नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को गुजरात सरकार को बिलकिस याकूब रसूल को 50 लाख रुपये मुआवजा राशि देने और उसका पुनर्वास करने के आदेश दिए. बिलकिस बानो के साथ 21 वर्ष की अवस्था में गोधरा दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. उसके तीन वर्षीय बेटी को भी मार डाला गया था.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने पीड़िता की स्थिति के बारे में जानकर चिंता जताई, जिसमें बताया गया कि वह एक खानाबदोश जिंदगी जी रही है और चैरिटी के सहारे अपना जीवन-यापन कर रही है.
अदालत ने गुजरात सरकार को उसे एक राज्य सरकार की नौकरी और उसकी पसंद के स्थान पर घर मुहैया कराने के आदेश दिए.
सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार के वकील के उस पक्ष को भी खारिज कर दिया, जिसमें मुआवजा राशि को अत्यधिक बताया गया और इसके बदले उसे केवल 10 लाख रुपये देने की अपील की गई.
इससे पहले, राज्य सरकार की ओर से उसे केवल पांच लाख रुपये मुआवजा दिया गया था.
गुजरात सरकार के वकील ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने वाले दोषी अधिकारियों को पेंशन संबंधी सारी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया और एक आईपीएस अधिकारी को दो रैंक तक पदावनत कर दिया गया है.