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Thursday, 2 May, 2024
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मोदी सरनेम मामले SC ने पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को भेजा नोटिस, याचिका पर 4 अगस्त को होगी सुनवाई

राहुल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने 111 दिनों तक पीड़ा झेली है, एक संसद सत्र में हिस्सा लेने का अवसर गंवा दिया है और एक और सत्र में शामिल होने का मौका खोने वाले हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ‘मोदी उपनाम’ मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार संबंधी गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर चार अगस्त को सुनवाई करेगा.

गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अर्जी पर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी और प्रदेश सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा.

न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ कल मामले पर सुनवाई कर सकती है.

हाई कोर्ट ने मामले में राहुल की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

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राहुल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस नेता ने 111 दिनों तक पीड़ा झेली है, एक संसद सत्र में हिस्सा लेने का अवसर गंवा दिया है और एक और सत्र में शामिल होने का मौका खोने वाले हैं.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने राहुल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किए.

राहुल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने 18 जुलाई को मामले का उल्लेख किया था और याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी.

गांधी ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि सात जुलाई के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे ‘‘स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र वक्तव्य’’ का दम घुट जाएगा.

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर गुजरात सरकार के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने गांधी के खिलाफ 2019 में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि यदि उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से, बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक होगा.

राहुल ने कहा कि आपराधिक मानहानि के इस मामले में अप्रत्याशित रूप से अधिकतम दो साल की सजा दी गई, जो अपने आप में दुर्लभतम है.

इस मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. मामले में फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.


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