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Wednesday, 8 May, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने RSS को तमिलनाडु में मार्च निकालने की अनुमति दी, राज्य की अपील खारिज की

अक्टूबर 2022 में, आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार की पहल पर आरएसएस ने गांधी जयंती और "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाने के लिए राज्य सरकार से मार्च आयोजित करने की अनुमति मांगी थी.

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नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को राज्य में मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं.

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अक्टूबर 2022 में, आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार की पहल पर आरएसएस ने गांधी जयंती और “आजादी का अमृत महोत्सव” मनाने के लिए राज्य सरकार से मार्च आयोजित करने की अनुमति मांगी थी.

राज्य सरकार ने इनकार कर दिया और आरएसएस ने हाई कोर्ट का रुख किया.

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तमिलनाडु सरकार ने तीन मार्च को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह पांच मार्च को राज्य भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रस्तावित ‘रूट मार्च’ और जनसभाओं की अनुमति देने के पूरी तरह खिलाफ नहीं है, हालांकि राज्य सरकार ने खुफिया रपटों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि यह कार्यक्रम प्रदेश के हर गली, नुक्कड़ में आयोजित करने नहीं दिया जा सकता.

मद्रास हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में फिर से निर्धारित तिथि पर अपना मार्च निकालने की 10 फरवरी को अनुमति देते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है.

एकल न्यायाधीश के चार नवंबर, 2022 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने दस फरवरी को दी गई अपनी व्यवस्था में 22 सितंबर, 2022 के आदेश को बहाल किया जिसमें तमिलनाडु पुलिस को जुलूस आयोजित करने और एक जनसभा आयोजित करने की अनुमति से संबंधित आरएसएस के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था. हालांकि, एकल न्यायाधीश के आदेश में प्रस्तावित राज्यव्यापी रूट मार्च पर शर्तें लगाई गई थीं और इसे बंद जगह में आयोजित करने को कहा गया था.

इसके बाद अदालत ने अपीलकर्ताओं को रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने के उद्देश्य से तीन अलग-अलग तिथियों के साथ राज्य के अधिकारियों से संपर्क करने को कहा तथा राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इन तीन तिथियों में से एक चयनित तिथि पर उन्हें रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने की अनुमति दें.


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