नई दिल्लीः राजस्थान में गुर्जरों व अन्य जातियों को पांच फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने से राजस्थान सरकार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के गुर्जरों और चार अन्य दूसरे समुदायों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरी में 5 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर शुुुक्रवार को स्टे लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि यह राजस्थान हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश है, हम इसमें दखल नहीं दे सकते. राज्य सरकार के राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम-2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों, गाड़िया लुहार, बंजारा समुदाय, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) को पांच फीसदी विशेष आरक्षण दिया है, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
गौरतलब है कि इस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है. इससे पहले पिछली भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने राज्य में 5 फीसदी आरक्षण की मांग पर सरकारी नौकरियों में गुर्जरों को एक फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दी थी.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 10 फरवरी 2019 की गुर्जरों ने पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैसला के नेतृत्व में बूंदी हाईवे जाम की चेतावनी दी थी. इससे दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनों की आवाजाही रुक गई थीं. यह समुदाय इस दौरान राज्य में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठा था. रेलवे ट्रैक पर तंबू गाड़कर अलाव जलाकर अपनी मांग पर अड़ा था. इस दौरान राजस्थान के सीएम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आंदोलनकारियों से शांति बनाये रखने की अपील की थी.
गौरतलब है कि राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अक्सर गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे हैं. उनकी मांग है कि मानव संसाधन मसलन- सरकारी नौकरियों, शिक्षा आदि में उनका प्रतिनिधित्व काफी कम है. इसे बढ़ाया जाए. इसको लेकर वह कई बार आंदोलन कर चुके हैं. ट्रेनें व सार्वजनिक वाहनों को जाम कर चुके हैं.