नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का निर्देश देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.
जस्टिस जेके माहेश्वरी और पीएस नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद वकील जया सुकिन ने अपनी जनहित याचिका वापस लेने की मांग की और पीठ ने अधिवक्ता के अपनी याचिका वापस लेने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.
सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता वकील जया सुकिन से कहा, “हम यह नहीं जानते कि आप इस तरह की याचिकाएं लेकर क्यों आते हैं लेकिन अनुच्छेद 32 के तहत इस पर विचार करने में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है.”
जनहित याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है.
सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि “लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी किया गया बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण, भारतीय संविधान का उल्लंघन है.”
दलील के अनुसार, “प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है. भारत के राष्ट्रपति को राज्यपालों जैसे संवैधानिक पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए अधिकृत किया गया है, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों के न्यायाधीश, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयुक्त के अध्यक्ष और प्रबंधक, मुख्य चुनाव आयुक्त, वित्तीय आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त.
दलील में कहा गया कि प्रतिवादी (सचिव और संघ) का निर्णय अवैध, मनमानीय और अनुचित, अधिकार का दुरुपयोग और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ था.
इसमें आगे कहा गया कि उत्तरदाताओं ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है और संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है. संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन – राज्यसभा (राज्यों की परिषद) और लोकसभा (हाउस ऑफ पीपल) शामिल हैं. राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद परिसर का उद्घाटन करेंगे. कम से कम 21 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाय उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करने के पीएम के फैसले का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
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