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Friday, 22 November, 2024
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जामिया एएमयू मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमें दखल देने की जरूरत नहीं, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते

जामिया मिल्लिया इस्लामिया और एएमयू में हिंसक प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई को लेकर सर्वोच्च अदालत की सुनवाई.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्टन ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस के कथित अत्याचार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. सीजेआई एसए बोबडे ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा- हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया और एएमयू मामले में सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा हमें दखल देने की जरूरत नहीं है. यह कानून और व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जल गईं? आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते?

उच्चतम न्यायालय ने कहा संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकियां दर्ज की जानी चाहिए.

छात्रों की तरफ से इंदिरा जयसिंग ने कहा, ‘यह कानून स्थापित है कि विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह नहीं है जहां पुलिस वीसी की अनुमति के बिना प्रवेश कर सकती है. एक शख्स ने अपनी आंख गंवा दी. कुछ छात्रों के पैर टूटे हैं.

जयसिंग ने दलील देते हुए कहा कि यह पूरे राज्य का मुद्दा है और एसआईटी को फैक्ट जुटाने की जरूरत है. अदालत कैसे इस मुद्दे से मुंह मोड़ सकती है. अदालत ने तेंलंगाना एनकाउंटर मामले की सुनवाई की है. हम वैसा ही आदेश चाहते हैं.

वहीं मामले में सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल टी. मेहता ने जवाब दिया, ‘एक भी छात्र ने दृष्टि नहीं खोई है.’

बता दें कि नागरिकता कानून पर देशभर में विरोध प्रदर्शन को लेकर जामिया नगर इलाके में जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का प्रदर्शन रविवार को हिंसक हो गया था. प्रदर्शनकारियों पर तीन बसों में आग लगाने और एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी में तोड़फोड़ का आरोप लगा है. वहीं इस हिंसक प्रदर्शन में पुलिस लाठीचार्ज में कई लोगों के घायल होने का आरोप है.

इसके बाद जेएनयू के छात्रों ने जामिया के छात्रों के समर्थन में दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. साथ देशभर के कई विश्वविद्यालयो में प्रदर्शन हुआ है. तमाम संगठन नागरिकता कानून और जामिया में में छात्रों पर पुलिस के लाठीचार्ज का विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

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