नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को अमेठी से नामांकन भरने के बाद राफेल मामले में पर आए सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के जरिये मोदी पर सवाल दागे. उन्होंने केंद्र सरकार की शुरुआती आपत्तियों को खारिज कर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई के लिए तैयार होने को अपने पक्ष लिया और मोदी को घेरा.
मोदी के चौकीदार कैंपेन पर हमला करते हुए कहा कि देश का चौकीदार चोर. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया है. गांधी ने मोदी ने खुद राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट ले ली थी. अब उसी कोर्ट के फैसले से साबित हुआ है कि चौकीदार चोर है. उन्होंने कहा कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल में कुछ न कुछ घोटाला हुआ है. गांधी ने कहा कि इसमें दो लोग-मोदी और अनिल अंबानी शामिल हैं. वह पहले भी चैलेंज करते रहे हैं कि मामले में मोदी उनसे बहस करें. अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. राफेल में खुल्लम खुल्ला चोरी हुई है. पूरा देश कह रहा है कि मोदी चोर हैं.
वहीं गांधी से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रवक्ता और नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देकर मोदी पर तीखा हमला बोला. सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राफेल मामले में कई स्तर पर झूठ बोला गया है. प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले का हवाला देकर खुद को पाक साफ साबित कर चुके हैं और आज का फैसला उनके झूठ को फिर सामने लाता है. आखिर राफेल की सच्चाई सामने आ गई. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्याय की जीत हुई है. अब होगा न्याय.
राफेल पर केंद्र को करारा झटका, पुनर्विचार याचिका पर होगी सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को राफेल मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार द्वारा दर्ज की गई प्रारंभिक आपत्तियों को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया. इसके साथ ही राफेल मामले में पुनर्विचार याचिका पर अब योग्यता के आधार पर सुनवाई होगी और अदालत इससे संबंधित प्रकाशित दस्तावेजों को देखेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राफेल सौदे में क्लीन चिट देने के पहले दिए गए फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘जहां तक राफेल फैसले पर समीक्षा याचिका की सुनवाई का सवाल है, इसकी बाद में विस्तृत सुनवाई की जाएगी.’
इससे पहले 14 दिसंबर को दिए अपने फैसले में अदालत ने सरकार को क्लीनचिट देते हुए फ्रांस से 36 विमान खरीदे जाने की प्रक्रिया की जांच अदालत की निगरानी में करने का आदेश देने से मना कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश एस के कौल और के एम जोसेफ ने इस पूरे मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने एक मत से कहा कि जो दस्तावेज सार्वजनिक हो गए हैं उसके आधार पर हम याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हैं. अदालत ने यह भी कहा कि जो कागज अदालत में रखे गए हैं वह मान्य है. सरकार ने इन दस्तावेजों पर अपना विशेषाधिकार जताते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता ने इन्हें अवैध तरीके से हासिल किया है.
तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘इस मामले में हम प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज करने के लिए उचित मानते हैं और समीक्षा याचिकाओं की पुष्टि तीन दस्तावेजों की प्रासंगिकता के आधार पर की जाएगी, जिनकी केंद्र द्वारा स्वीकार्यता पर सवाल उठाया था.’
अदालत ने कहा कि जहां तक राफेल फैसले पर समीक्षा याचिका की सुनवाई का सवाल है, इसपर बाद में विस्तृत सुनवाई की जाएगी और इसकी नई तारीख बाद में तय की जाएगी.
राफेल मामले में अदालत को यह तय करना था कि इससे संबंधित रक्षा के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की जा सकती है या नहीं.
अदालत में पुनर्विचार याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने फाइल की है. प्रशांत भूषण ने इस दौरान इस मामले पर अदालत को गुमराह करने के लिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लंबित कार्यवाही शुरू करने की भी मांग की थी. प्रशांत भूषण ने कहा, ‘हमारा तर्क यह था कि चूंकि दस्तावेज देश की सुरक्षा से संबंधित हैं, इसलिए आपको उनकी जांच करनी चाहिए. आपने हमसे इसके सबूत मांगे थे, जिसे हमने आपको दे दिया. इसलिए अदालत ने हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया और सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया.’
वहीं अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के विवादास्पद अनुच्छेद 25 में दो लाइनों को सही करने की मांग करने वाली केंद्र द्वारा दायर याचिका के साथ-साथ परिवाद याचिका के साथ समीक्षा की गई थी.
बता दें कि पिछले साल मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि प्रक्रिया में विशेष कमी नहीं रही है और केंद्र के 36 विमान खरीदने के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है. न्यायालय ने कहा था कि विमान की क्षमता में कोई कमी नहीं है.