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गुरूवार, 3 जुलाई, 2025
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टेकऑफ ‘अभी या कभी नहीं’ जैसा पल होता है. पायलटों के पास नहीं है सेफ्टी हाईट और सोचने का समय

अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोइंग ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया. उड़ान भरने के तुरंत बाद पायलट ने ‘मेडे’ कॉल दी थी.

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नई दिल्ली: अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट, जिसमें 242 लोग सवार थे, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है।

टेकऑफ और लैंडिंग किसी भी उड़ान के दौरान सबसे खतरनाक समय माने जाते हैं।

विमान दुर्घटना के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली एक अमेरिकी कानूनी फर्म के अनुसार, 1983 से 2019 तक सभी विमानन दुर्घटनाओं में से लगभग आधी दुर्घटनाएं उड़ान भरने या उतरने के दौरान हुईं.

एयर इंडिया की यह बोइंग 787‑8 ड्रीमलाइनर जहाज अहमदाबाद से टेकऑफ होकर मेघाणी नगर इलाके में क्रैश हुई. फ्लाइट के टेकऑफ पर 1:39 बजे पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को ‘मेडे कॉल’ दी.

DGCA के फ्लाइंग ट्रेनिंग के डिप्टी डायरेक्टर महेंद्र महाजन कहते हैं: “टेकऑफ फ्लाइट का सबसे अहम हिस्सा होता है. इस वक्त इंजन पूरी ताकत से चलते हैं और विमान की परफॉर्मेंस व मौसम जैसे कई कारक परीक्षण में होते हैं.”

टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान रनवे की लंबाई और ढलान, हवा की दिशा और पक्षियों की गतिविधि भी जोखिम पैदा कर सकती हैं. 2009 में हडसन नदी में हुई दुर्घटना का कारण दोनों इंजनों में पक्षियों का फंस जाना था.

एक अनुभवी एयर इंडिया एक्सप्रेस पायलट, जिन्होंने अपनी पहचान न बताने की शर्त पर बात की, कहते हैं:
“प्रैक्टिस से आदत तो होती है, लेकिन इसकी बीच में एड्रेनालिन हाई रहता है और हर बात पर चौकस रहना पड़ता है. जब पर्यावरण में अचानक बदलाव होते हैं, तो तनाव बढ़ जाता है.”

एक नेचर जर्नल में छपी स्टडी में यह बताया गया है कि टेकऑफ के समय विमान की ‘पिच एटिट्यूड’ (निचले पहियों का जमीन से उठा-उठा कोण) सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण होती है.

“टैक्सी से टेकऑफ तक, विमान को कई ऑपरेशनल परिवर्तन करने होते हैं, ताकि सुरक्षित टेकऑफ सुनिश्चित हो सके,” स्टडी में कहा गया है.

शून्य स्वतंत्रता

महाजन ने उड़ान भरते विमान की तुलना उस इंसान से की जो पहाड़ी चढ़ रहा हो. दोनों स्थितियों में शरीर या विमान पर बहुत ज्यादा दबाव होता है, जिसे अलग-अलग हिस्सों को सहन करना पड़ता है. विमान के लिए, यह दबाव इंजन, उसकी प्रदर्शन क्षमता और एयर ट्रैफिक कंट्रोल जैसे मानवीय माध्यमों पर होता है.

टेक-ऑफ पायलटों के लिए ‘अब या कभी नहीं’ जैसा पल होता है. जब विमान हज़ारों फीट की ऊंचाई पर होता है, तब निर्णय लेने के लिए कुछ समय होता है. लेकिन टेक-ऑफ के दौरान कोई भी चूक की गुंजाइश नहीं होती.

एयर इंडिया एक्सप्रेस के एक पायलट ने यह भी बताया कि सिम्युलेटर सत्रों के दौरान, प्रशिक्षुओं को “अनिवार्य रूप से” सिखाया जाता है कि V1 स्पीड पर इंजन फेल हो जाए तो कैसे संभालें. V1 स्पीड वह गति होती है जिस पर विमान उड़ान भरता है.

महाजन ने कहा, “पायलटों को टेक-ऑफ के दौरान किसी भी असामान्यता को पहचानना सिखाया जाता है. हर पायलट को संकट की स्थितियों के बारे में पढ़ाया जाता है.” उन्होंने कहा, “जब आप हज़ारों फीट ऊपर होते हैं — तब आपके पास ‘सुरक्षा ऊंचाई’ होती है. निर्णय लेने के लिए कुछ समय भी होता है.”

वरना, महाजन ने कहा, “आपके पास सिर्फ़ एक ही विकल्प होता है — अपने फ़ैसले को तुरंत लागू कर देना, क्योंकि आपके पास समय नहीं होता.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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