नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर स्थापित राज्य के बाढ़ में स्थित राज्य इसके पहले सुपर पावर थर्मल प्लांट के स्टेज-1 की तीसरी इकाई को शुक्रवार को सिंक्रोनाइज कर दिया गया. इसे 26 मार्च 2025 से 72 घंटे के लिए पूरी क्षमता पर चलाया जाएगा, जिससे इस नई इकाई से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया जा सके. इसके साथ ही बाढ़ सुपर पावर थर्मल प्लांट के स्टेज-1 की तीनों और स्टेज-2 की दो इकाइयां पूरी तरह से बिजली उत्पादन शुरू कर देंगी.
स्टेज-1 की तीनों इकाइयों की क्षमता 660-660 मेगावाट है, जिससे कुल 1980 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा. वहीं, स्टेज-2 की दो इकाइयों से 1320 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है. बिहार को स्टेज-1 से 61% यानी 1202 मेगावाट और स्टेज-2 से 87% यानी 1153 मेगावाट बिजली मिलेगी.
ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बाढ़ थर्मल पावर प्लांट बिहार की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से राज्य को निर्बाध और सस्ती बिजली आपूर्ति मिलेगी, जिससे उद्योग, कृषि, व्यापार और घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ होगा.
इस थर्मल पावर स्टेशन की आधारशिला 1999 में रखी गई थी, जब नीतीश कुमार केंद्र सरकार में मंत्री थे. शुरुआत में इसमें 660 मेगावाट की केवल तीन इकाइयों की योजना थी, लेकिन बाद में स्टेज-2 के तहत 660 मेगावाट की दो और इकाइयां जोड़ी गईं. अब यह परियोजना पूरी तरह से तैयार हो गई है.
जमीन अधिग्रहण और निर्माण में आई चुनौतियां
इस पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण में कई विवाद सामने आए, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से इसे हल कर लिया गया. कानून-व्यवस्था से जुड़ी दिक्कतों को भी सरकार ने विशेष पहल कर दूर किया.
स्टेज-1 के निर्माण का कार्य 2005 में एक रूसी कंपनी को सौंपा गया था, लेकिन एनटीपीसी के साथ विवाद के चलते 2014 तक यह अटका रहा. इसके कारण परियोजना में देरी हुई. बाद में इसे दूसरी कंपनी को सौंपा गया, जिसने इसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया. स्टेज-1 की पहली इकाई नवंबर 2021, दूसरी अगस्त 2023 और तीसरी मार्च 2025 में पूरी हुई.
स्टेज-2 का निर्माण कार्य भारतीय हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) को सौंपा गया, जिसने 2016 में इसे पूरा कर दिया और दोनों इकाइयों से 660-660 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू हो गया.
इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में बिहार सरकार, केंद्र सरकार और एनटीपीसी के बीच समन्वय स्थापित करने में ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
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