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Sunday, 29 September, 2024
होमदेशजहां ढहाया गया था वहीं बनेगा रविदास मंदिर, 'आप' ने कहा- माफ़ी मांगे केंद्र सरकार

जहां ढहाया गया था वहीं बनेगा रविदास मंदिर, ‘आप’ ने कहा- माफ़ी मांगे केंद्र सरकार

भीम आर्मी का कहना है कि चंद्रशेखर जब जेल से बाहर आएंगे तो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की समीक्षा की जाएगी और तय किया जाएगा कि मंदिर आंदोलन की दिशा क्या होगी.

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नई दिल्ली: अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गिराए गए संत रविदास मंदिर के मामले में एक नया मोड़ आ या है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है जिसमें केंद्र ने मांग की थी कि जहां मंदिर था वो ज़मीन मंदिर समिति को लौटा दी जाए. केंद्र सरकार ने अपने पुराने प्रस्ताव में बदलाव करते हुए 200 वर्ग मीटर की जगह 400 वर्ग मीटर ज़मीन देने का फैसला किया है. हालांकि, भीम आर्मी का कहना है कि ये ज़मीन मंदिर निर्माण के लिए बेहद कम है.

इस ताज़ा मामले पर दिल्ली सरकार के सामाजिक न्याय एवं अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि ज़मीन लौटाए जाने के बावजूद ‘केंद्र सरकार को संत रविदास के 40 करोड़ भक्तों से माफी मांगनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर की ज़मीन समिति को दिए जाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं. लेकिन इससे एक बात साफ़ हो जाती है कि ज़मीन केंद्र सरकार के पास थी और अगर वो चाहती तो मंदिर को गिराए जाने से बचा सकती थी. इससे 40 करोड़ भक्तों की भावना को जो ठेस पहुंची है उसके लिए केंद्र सरकार को माफ़ी मांगनी चाहिए.’


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हालांकि, कोर्ट-कचहरी और राजनीति के बीच एक बार फिर इसी के साथ संत रविदास के भक्तों के उसी जगह पर फिर से मंदिर बनाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है. मंदिर समिति को ज़मीन दिए जाने की बात स्वीकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि वहां किसी तरह की व्यवसायिक गतिविधि को अनुमति नहीं मिलेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसके लिए छह हफ़्ते के भीतर एक समिति बनाने को कहा है. समिति मंदिर के पुनर्निमाण कार्य की देखरेख करेगी. मामले पर भीम आर्मी का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है और चाहती है कि वहां तुरन्त भव्य मंदिर का निर्माण हो.

भीम आर्मी के प्रवक्ता हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, ‘हमारी मूल मांग पूरी ज़मीन की रहेगी. साथ ही कमेटी बनाने का फैसला केंद्र सरकार की बजाय रविदासिया समाज पर छोड़ देना चाहिए. हम मांग करते है कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों की वजह से ये सब हुआ उन पर कानूनी कार्यवाही हो.’

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इस मंदिर को 10 अगस्त को गिरा दिया गया था जिसके विरोध में 21 अगस्त को हुए एक प्रदर्शन में भीम आर्मी वालों ने दिल्ली को हिलाकर रख दिया.


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इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे चंद्रशेखर समेत उनके 94 समर्थकों को तिहाड़ में बंद कर दिया गया. इनमें से 92 लोग ज़मानत पर बाहर आ गए हैं जबकि चंद्रशेखर समेत दो अन्य अभी भी जेल में हैं. चंद्रशेखर ने बयान जारी कर कहा है कि उनके दो समर्थकों को सोमवार को ज़मानत मिलनी है और वो इन दोनों के साथ ही बाहर आएंगे.

वहीं, बेल मिलने में इतनी देर होने पर भीम आर्मी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाते हुए कहा है कि चंद्रशेखर को इसलिए जेल से बाहर नहीं आने दिया गया क्योंकि वो हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के प्रचार में न जा सकें.

ताज़ा प्रकरण पर ट्वीट करते हुए विश्व हिंदू परिषद ने लिखा, ‘सर्वोच्च न्यायालय का आदेश हिन्दू समाज के संघर्ष की सफलता. संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी का मंदिर दिल्ली में वहीं बनेगा, सरोवर पुनर्जीवित होगा, समाधियों की देखभाल होगी और गिरफ्तार व्यक्तियों को रिहा कर मुकदमे नहीं होंगे. बधाई हो.’


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मंदिर गिराए जाने को लेकर कांग्रेस का आरोप है कि मामले में केंद्र सरकार के अधीन आने वाली डीडीए ने कोर्ट को गुमराह किया है. ताज़ा घटनाक्रम पर बोलते हुए दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अंतत: केंद्र सरकार की दोहरी मानसिकता उजागर हुई है.’

पूरे मामले पर दिप्रिंट ने दिल्ली भाजपा से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया लेकिन अभी तक उनका पक्ष नहीं मिला है. आपको बता दें कि मंदिर गिराए जाने के बाद से इस पर जमकर राजनीति और बवाल हुआ है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले तमाम पार्टियों ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश.

अब जब सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बनाने का फैसला दे दिया है तो उम्मीद है कि इसे लेकर हो रही राजनीति पर विराम लगेगा. हालांकि, पार्टियों और हितधारकों का बयानबाज़ी से ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा.

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