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Thursday, 25 April, 2024
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SC की कमेटी ने अडाणी मामले में कहा, पहली नजर में नहीं लगती SEBI की नाकामी

समिति ने कहा कि उसका काम यह जांचना नहीं है कि मूल्य वृद्धि उचित थी या नहीं बल्कि यह पता लगाना है कि क्या इसको लेकर कोई नियामक की किसी तरह की विफलता थी.

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नई दिल्ली : अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच को लेकर गठित सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि उसके लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि शेयर की कीमतों में हेरफेर के आरोप में नियामक विफलता रही है.

इस महीने की शुरुआत में शीर्ष अदालत में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति ने कहा, ‘सेबी की ओर से दिए गए स्पष्टीकरणों को ध्यान में रखते हुए अनुभवजन्य डेटा से व प्रथम दृष्टया लगता है कि समिति के लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि कीमतों में हेराफेरी के आरोप में नियामक की कोई विफलता रही है.’

समिति ने कहा कि उसका काम यह जांचना नहीं है कि मूल्य वृद्धि उचित थी या नहीं बल्कि यह पता लगाना है कि क्या इसको लेकर कोई नियामक की किसी तरह की विफलता थी.

कमेटी ने पाया कि यह साफ है कि सेबी बाजार के घटनाक्रमों और मूल्य को लेकर सक्रिय था.

इसमें यह भी कहा गया है कि अनुभव से मिले डेटा से सामने आया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद, 24 जनवरी, 2023 के बाद से खुदरा निवेशकों का समूह में निवेश बढ़ा है.

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कमेटी अनुभव से मिले सबूतों से इस निष्कर्ष पर भी पहुंची है कि भारतीय बाजार ‘अनावश्यक तौर पर अस्थिर’ नहीं था. कमेटी ने कहा, ‘अडानी के शेयरों में अस्थिरता वास्तव में बहुत अधिक थी, जो कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशित होने और उसके परिणामों की वजह से थी.’

बाजार ने अडानी के शेयरों का फिर से मूल्यांकन और आकलन किया है.

कमेटी ने कहा, ‘हालांकि वे 24 जनवरी, 2023 के पूर्व के स्तर पर वापस नहीं लौट पाए हैं, वे नए मूल्य स्तर पर स्थिर बने हुए हैं.’

इसने यह भी कहा कि अस्थिरता बाजार की ‘बुनियादी खामी’ नहीं है.

‘बाजार के हिस्सेदार उपलब्ध जानकारी के आकलन और इसके अनुमानित प्रभाव के आधार पर मांग और आपूर्ति के अनुरूप खरीद और बिक्री के ऑर्डर्स करते हैं.’

2 मार्च को, शीर्ष अदालत ने पूंजी बाजार की नियामक सेबी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानून के किसी भी उल्लंघन की जांच करने के आदेश दिए थे, जिसके कारण अडानी समूह के बाजार मूल्य को बड़ा नुकसान पहुंचा था.

सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की वजह से उभरे मुद्दों को लेकर 2 मार्च को एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी. कमेटी की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व जज एम सप्रे कर रहे हैं. शीर्ष अदालत ने तब सेबी से 2 महीने में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

सेबी ने अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की जांच को लेकर किसी निस्कर्ष पर पहुंचने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी.

शीर्ष अदालत ने सेबी की मांग पर सुनवाई करते हुए बुधवार को जांच पूरी करने के लिए 3 महीने का और समय दिया था.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी, जिसमें समूह पर स्टॉक में हेरफेरी के साथ अन्य आरोप लगाये थे.

अडानी समूह ने तब हिंडनबर्ग को ‘एक अनैतिक शॉर्ट सेलर’ करार दिया था, यह कहते हुए कि न्यूयॉर्क स्थित इस संस्था की रिपोर्ट ‘झूठ के अलावा कुछ नहीं’ है. यह शॉर्ट-सेलर प्रतिभूति बाजार से शेयरों की कीमतों में बाद की कमी से फायदा हासिल करना चाहता है.


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