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Monday, 6 May, 2024
होमदेशसुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन समेत 6 दोषियों को रिहा किया

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन समेत 6 दोषियों को रिहा किया

नलिनी श्रीहरन, उनके श्रीलंकाई पति मुरुगन, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, संथन और जयकुमार को रिहा करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा अपीलकर्ताओं को किसी अन्य मामले में आवश्यक न होने पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन समेत 6 दोषियों को रिहा करने के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने इस मामले में कदम नहीं उठाया.

3 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने नलिनी की समय से पहले रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर मामले को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया था.

नलिनी श्रीहरन, उनके श्रीलंकाई पति मुरुगन, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, संथन और जयकुमार को रिहा करने से पहले, शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कहा, ‘अपीलकर्ताओं को किसी अन्य मामले में आवश्यक नहीं होने पर फ्री होने का निर्देश दिया जाता है.’

जस्टिस बी.आर. गवई और बीवी नागरत्ना ने मई में एक निर्देश के बाद आदेश पारित किया, जिसने मामले के एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को पहले ही रिहा कर दिया था.

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2018 में, तमिलनाडु सरकार ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे इन दोषियों की समय से पहले रिहाई का समर्थन किया था.

तमिलनाडु सरकार ने पहले नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन किया था, जिसमें कहा गया था कि आजीवन कारावास की सजा के लिए उसकी 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी थी.

ये सभी दोषी राजीव गांधी की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे. इन मुरुगन, राबर्ट पेस, आरपी रविचंद्रन शामिल हैं.

सभी सात दोषी 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में राजीव गांधी की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे थे.

पीठ ने शुक्रवार को यह भी नोट किया कि दोषियों ने जेल में तीन दशक से अधिक समय बिताया और कैद के दौरान उनका आचरण संतोषजनक था.

शीर्ष अदालत ने नलिनी के बारे में कहा, ‘… वह एक महिला है और तीन दशकों से अधिक समय से कैद है… उसने कई तरह के अध्ययन भी किए हैं.’

नलिनी और रविचंद्रन दोनों 27 दिसंबर, 2021 से पैरोल पर रहे हैं, जैसा कि तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982 के तहत स्वीकृत है.

नलिनी ने 30 साल से अधिक समय तक वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में अपनी सजा काटी, जबकि रविचंद्रन मदुरै में केंद्रीय जेल में रहा.

मई 1999 में, शीर्ष अदालत ने चार दोषियों – पेरारिवलन, मुरुगन, संथान और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था.

नलिनी की मौत की सजा को 2001 में इस आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि उसकी एक बेटी है.

2014 में, शीर्ष अदालत ने पेरारिवलन, संथान और मुरुगन की मौत की सजा को उनकी दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर उम्रकैद में बदल दिया था.


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