scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशअर्णब गोस्वामी के मामले को मुंबई पुलिस से सीबीआई को देने पर सुप्रीम कोर्ट का इंकार

अर्णब गोस्वामी के मामले को मुंबई पुलिस से सीबीआई को देने पर सुप्रीम कोर्ट का इंकार

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उसी प्रसारण पर कोई नया मामला दायर नहीं किया जा सकता है जिसकी जांच पहले से ही मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही हो.

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या के मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी के 21 अप्रैल के कथित रूप से मानहानिकारक समाचार कार्यक्रम के सिलसिले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से मंगलवार को इंकार कर दिया.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ये प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये अर्णब गोस्वामी को सक्षम अदालत के पास जाना होगा. हालाकि, पीठ ने अर्णब गोस्वामी को किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से तीन सप्ताह का संरक्षण प्रदान कर दिया है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने कई राज्यों में गोस्वामी के खिलाफ दायर कई एफआईआर को खारिज कर दिया, जिसमें उनपर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और पालघर की घटना पर अपने चैनल पर चर्चा के दौरान ‘भड़काऊ बयान’ देने का आरोप है.

अदालत ने यह भी आदेश दिया कि उसी प्रसारण पर कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी, जिसने कथित तौर पर गांधी को बदनाम किया.

मामले में पहली प्राथमिक, नागपुर में दर्ज की गई, जिसकी अब तक जांच मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही है.


यह भी पढ़ें: पैसा खत्म और राशन भी नहीं मिल रहा- मसूरी में फंसे 53 छत्तीसगढ़ी मजदूरों ने लगाई मदद की गुहार


अदालत ने कहा था कि गोस्वामी के खिलाफ शिकायतें भाषा, सामग्री और अनुक्रमण के साथ लगभग एक-दूसरे के समान थीं, और यह दावा किया गया कि कार्रवाई के एक ही कारण पर कई एफआईआर और शिकायतें नहीं की जा सकती हैं.

पीठ ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना सर्वोच्च न्यायालय का कर्तव्य है, जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता शामिल है.

गोस्वामी ने सभी एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने की मांग की थी कि ये अनुच्छेद 19 (1) (ए) (बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

24 अप्रैल को, अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी, और नागपुर में एक को छोड़कर, उनके खिलाफ सभी एफआईआर पर रोक लगा दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा और अपूर्वा मंधानी के इनपुट के साथ)

share & View comments