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Friday, 1 November, 2024
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JNU लाइब्रेरी में ज़बरदस्ती घुसने पर छात्रों के ख़िलाफ FIR दर्ज, छात्रों ने कहा- चाहिए किताबें

JNU प्रशासन अनुशासनिक कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. लेकिन छात्रों का कहना है कि उन्हें अंदर जाना है, क्योंकि पठन सामग्री तक ‘ऑनलाइन पहुंचना मुश्किल है’.

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने, अपने छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जो इस हफ्ते बीआर आम्बेडकर लाइब्रेरी में ज़बर्दस्ती घुस गए थे. दिल्ली पुलिस के अनुसार, यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के खिलाफ, अनुशासनिक कार्रवाई भी करने जा रहा है.

एफआईआर में कहा गया, कि क़रीब 30 छात्रों का एक समूह, 8 जून को सेंट्रल लाइब्रेरी में घुस गया, और उसने कांच का दरवाज़ा तोड़ दिया. लाइब्रेरी के सिक्योरिटी स्टाफ के साथ, छात्रों की कहासुनी भी हुई, जो कोविड-19 महामारी के चलते, मार्च 2020 से बंद चल रही है. ये घटना रात 11 बजे की है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से, बृहस्पतिवार को एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन उसने अभी पुष्टि नहीं की है, कि क्या अनुशासनिक कार्रवाई की गई है.

यूनिवर्सिटी की जन संपर्क अधिकारी पूनम कुदेसिया ने कहा, ‘अभी तक, इस बारे में कोई अधिकारिक बयान नहीं है. जब भी अगला क़दम उठाया जाएगा, हम प्रेस को सूचित करेंगे’.

दिल्ली पुलिस उपायुक्त दक्षिण पश्चिम आईपी सिंह ने, जो इस के प्रभारी हैं कहा, ‘हमने आईपीसी की धारा 188 (सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान), और आपदा प्रबंधन क़ानून की धारा 51 (बाधित करने के लिए सज़ा) के अंतर्गत, एक एफआईआर दर्ज कर ली है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है, और जैसे जैसे केस आगे बढ़ेगा, हम मामले की जांच करेंगे, और उसी हिसाब से आगे बढ़ेंगे’.

जो छात्र लाइब्रेरी में घुसे और बाहर निकलने से मना कर दिया, उनमें से कोई भी, इस मामले में बोलने को तैयार नहीं हुआ. लेकिन, एक छात्र ने, नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, कि वो लाइब्रेरी में घुसने की अनुमति चाहते थे, क्योंकि पठन सामग्री तक ‘पहुंचना मुश्किल’ हो रहा है.

घटना

बृहस्पतिवार को एक बयान में, जेएनयू रजिस्ट्रार रविकेश ने कहा, कि 8 जून को छात्रों का एक ग्रुप, ज़बर्दस्ती बीआर आम्बेडकर लाइब्रेरी के मुख्य रीडिंग रूम में घुस गया, और तब से वो छात्र वहीं जमे हुए हैं, जो क़ानून तथा कोविड-19 गाइडलाइन्स का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा, ‘रात के समय भी वो लाइब्रेरी बिल्डिंग को ख़ाली नहीं करते. इससे लाइब्रेरी स्टाफ तथा हॉस्टल्स में रहने वाले, अन्य छात्रों के स्वास्थ्य को ख़तरा पैदा हो गया है, क्योंकि ये हुड़दंगी छात्र लंच/डिनर, या दूसरे कामों के लिए हॉस्टल लौटते हैं’.

‘लाइब्रेरियन और सिक्योरिटी कर्मियों के लाख समझाने-बुझाने पर भी, जब ये छात्र क़ानून तथा कोविड-19 गाइडलाइन्स के उल्लंघन से बाज़ नहीं आए, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए, जेएनयू सिक्योरिटी ऑफिस ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. पता चला है कि ये छात्र मास्क भी नहीं लगाते, और दूसरी कोविड-19 गाइडलाइन्स का भी पालन नहीं करते’.

दिप्रिंट से बात करते हुए, नाम छिपाने की शर्त पर, एक जेएनयू छात्र ने कहा, ‘हम बस ये चाहते हैं कि लाइब्रेरी खुल जाए. हम पढ़ना चाहते हैं. हम बहुत समय से मुसीबत झेल रहे हैं. पढ़ाई का ऑनलाइन तरीक़ा स्थिर नहीं है, और पठन सामग्री हासिल करना मुश्किल है’.

जेएनयू छात्र संघ ने अपने बयान में दावा किया, कि यूनिवर्सिटी की ये कार्रवाई ‘डराने-धमकाने’ की एक तरकीब है. यूनियन ने मांग उठाई कि लाइब्रेरी को खोला जाए, और जितना जल्द हो सके, छात्रों तथा शिक्षकों का टीकाकरण किया जाए.

डीसीपी सिंह के अनुसार, यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्रों ने मामले को अंदरूनी तौर पर सुलझा लिया है. उन्होंने आगे कहा, ‘फिलहाल, यूनिवर्सिटी ने हमसे कहा है कि वो, घटना के ज़िम्मेदार छात्रों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करेंगे’.


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