नाटक गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था और इसमें छात्रों ने हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा, लेकिन बजरंग दल जैसे संगठन उस हिस्से को तूल दे रहे हैं जहां एक बच्चे ने मुस्लिम की भूमिका निभाई है.
मुजाहिद ने कहा, “मैं बिना किसी गलती के कष्ट सह रहा हूं और इसकी वजह है मेरी मुस्लिम पहचान. इसलिए मुझे निशाना बनाया जा रहा है.”
उनके सहयोगी फिरोज़ खान इससे सहमत हैं. एक प्राथमिक शिक्षक, खान छह साल से स्कूल में हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमारे खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से आरोप लगाए गए. भागने को स्कूल का मुद्दा बना दिया गया. इससे गांव और स्कूल दोनों का माहौल खराब हो गया है और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच और भी दरार पैदा हो गई है.”
दिप्रिंट ने तीसरी शिक्षिका शबाना और जिला शिक्षा अधिकारी के.के. शर्मा से संपर्क की कोशिश की. जबकि शबाना ने फोन नहीं उठाया और शर्मा ने चल रही बोर्ड परीक्षाओं के कारण व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर, राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दावा किया कि शिक्षकों को “प्रारंभिक (विभागीय) जांच” के बाद निलंबित कर दिया गया था.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा रही है और जांच में जो पता चलेगा उसके आधार पर शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा सकता है.”
जब उनसे स्कूल के इनकार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा: “हमारे हाड़ौती (राजस्थान का एक क्षेत्र) में एक कहावत है — कोई डायन अपने को डायन नहीं कहती.”
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‘चौड़ी होती खाई’
यह पहली बार नहीं है कि शिक्षा मंत्री दिलावर को अपने विवादास्पद फैसलों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है. 26 जनवरी को — उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के शपथ लेने के लगभग दो महीने बाद — एक दलित महिला शिक्षक को निलंबित करने के लिए उनकी आलोचना की गई, जिसने गणतंत्र दिवस समारोह में हिंदू देवी सरस्वती की प्रार्थना करने से इनकार कर दिया था.
मुगल सम्राट अकबर को “बलात्कारी” कहने वाली उनकी बार-बार की गई टिप्पणियों के लिए भी उनकी कुछ आलोचना हुई है.
कोटा की घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राजस्थान में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है — एक हिंदू-बहुल राज्य जहां 2011 की जनगणना के अनुसार, मुसलमानों की आबादी 9.07 प्रतिशत है.
2023 में राज्य से सांप्रदायिक तनाव की कम से कम तीन घटनाएं सामने आईं.
हालांकि, केवल स्कूल के प्रिंसिपल और उसके निलंबित शिक्षकों ने ही जिला शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में धर्मांतरण के आरोपों को खारिज नहीं किया है, स्कूल के बाकी 12 शिक्षकों ने भी इसे खारिज कर दिया है.
निलंबन आदेश के दिन यानी 21 फरवरी को लिखे गए पत्र में कहा गया, “स्टाफ का कोई भी सदस्य धर्मांतरण के लिए उकसाता नहीं है और न ही जिहाद सिखाता है.” दिप्रिंट ने इस पत्र देखा है.
एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “अगर हम ऐसे ही चलते रहे तो स्कूल में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकेगा.”
निलंबित शिक्षकों के समर्थन में कई स्टूडेंट्स भी सामने आए हैं. पिछले सप्ताह स्कूल के एक दर्जन से अधिक छात्रों ने शिक्षकों की बहाली की मांग को लेकर विरोध मार्च निकाला था. विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले 10वीं कक्षा के छात्र शाहरुख हुसैन ने दिप्रिंट को बताया, “ये अच्छे शिक्षक हैं जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. उन्हें फंसाया जा रहा है.”
लेकिन बजरंग दल के एक क्षेत्र समन्वयक योगेश रेनेवाल ने दावा किया कि गांव में धर्म परिवर्तन की घटनाएं “बहुत लंबे समय से” चल रही थीं और शिक्षक “इसमें शामिल” थे.
रेनेवाल ने कहा, “हमें ग्रामीणों से खबर मिली थी कि गांव में धर्म परिवर्तन हो रहा है और फिर जब एक हिंदू लड़की गायब हो गई, तो हमने मुद्दा उठाया और ग्रामीणों से बात की.”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस शासन के दौरान इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन अब राज्य में भाजपा की सरकार है.”
ऐसा लगता है कि इस घटनाक्रम ने खजूरी ओदपुर में मुसलमानों को हिलाकर रख दिया है, जो फिरोज़ खान की तरह मानते हैं कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जो विश्वास था, वो अब टूट गया है. गांव के 24-वर्षीय निवासी इंसाफ अली ने कहा, जो लोग कभी साथ रहते थे वे अब एक-दूसरे को शक की निगाहों से देख रहे हैं.
उन्होंने पूछा, “कुछ बाहरी लोगों ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया. यह घटना राजनीति से प्रेरित है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है. स्कूल की प्रतिष्ठा धूमिल की जा रही है.”
इस बीच, शमशु अब अपना समय घर के बाहर बिताती हैं, अपने पोते लकी अली की वापसी के लिए प्रार्थना करती हैं. घटनाओं ने उन्हें स्तब्ध कर दिया है.
प्रार्थना से पहले वे बुदबुदाती हैं, “इस स्कूल में कोई मास्टर नहीं आना चाहेगा. छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाएगा.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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