नई दिल्ली: तमिलनाडु जो कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों के कारण कोरोनावायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से था वहां पिछले तीन दिनों से गुरुवार तक लगातार 40 से भी कम संक्रमित मरीजों की पहचान हुई जो ये दिखाता है कि कोविड-19 को अच्छी तरह से यहां रोका जा रहा है.
चेन्नई में मुख्यमंत्री एडापड्डी के पलानीस्वामी ने कहा कि गुरुवार को राज्य में 25 संक्रमित मामलों की पुष्टि हुई है जिससे कुल आंकड़ा बढ़कर 1267 हो गया है.
कुल आंकड़ों में से 1134 से ज्यादा यानि की करीब 90 प्रतिशत का तबलीगी जमात से संबंध हैं जिसका कार्यक्रम नई दिल्ली में हुआ था. तमिलनाडु की स्वास्थ्य सचिव डॉ बीला राजेश ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी.
वायरस के फैलाव को रोकने में तमिलनाडु सरकार के लिए क्या काम आया?
राजेश ने कहा, ‘वो भीलवाड़ा मॉडल तो नहीं ही थी’.
राजस्थान का ‘भीलवाड़ा मॉडल‘ कोरोना के फैलाव को रोकने में इतना सफल हुआ कि केंद्र सरकार ने राज्यों से इसे अपनाने को कहा और कड़ाई से कंटेनमेंट करने को कहा.
राजेश ने कहा कि लेकिन तमिलनाडु में वायरस के फैलाव को सरकारी मशीनरी के सहयोगात्मक कदमों के द्वारा रोका गया है जिसमें कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और लाखों लोगों को क्वारेंटाइन करना भी शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘जब भीलवाड़ा में मामले बढ़ने लगे तब इस मॉडल को बनाया गया. तमिलनाडु ने जिस मॉडल को अपनाया है वो तब बनाया गया था जब पहला संक्रमित मामला सामने आया था. मामले बढ़ने का हमने इंतजार नहीं किया. सरकारी मशीनरी के उपयोग के जरिए हमने रोकथाम करने की कोशिश की जिसने हमारे लिए काम भी किया’.
राजेश ने कहा कि राज्य में बड़े स्तर पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग, सर्विलांस मॉडल को अपनाया गया जिसने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के साथ-साथ काफी मदद की.
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उन्होंने कहा, ‘हमने अलग स्तर पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जिसमें लाखों लोगों को आइसोलेशन में रखा गया’.
‘कमजोर समूहों’ पर ध्यान
कोविड-19 महामारी ने कई स्वास्थ्य सेवाओं को देशभर में प्रभावित किया है जिनमें डायलिसिस, गर्भवती महिलाओं की देखरेख, रक्तदान शामिल हैं. लेकिन तमिलनाडु में ऐसा नहीं है.
राजेश ने कहा, ‘तमिलनाडु की रणनीति के तहत सबपर ध्यान दिया जा रहा है जिसमें कमजोर तबके के लोग भी हैं जहां सरकार पूरी सक्रियता के साथ योजना बनाकर हर तरह के लोगों का शुरूआत से ही ध्यान रख रही है’.
‘हमने प्रभावित तबकों की पहचान की जिसमें गर्भवती महिलाएं, डायलिसिस की जरूरत वाले लोग, एड्स, टीबी के मरीज और उनकी भी जिन्हें रोजाना ब्लड ट्रांसफ्यूसन की जरूरत होती है, शामिल हैं.’
अभी तक राज्य में 1.5 लाख गर्भवती महिलाएं हैं जिनमें से 35 हजार का सुरक्षित तौर पर प्रसव हो चुका है.
राजेश ने कहा कि राज्य ने हाई-रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान की और उन्हें अस्पताल में पहले ही भर्ती करा दिया. और सभी टीवी और एड्स के मरीजों को दो महीने की दवा पहुंचा दी गई है.
उन्होंने कहा, ‘राज्य में 2900 ऐसे मरीज हैं जिन्हें सप्ताह में दो बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. उनके लिए राज्य ने अस्पताल से लेकर घर तक के लिए एंबुलेंस की सुविधा मुहैया कराई है’.
राज्य में डेथ ऑडिट भी किया जा रहा है ताकि सभी मौतों की जांच हो सके.
राजेश ने कहा, ‘हमारे आंकड़े राष्ट्रीय और वैश्विक ट्रेंड के अनुरुप ही हैं. ज्यादातर मौतें बड़ी उम्र वालों की जो 69 से ज्यादा के हैं या जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है, उनकी हो रही है. हमें ये भी देखने में मिला है कि ऑक्सीजन थेरेपी में ज्यादा लोग सरवाइव कर रहे हैं वेंटिलेटर के मुकाबले’.
को-मोर्बिडिटी किसी व्यक्ति के शरीर में एक से ज्यादा बीमारी को कहते हैं. ये विकार एक दूसरे से स्वतंत्र हो सकते हैं, या एक ही अंतर्निहित कारणों के कारण आपस में जुड़े हो सकते हैं.
बड़े स्तर पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
स्वास्थ्य सचिव का दावा है कि बड़े और आक्रमक तौर पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग ने उनके लिए काफी काम किया है.
राज्य ने पुलिस, राजस्व सहित कई विभागों को लोगों की ट्रेसिंग करने के लिए काम में लगाया था जब एयरपोर्ट प्रशासन की तरफ से उन्हें भेज दिया गया था.
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‘हमने हवाई अड्डों से आव्रजन डेटा लिया और अंतर-राज्य यात्रियों का पता लगाया. आक्रामक ट्रेसिंग के कारण, लोगों को हमने बड़ी संख्या में क्वारेंटाइन किया. 20 हजार विदेशी यात्रियों के साथ हमने लगभग एक लाख लोगों को क्वारेंटाइन किया.’
राजेश ने कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने वायरस के संक्रमण को रोकने में काफी अहम भूमिका निभाई है.
राजेश ने कहा, ‘भारत इसके फैलाव को रोकने में अच्छा काम कर रहा है और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने बड़ी भूमिका निभाई है. लेकिन ये नहीं मान लेना चाहिए कि हमने अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है. यह एक लंबी यात्रा होने जा रही है’.
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Please address as Beela, not Rajesh. Women deserves to be addressed by her first name.