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Monday, 4 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या फैसले को चुनौती देने वाली सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज़

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इसमें मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर दिए गए फैसले को चुनौती देने वाले 18 पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ इन याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. इसमें मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे.

बता दें कि 2 दिसंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा था, ‘हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हमारी पिटीशन 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी. लेकिन हमें रिव्यू पिटीशन डालनी चाहिए. यह हमारा अधिकार है.’

सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज्जाक खान ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अयोध्या फैसले पर कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा था कि बोर्ड की बैठक में ये फैसला बहुमत से लिया गया है.

बता दें कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन राम लला को दी थी और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था.

भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अच्छा है.

राम मंदिर निर्माण में अब कोई बाधा नहीं : विहिप अध्यक्ष

अयोध्या मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाएं खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के बृहस्पतिवार के निर्णय का विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने स्वागत किया और कहा कि उन्हें भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण में अब कोई बाधा नजर नहीं आती.

पुनर्विचार याचिकाओं के जरिये उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के उस फैसले को चुनौती दी गयी थी, जिसके तहत अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया था.

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने से कहा, ‘हम अयोध्या मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने के शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं.’ मध्यप्रदेश और राजस्थान के उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश कोकजे ने दावा किया कि ये याचिकाएं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की राह में अवरोध खड़े करने के लिये बगैर किसी जायज आधार के दायर की गयी थीं और इनमें मुकदमे से जुड़े कोई नये तथ्य भी नहीं थे.

कोकजे ने कहा, ‘अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण में मुझे अब कोई कठिनाई दिखायी नहीं देती. मेरा मानना है कि निर्माण कार्य शुरू होने के दो साल के भीतर यह मंदिर बनकर तैयार हो जाना चाहिये.’ विहिप अध्यक्ष ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को संसद की हरी झंडी मिलने पर भी प्रसन्नता जतायी और इस प्रस्तावित कानून को मानवीय करार दिया.

उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1947 में भारत का बंटवारा राजनेताओं ने किया था. बंटवारे के इतने साल गुजर जाने के बाद भी अगर पाकिस्तान और पड़ोस के अन्य मुस्लिमबहुल राष्ट्रों में हिंदुओं को सताया जा रहा है, तो हम उन्हें यह तो नहीं कह सकते कि वे शरण लेने भारत क्यों आये?’ कोकजे ने कहा कि देश के कुछ लोग वोट बैंक की राजनीति के चलते सीएबी का विरोध कर रहे हैं.

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