नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जिस पार्टी की सरकार है उसके पास अपने अधिकारियों को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है. जनता सरकार को बहुमत देकर लाती है, लेकिन केंद्र ने उसका हाथ बांध कर पंगु बना दिया है. सीएम ने कहा कि हम इस मामले में वकीलों के पास जाएंगे. ‘मैं दिल्ली की जनता से कहना चाहता हूं कि अब फैसला आपको फिर करना है कि कैसी सरकार चाहिए. हमें 10 दिन एलजी के घर पर धरना करना पड़ेगा तो सरकार कैसे चलेगी. अब समाधान यही रह जाता है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. मैं दिल्ली के लोगों से कहना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला, न केवल दिल्ली के लोगों के खिलाफ है, बल्कि संविधान के भी खिलाफ है.’ 40 साल से एसीबी दिल्ली सरकार के पास थी, अब नहीं है. अगर कोई भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री से करेगा तो उस पर कार्यवाही कैसे होगी?
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच चल रहा विवाद ‘दिल्ली का बॉस कौन’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 6 अहम मुद्दों पर फैसला सुनाया. हालांकि, ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दो जजों की पीठ में सहमति नहीं बन पाई, इसलिए इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एसीबी और कमीशन ऑफ इन्क्वायरी का अधिकार केंद्र सरकार को दिया है. जस्टिस भूषण ने कहा कि सभी अधिकारी केंद्र सरकार के अधीन आते हैं. जस्टिस ए के सीकरी ने कहा कि ज्वाइंट सेक्रेटरी और उसके उपर के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग एलजी के अधिकार क्षेत्र में है जबकि दूसरे अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग दिल्ली सरकार के अधीन है. लेकिन दोनों के बीच विवाद की स्थिति में दिल्ली के उपराज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका लगा है.
इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने कहा,’जजमेंट बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सुप्रीम कोर्ट की बड़ी इज्जत करते हैं. कोई सरकार अपने ऑफिसर का ट्रांसफर भी नहीं कर सकती तो वो चलेगी कैसे. जिस पार्टी को 70 में से 67 सीट मिली उससे पोस्टिंग का अधिकार छीन लिया गया. और सारे अहम अधिकार विपक्ष को दे दिए गये.’
उन्होंने कहा कि ये जजमेंट संविधान के खिलाफ है. अगर हमें अपना काम कराने के लिए धरना देना पड़े तो कैसे काम होगा. वह दिल्ली के जनता से अपील करेंगे कि इस लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट आम आदमी पार्टी को दीजिए.
दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे विवाद ‘दिल्ली का बॉस कौन’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी और उसके ऊपर के अधिकारियों जैसे अहम पदों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल के पास रहेगा. वहीं बाकी अधिकारियों की पोस्टिंग दिल्ली सरकार के नियंत्रण में रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को तगड़ा झटका लगा है.
एक सवाल कि ये जजमेंट संविधान के खिलाफ है? वो तो है, लेकिन इसका इलाज़ एक ही है. और वह है पूर्ण राज़ का दर्ज़ा. मैं दिल्ली की जनता से अपील करूंगा कि इस लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट आम आदमी पार्टी को देना.
दूसरे सवाल के जवाब में कहा कि इस लोकसभा में बीजेपी को हराना है. देश में जहां-जहां बीजेपी की सरकार है, वहां मुश्किल खड़ी की जा रही है.
शीला दीक्षित से जुड़े एक सवाल के जवाब कि वह शीला जी का बहुत सम्मान करते हैं. कई बार मुद्दे बड़े होते हैं, जो शक्तियां शीला जी के पास थीं, उसकी 10 फीसदी शक्तियां भी हमारे पास नहीं है. क्या शीला जी कह सकती हैं कि उनके पास अधिकारियों की पोस्टिंग करने के अधिकार नहीं थे. उनके पास एसीबी थी.
केजरीवाल ने कहा कि शीला दीक्षित ने जितना काम पिछले पन्द्रह सालों में किए, उससे कई गुना काम हमने पिछले चार सालों में कर दिखाए हैं. दिल्ली के अंदर तो हालत यह है कि काम मनीष करेगा, लेकिन ऑफिसर की पोस्टिंग विपक्ष करेगा.
इस सवाल पर कि आप बहुत लालायित दिख रहें हैं गठबंधन को लेकर लेकिन कांग्रेस आपको तवज्जो नहीं दे रही हैं. केजरीवाल ने कहा कि हमारे मन में देश को लेकर चिंता है. किस तरह से नोटबंदी से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. किस तरह से देश के अंदर मॉब लिंचिंग हो रही है. किस तरह से संस्थानों को बर्बाद किया जा रहा है. इन सब चीज़ों को लेकर हमारे मन में चिंता है.
जब यह पूछा गया कि क्या गठबंधन की बात पूरी तरह से खत्म हो गई है या अभी भी गुंजाइश है.
केजरीवाल ने कहा, ‘उन्होंने लगभग मना कर दिया.’
अंत में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर हमें दिल्ली के अंदर सातों सीट आ गई तो हम पूर्ण राज्य का दर्जा लड़ कर ले लेंगे.