scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमदेशसुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को तीन सप्ताह का संरक्षण दिया, एक को छोड़ कर सभी एफआईआर पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को तीन सप्ताह का संरक्षण दिया, एक को छोड़ कर सभी एफआईआर पर रोक

रिपबल्कि टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी ने देश भर में उनके खिलाफ की गई कई एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 'भड़काऊ बयान' दिए हैं और सोनिया गांधी को बदनाम किया है

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक और प्रत्रकार अर्णब गोस्वामी को उनके खिलाफ कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के मामलों में शुक्रवार को तीन हफ्तों के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है.  देश भर में उनके खिलाफ की गई कई एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इनसभी एफआईआर में उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ‘भड़काऊ बयान’ दिए हैं और सोनिया गांधी को बदनाम किया है

ये प्राथमिकी महाराष्ट्र के पालघर में हाल ही में हिंसक भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट पीट कर हत्या की घटना से संबंधित कार्यक्रम में कथित रूप से अपमानजनक बयानों के संबंध में दर्ज करायी गयी हैं.

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के कथन का संज्ञान लिया और कहा कि गोस्वामी को समाचार चैनलों से प्रसारित कार्यक्रम में कथित अपमानजनक बयानों के मामले में किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण मिला रहेगा.

पीठ ने यह भी कहा कि गोस्वामी तीन सप्ताह के बाद इन प्राथमिकी के सिलसिले में अग्रिम जमानत दायर कर सकते हैं और उन्हें जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना चाहिए.

न्यायालय ने अर्नब को अपनी याचिका में संशोधन करके उनके खिलाफ शिकायतें दायर करने वाली सभी शिकायतकर्ताओं को शीर्ष अदालत में प्रतिवादी बनाने की अनुमति दे दी. न्यायालय ने इन सभी प्राथमिकी को एकसाथ करने का अनुरोध करने की अनुमति प्रदान कर दी.

गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में कई एफआईआर दर्ज की गईं, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने और पालघर की घटना पर चर्चा के दौरान ‘भड़काऊ बयान’ देने का आरोप लगाया गया है. पालघर घटना के दौरान दो साधुओं सहित तीन व्यक्ति मॉब लिंचिग के शिकार हुए थे.

अदालत ने उनके खिलाफ सभी एफआईआर पर रोक लगा दी है सिर्फ नागपुर वाले मामले को छोड़कर, इस केस को मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया है. अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी एफआईआर उनके खिलाफ, ‘जो समान कारणों के साथ की ग है इस फैसले के बाद अगले आदेश तक सभी पर रोक रहेगी.

शीर्ष अदालत ने मुंबई पुलिस को आदेश दिया है कि वह गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी ऑफिस को सुरक्षा प्रदान करें.

अदालत ने उन सभी राज्यों को नोटिस जारी किया जहां प्राथमिकी दर्ज की गई थी, और गोस्वामी को अपनी याचिका को उचित रूप से संशोधित करने का निर्देश दिया था, इसलिए वह उसके खिलाफ सभी प्राथमिकी को एकसाथ दर्ज करने की मांग कर सकते हैं.

एफआईआर के पीछे आइडिया है प्रेस पर नकेल कसना’

गोस्वामी के लिए तर्क देते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सोनिया गांधी को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ दायर एफआईआर का उल्लेख किया और कहा कि इसके पीछे विचार ‘प्रेस पर नकेल’ कसना है.

रोहतगी ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी से जुड़े एक मामले में 2016 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया कि मानहानि की शिकायत केवल उस व्यक्ति द्वारा दायर की जा सकती है जिसे बदनाम किया गया है.

रोहतगी ने कहा कि गोस्वामी केवल इस बात को उजागर करना चाहते थे कि साधुओं को पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में मारा जा रहा है, और इस मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया है.

‘क्या अर्णब गोस्वामी एक विशेष विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति हैं?

हालांकि अभी तक नोटिस जारी नहीं किया गया है, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों की तरफ से इस सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और मनीष सिंघवी पेश हुए.

महाराष्ट्र सरकार के लिए अपील करते हुए, सिब्बल ने अपने शो के दौरान गोस्वामी द्वारा दिए गए बयानों का जिक्र करते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं. उन्होंने कहा कि गोस्वामी इस तरह के बयानों से और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंदुओं को खड़ा करके ‘सांप्रदायिक हिंसा’ पैदा कर रहे थे

सिब्बल ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया कि इस स्तर पर प्राथमिकी को रद्द नहीं किया जा सकता है और उन्हें जांच की अनुमति दी जानी चाहिए.

उन्होंने पूछा कि अगर राहुल गांधी मानहानि के मामले में पेश हो सकते हैं, तो गोस्वामी क्यों नहीं.

‘क्या अर्णब गोस्वामी एक विशेष विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति हैं?’ अगर कांग्रेस के लोगों ने एफआईआर दर्ज की है तो इससे क्या समस्या है? क्या भाजपा के लोग एफआईआर दर्ज नहीं करते हैं? ‘

इस बीच, छत्तीसगढ़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि यह ‘प्रसारण लाइसेंस के दुरुपयोग” का मामला है.’ उन्होंने कहा कि गोस्वामी सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर रहे थे, लॉकडाउन के दौरान माहौल को खराब कर रहे थे और दुश्मनी को उकसा रहे थे.

तन्खा ने गोस्वामी को संरक्षण दिए जाने का यह कहते हुए भी विरोध किया कि यह ‘ये वही लोग हैं जिन्हें देश की अखंडता की रक्षा करने के लिए ऐसी बातें करने से रोका जाना चाहिए.

जबकि तन्खा ने मांग की कि गोस्वामी को इस तरह के बयान देने से रोका जाना चाहिए, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मीडिया पर अंकुश लगाने के प्रति अपनी असहमति व्यक्त की.

अर्णब गोस्वामी ने अपनी याचिका में क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट में गोस्वामी की याचिका में मांग की गई कि इन सभी शिकायतों या एफआईआर को रद्द कर दिया जाए, उनका दावा है कि ये अनुच्छेद 19 (1) (ए) (बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं.


यह भी पढ़ें: एडिटर्स गिल्ड और प्रेस परिषद ने अर्णब पर हुए हमले की निंदा की, एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गोस्वामी


गोस्वामी ने अदालत की इस ओर भी ध्यान आकर्षित कराया कि जिस राज्यों में उनके खिलाफ एफआईआर की गई हैं उन सभी राज्यों में या तो कांग्रेस की सरकार है या फिर कांग्रेस उनके गठबंधन की सरकार है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि ये शिकायतें ‘कांग्रेस और उसके सदस्यों द्वारा एक अच्छी तरह से समन्वित और एक दुर्भावनापूर्ण अभियान’ का हिस्सा हैं. और जोर देकर कहा, ‘शिकायतें और एफआईआर झूठे, प्रतिशोधी, दुर्भावनापूर्ण, दुर्भावना से उपजी, कानून में जिनका औचित्य नहीं हैं की भावना से फाइल की गई हैं. वहीं उन्होंने आगे लिखा है कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मकसद मीडिया खासकर याचिकाकर्ता की इन खबरों को रोकने, खोजी पत्रकारिता के संचालन में रुकावट डालने और जनता के सामने खबरों को लाने से रोकने की मंशा भी इसमें शामिल है.वह याचिकाकर्ता को डराने, परेशान करने और डराने-धमकाने के इरादे से  एफआईआर दायर की गई है.

गोस्वामी ने देश के विभिन्न हिस्सों में रिपब्लिक टीवी में काम कर रहे उनके सहयोगियों के साथ उन्हें, उनके परिवार के सदस्यों को ‘पर्याप्त सुरक्षा और सेफ्टी’ दिए जाने की मांग केंद्र सरकार से की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में भी पढ़ा जा सकता है, यहां क्लिक करें)

share & View comments