scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशस्वच्छ शहरों की 5 स्टार रैंकिंग में नवी मुंबई की एंट्री, बंगाल का हाल बेहाल

स्वच्छ शहरों की 5 स्टार रैंकिंग में नवी मुंबई की एंट्री, बंगाल का हाल बेहाल

ताज़ा रिपोर्ट में स्वच्छता के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, कर्नाटक के मैसूर और महाराष्ट्र की नवी मुंबई को फ़ाइव स्टार रेटिंग मिली है.

Text Size:

नई दिल्ली : स्वच्छ भारत (शहरी) पर केंद्र सरकार की एक ताज़ा रिपोर्ट आई है. फ़ाइव स्टार रेटिंग में पहले तीन शहर शामिल थे, लेकिन 22 नवंबर 2019 तक के ताज़ा आंकड़ों में फ़ाइव स्टार रेटिंग वाले शहरों में नवी मुंबई अपनी जगह बनाने में सफ़ल रहा है. अगर केंद्र सरकार की इस रिपोर्ट को मानें तो पश्चिम बंगाल के 52 शहरी स्थानीय निकायों के अलावा बाकी का शहरी भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया है.

ताज़ा रिपोर्ट में आंकड़ों के सहारे मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 6 महीने में स्वच्छ भारत की उपलब्धियां बताई गई हैं. स्वच्छता के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, कर्नाटक के मैसूर और महाराष्ट्र की नवी मुंबई को फ़ाइव स्टार और अन्य 67 शहरों को थ्री स्टार रेटिंग मिली है.

जनवरी 2018 में शहर विकास मंत्रालय ने ‘स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल फॉर गार्बेज फ्री सिटी’ शुरू किया था. 2019 में इस प्रोटोकॉल में हुए बदलावों के बाद शहरों को कूड़े से निपटने से लेकर इसे कूड़ा मुक्त करने जैसी बातों के लिए इन्हें स्टार रेंटिग दी जाती है.


यह भी पढ़ेंः शिक्षक ने अपनी सैलरी से बनाया सरकारी स्कूल में टॉयलेट, बढ़ी छात्राओं की संख्या


स्टार रैंकिंग के मामले में फाइव स्टार शहरों में एक नया शहर और थ्री स्टार शहरों में 14 नए शहर जुड़े हैं. हरदीप सिंह पुरी के शहरी विकास मंत्रालय की इस रिपोर्ट को मानें तो स्वच्छ भारत अभियान (शहरी) मामले में तय लक्ष्यों से ज़्यादा काम हुआ है.

बंगाल के बारे में शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘वहां की राज्य सरकार हमारी योजनाओं पर प्रतिक्रिया नहीं देती. हमने इस मामले में कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. दुर्भाग्य से स्वच्छता से जुड़ी उनकी कोई राज्यस्तरीय स्कीम भी नहीं है.’

ताज़ा आंकड़े

2011 की जनगणना के मुताबिक कुल शहरी निकायों की संख्या 4041 है और मंत्रालय के ताज़ा डेटा के मुताबिक इनकी संख्या बढ़कर 4372 हो गई है. 31 मई तक कुछ अपवादों के साथ ज़्यादातर शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया था.

अगर तुलनात्मक तौर पर देखें तो आंकड़े के मुताबिक मई 2019 से नवंबर 2019 तक काफ़ी कुछ बदला है. जैसे मई तक 4170 शहरी निकायों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था. नवंबर तक ये संख्या बढ़कर 4320 हो गई. यानी 150 और निकायों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया.

मई तक 3656 शहरी निकयों को खुले में शौच से मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया गया था, नवंबर तक ये संख्या बढ़कर 4149 हो गई. यानी 493 नई निकायों को खुले में शौच से मुक्ति का सर्टिफिकेट मिला. ऐसे निकाय जिन्हें खुले में शौच से मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जा चुका है और उन्होंने इस स्थिति को बनाए रखने के अलावा और बेहतर करने के प्रयास किए हैं, उन्हें ओडिएफ़+ का सर्टिफिकेट मिलता है.

ओडिएफ़+ सर्टिफिकेट वालों की संख्या मई तक 377 थी, अब ये 684 हो गई है. यानी इस संख्या में 307 शहरी निकायों का इज़ाफ़ा हुआ है. जो शहर मल को इकट्ठा करने से लेकर इसके निष्पादन तक की भूमिका ठीक से निभाते हैं उन्हें ओडिएफ़++ का सर्टिफिकेट मिलता है. मई तक ऐसे शहरों की संख्या 167 थी, अब ये 284 हो गई है. यानी इसमें 117 निकाय अपनी जगह बनाने में सफ़ल रहे हैं.

मई तक जहां 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी निकायों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था, वहीं नवंबर तक ये संख्या बढ़कर 34 हो गई है. यानी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 12 नए राज्य एवम् केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी निकाय इनमें शामिल हुए हैं.

निजी घरों में शौचालय बनाने का लक्ष्य जहां 58,99,637 का तय किया गया था, वहीं ऐसे 60,96,137 शौचायल बनाए जा चुके हैं और 4,81,233 शौचायलों को बनाने का काम जारी है. रिपोर्ट में मंत्रालय ने इस बात को मुख्य आकर्षण के साथ बताया है कि इस मामले में तय लक्ष्य से 100 प्रतिशत से ज़्यादा काम हुआ है.

सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के मामले में 5,07,587 का लक्ष्य रखा गया है जबकि रिपोर्ट की मानें तो अब तक 5,61,298 शौचालय बनाए जा चुके हैं. 40,271 पर काम जारी है. रिपोर्ट में मंत्रालय ने इस बात को भी मुख्य आकर्षण के साथ दिखाया है कि काम 100 प्रतिशत से ज़्यादा हुआ है.

स्वच्छ शहर और गूगल मैप पर सार्वजनिक शौचालय

29 नवंबर तक 684 शहरों को ओडिएफ़+ और 284 शहरों को ओडिएफ़++ के सर्टिफ़िकेट दिए जा चुके हैं. रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र है कि 684 शहरों में 57,000 सार्वजिनक शौचालय हैं. इनमें 500 शौलाचय नेशनल हाईवे पर हैं. इन सभी को गूगल मैप पर लाइव एक्सेस किया जा सकता है. रिपोर्ट का दावा है कि इन शौचालय से 50 प्रतिशत शहरी आबादी को सुविधा मिल रही है.


यह भी पढे़ंः गंगा स्वच्छता के दस कदम, ना तो सरकारों को समझ आते हैं ना ही पसंद


स्वच्छ भारत मिशन0 को पीएम नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को राजघाट से लॉन्च किया था. राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि है. इस मिशन का ध्येय भारत को ख़ुले में शौच से मुक्त करना है. इसके तहत ये तय किया गया था कि 2019 में गांधी की 150वीं जयंती तक भारत को खुले में शौच से मुक्त कर दिया जाएगा.

मिशन की सफ़लता के लिए केंद्र को लगभग दो लाख़ करोड़ के ख़र्च से ग्रामीण भारत में एक करोड़ के करीब शौचालय बनाने थे. इसी सिलसिले में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर को ये दावा किया कि पूरा देश खुले में शौच से मुक्त हो गया है. जबकि जुलाई से अक्टूबर 2018 के बीच नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (एनएसओ) की रिपोर्ट अलग तस्वीर पेश करती है.

दरसअल, सरकारी दावा है कि 2018 तक ग्रामीण भारत में 95 प्रतिशत घरों में शौचालय पहुंच गए थे जबकि एनएसओ की रिपोर्ट बताती है कि तब तक 71 प्रतिशत घरों तक ही शौचालय पहुंच पाए थे. कुछ राज्यों का बहुत बुरा हाल है जैसे झारखंड में 42 प्रतिशत के करीब ग्रामीण आबादी के पास शौचालय नहीं है. हालांकि, एनएसओ की मानें तो लोगों ने सर्वे के दौरान उनसे पूरा सच नहीं बताया.

share & View comments