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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशबेंगलुरू में कोविड मामलों में अचानक उछाल ने खोली वायरस के खिलाफ प्रयासों की पोल, नगर निगम पर लगे आरोप

बेंगलुरू में कोविड मामलों में अचानक उछाल ने खोली वायरस के खिलाफ प्रयासों की पोल, नगर निगम पर लगे आरोप

'कम्यूनिटी ट्रांसमिशन', तालमेल के अभाव और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में ढिलाई से आया मामलों में उछाल, अथॉरिटीज़ मढ़ रही हैं बृहत बेंगलुरू महानगर पालिके पर आरोप.

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बेंगलुरू: बेंगलुरू में कोविड-19 मामलों में अचानक उछाल आया है, जिसके लिए अथॉरिटीज़ और एक्सपर्ट्स बृहत बेंगलुरू महानगर पालिके (बीबीएमपी) पर आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि बीबीएमपी की कोताहियों की वजह से ही हालात बिगड़ रहे हैं.

पिछले एक हफ्ते में, कर्नाटक के कुल पॉज़िटिव मामलों में बेंगलुरू का योगदान 60 प्रतिशत रहा है. एक जुलाई को राज्य में दर्ज 1,272 मामलों में से, 732 बेंगलुरू में थे. इसी तरह 5 जुलाई को कर्नाटक में दर्ज कुल 1,925 नए मामलों में, 1,235 अकेले बेंगलुरू से थे।

6 जुलाई को कुल 1,863 मामलों में से 981 बेंगलुरू में थे. कुल मिलाकर कर्नाटक में दर्ज 25,317 मामलों में से, अकेले राजधानी शहर का योगदान 10,561 रहा है.

कर्नाटक और ख़ासकर बेंगलुरू में, कोविड-19 मामलों में आई अचानक उछाल से, सवाल उठने लगे हैं कि महामारी को क़ाबू करने में लगीं एजेंसियां, क्या अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में नाकाम रही हैं.

बताया जा रहा है कि बेंगलुरू में बेड्स की बेहद कमी है, इलाज़ से मना किए जाने पर, मरीज़ अस्पतालों के दरवाज़ों पर मर रहे हैं, और कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के कारण मामलों की संख्या बढ़ रही है.

शहर में महामारी से निपटने में लगी बीबीएमपी, जिसकी मामलों में उछाल आने से पहले, वायरस से अच्छे से निपटने के लिए सराहना हो रही थी, अब आलोचनाओं के निशाने पर है. इसकी पांच टी की रणनीति- ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और टीमवर्क- को केंद्र सरकार ने भी सराहा था, और उसने दूसरे राज्यों को भी, इस मॉडल को अपनाने के लिए कहा था.

राज्य के अधिकारियों का आरोप है कि नगर इकाई बेड्स की बढ़ती मांग, और पर्याप्त संख्या में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की ज़रूरत से निपटने में नाकाम रही है, और टेस्ट्स का बैकलॉग भी बहुत ज़्यादा है.

बीबीएमपी कमिश्नर बीएच अनिल कुमार ने माना, कि मामलों में आए अचानक उछाल से उन्हें धक्का लगा है, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि उनकी टीम डेटा के विश्लेषण में लगी है, और सिस्टम को बढ़ाने के उपायों पर काम कर रही है.

कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘लॉकडाउन हटाए जाने के बाद से, हम तीसरे साइकिल के बीच में हैं. वायरस को इनक्यूबेट करके फैलने में 15 दिन लगते हैं. हम उस साइकिल के बीच में हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस साइकिल के बाद शांति हो जाएगी, हमें उम्मीद है कि 15 जुलाई के बाद वो स्टेज आ जाएगी.’


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गड़बड़ कहां हुई

महामारी विज्ञानी और कर्नाटक की कोविड एक्सपर्ट कमीटी के सदस्य, डॉ गिरिधर बाबू का कहना है कि ‘अनलॉकडाउन’ के बाद मामलों में आए अचानक उछाल ने, बीबीएमपी में तालमेल और तैयारियों के अभाव की पोल खोल दी है.

बाबू ने दिप्रिंट से कहा,’चीज़ों के बिखर जाने का प्रमुख कारण बीबीएमपी है’.

‘ये उछाल अपेक्षित थी, लेकिन जिस तरह से हमारी प्रतिक्रिया रही है, वो अपेक्षित नहीं थी. स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को देखते हुए, हर किसी को लगा कि महामारी से निपटने के लिए हम अच्छी स्थिति में हैं. लेकिन हमने बीबीएमपी को कुछ ज़्यादा ही आंक लिया. निजी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को साथ लेकर, हमें ज़्यादा अच्छे से तैयार रहना था’.

अधिकारियों का कहना है कि बीबीएमपी और स्टेट अथॉरिटीज़ के बीच तालमेल न होने से, लॉकडाउन के दौरान हुआ सारा अच्छा काम और प्लानिंग बेकार चली गई.

डॉ बाबू ने कहा,’ऐसा नहीं होता कि आप लड़ाई पहले छेड़ दें, और उसकी तैयारी बाद में करें’.

राज्य में कोविड प्रबंधन से जुड़े एक और सीनियर अधिकारी ने भी, डॉ बाबू के विचारों से सहमति जताई.

अधिकारी ने कहा कि बीबीएमपी ने उन लोगों की ट्रैकिंग और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का ठीक से प्रबंध नहीं किया, जो दूसरे कोविड प्रभावित राज्यों से बेंगलुरू में आ रहे थे.

अधिकारी ने कहा, ‘कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग नहीं करना, समय रहते लोगों का आईसोलेशन नहीं कराना, समय रहते मरीज़ों को अस्पताल न लाना, और राज्य में आने वाले लोगों को क्वारंटीन न करना, ये सब बीबीएमपी की नाकामी को दर्शाता है’.

नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, ’15 मई को महाराष्ट्र से 6,000 लोग बेंगलुरू आए. उन्हें आईसोलेट या क्वारंटीन नहीं किया गया. वो सब बिना लक्षण वाले थे. उनके टेस्ट नहीं किए गए”. उन्होंने आगे कहा,“अगर हम मानें कि एक आदमी कम से कम दस आदमियों से मिला होगा, तो इसका मतलब है वो 60,000 से मिले होंगे. इसके नतीजे में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हुआ है’.

अधिकारी ने ये भी कहा कि राजधानों के बाहर के ज़िलों ने बेहतर काम किया है.

अधिकारी का कहना था कि,’मिसाल के तौर पर उडुपी में, जहां महाराष्ट्र से क़रीब 20,000 लोग आए थे, सभी का टेस्ट किया गया, और उन्हें क्वारंटीन करके संक्रमण को क़ाबू कर लिया गया’.

बीबीएमपी कमिश्नर कुमार ने इन आरोपों से इनकार किया, कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में ढिलाई रही है. उन्होंने कहा कि अचानक आई छाल ने उनकी अपेक्षाओं को गड़बड़ा दिया है. उन्होंने कहा ‘हमने वो सब किया है जो ज़मीन पर हो सकता था”. उन्होंने ये भी कहा कि, ये चीज़ अभी संख्या में दिखाई नहीं पड़ती, क्योंकि आंकड़े अभी अपलोड किए जा रहे हैं. अगले कुछ दिन में आपको ये सब दिख जाएगा’.


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हमने अपने प्रयास बढ़ाए हैं:बीबीएमपी प्रमुख

कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बीबीएमपी ने अपने सिस्टम में सुधार किया है. उन्होंने बताया कि बीबीएमपी ने शहर के लिए 275 एंब्युलेंस और 36 शव वाहनों की व्यवस्था की है.

अस्पतालों में बेड्स की बढ़ती मांग के बारे में कमिश्नर ने कहा, कि निजी अस्पतालों को साथ लेने से स्थिति में सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा,’इन निजी अस्पतालों ने सिर्फ सरकार के लिए 2,000 बेड्स मुहैया कराए हैं. ये संख्या उन बेड्स से अलग है जिनके लिए वो चार्ज करते हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘सामान्य बेड्स से लेकर हाई-फ्लो ऑक्सीजन, आईसीयू, और वेंटिलेटर्स तक से लैस बेड्स मुहैया कराई गईं हैं, जिनका ख़र्च सरकार उठा रही है’.

उन्होंने माना कि पहले किए जा रहे टेस्ट्स की संख्या कम दिखती थी, लेकिन वो इस वजह से था कि निजी लैबोरेट्रीज़ अपने डेटा को, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के पोर्टल पर अपडेट नहीं कर रहीं थीं.

कमिश्नर ने कहा,’टेस्ट पॉज़िटिव होने की सूरत में निजी लैब्स, मरीज़ को सीधे कॉल करके बता देती थीं, और उसे आईसीएमआर के डेटाबेस पर अपडेट नहीं करती थीं. मरीज़ घबराकर किसी नामित अस्पताल में भर्ती होने की कोशिश करता था, लेकिन उसे भर्ती नहीं किया जाता था, क्योंकि बीबीएमपी या अस्पताल के पास वो सूचना नहीं होती थी, चूंकि हम आईसीएमआर डेटा पर अमल करते हैं’.

बीबीएमपी वॉर रूम की इंचार्ज आईएएस अफसर, हेपसिबा कोरलापति ने कहा कि मामलों में अचानक उछाल के पीछे दो मुख्य कारण हैं- लोगों की गतिविधियां बढ़ने, और घनी आबादी वाले बाज़ारों की वजह से महामारी फैली है.

कोरलापति ने ये भी कहा कि बीबीएमपी ने मई में रोज़ाना होने वाली 1,000 टेस्टिंग को बढ़ाकर, अब 5,000 कर दिया है. उन्होंने ये भी कहा, ‘टेस्टिंग में बढ़ोतरी होने से सकारात्मकता दर भी पांच गुना बढ़ जाएगी. हम सब साथ मिलकर काम कर रहे हैं’.


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क्या बेहतर हो सकता है

कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डॉ अश्वत नारायण, जो राज्य के केविड केयर सेंटर्स के प्रभारी हैं, ने कहा कि शुरू में बीबीएमपी और राज्य के स्वास्थ्य विभाग के बीच तालमेल की समस्या थी. लेकिन उन्होंने दिप्रिंट को बताया, कि समय रहते दख़ल देने से समस्याएं सुलझा ली गईं.

उन्होंने इस बात को माना कि प्राइमरी और सेकंडरी कॉन्टेक्ट्स की ट्रेसिंग एक समस्या रही है, लेकिन साथ ही दावा किया कि सिस्टम को अब स्ट्रीम लाइन कर दिया गया है. नारायण ने दिप्रिंट से कहा,’शुरू में ट्रांसमिशन के दौर में एक चुनौती ज़रूर थी. लेकिन हमने उसे सुलझा लिया है. मामलों में आए उछाल के बावजूद, हमने इसे हैण्डल कर लिया है.’

लेकिन डॉ बाबू को लगता है कि कर्नाटक के ज़िलों ने बेंगलुरू से बेहतर काम किया है. इसकी वजह वो सही प्लानिंग, और ज़िलों के प्रशासन द्वारा उसके अमल को बताते हैं.

उन्होंने कहा,’स्थिति को कारगर तरीक़े से हैण्डल करने के लिए, बेंगलुरू शहर की प्रशासनिक इकाई में बेहतर दाइत्व और तालमेल होना चाहिए’.

स्थिति को बचाया जा सकता है. ये कोई असंभव या हताश होने वाली स्थिति नहीं है, जिसे हम क़ाबू नहीं कर सकते. हमारे पास सीनियर आईएएस ऑफिसर्स और मंत्री हैं, जो इसके रोज़मर्रा के प्रबंधन में लगे हैं. लेकिन इस सब से बचा जा सकता था’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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