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Wednesday, 26 June, 2024
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चंद्रयान-2 की लॉन्च टलने पर निराश हुए छात्र, अगली कोशिश में सफल होने की उम्मीद जताई

इसरो ने कुछ तकनीकी वजहों के कारण भारत के दूसरे चंद्र अभियान 'चंद्रयान -2' के प्रक्षेपण को बाद की तारीख तक के लिए टाल दिया है.

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श्रीहरिकोटाः चंद्रयान-2 की लांचिंग टलने पर देश-दुनिया के लोगों के साथ उन छात्रों को भी काफी निराशा हुई जो इसके प्रक्षेपण को देखने के लिए यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में एकत्रित हुए थे. इसकी लांचिंग को तकनीकी खराबी के कारण टाल दिया गया है. छात्रों को अगली कोशिश में इसे देखने की उम्मीद है. इसरो ने इसे प्रक्षेपण से 2 मिनट पहले टाल दिया. सोमवार को 2.51 बजे इसके उड़ान भरने की घोषणा की गई थी.

हालांकि, छात्रों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की बेहतरी की कामना की और अपने अगले प्रयास में सफलता होनो की उम्मीद जताई. हैदराबाद के एक स्कूल के छात्र पूना ने कहा कि ‘हम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को अगली बार के लिए शुभकामनाएं देते हैं, हम लॉन्च को देखने के लिए बहुत उत्साहित थे. इसका टाला जाना निराशाजनक, लेकिन हम समझते हैं कि कुछ तकनीकी समस्याएं हैं.’

तय लिस्ट के अंतिम मिनट में संशोधन में, इसरो ने कुछ तकनीकी वजहों के कारण भारत के दूसरे चंद्र अभियान ‘चंद्रयान -2’ के प्रक्षेपण को बाद की तारीख तक के लिए टाल दिया है.

बता दें कि इस साल के शुरुआत में, अंतरिक्ष विज्ञान निकाय ने अपने आंध्र प्रदेश केंद्र से होने वाले लॉन्च को देखने के लिए इजाजत दे दी थी. लॉन्च की एक झलक पाने के लिए विभिन्न स्कूलों के छात्र अपने शिक्षकों के साथ यहां एकत्रित हुए थे.

एक और छात्र, एल्विन ने कहा, ‘मैं सरकार, प्रशासन, और स्कूलों को धन्यवाद देना चाहूंगा कि हमें यहां आने और लॉन्च को देखने का मौका देने की व्यवस्था की. यह निराशाजनक है कि इसे रद्द कर दिया गया, लेकिन हम इसरो के वैज्ञानिकों पर विश्वास करते हैं. हमें उम्मीद है कि हम इसे जल्दी ही देखेंगे.’

वहीं देसी तकनीक पर विकसित लॉन्चर रॉकेट -जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके-3) सुबह 2:51 बजे लॉन्च के लिए निर्धारित था. यह चंद्रमा के उस एक क्षेत्र का पता लगाएगा, जहां किसी भी मिशन ने कभी पैर नहीं रखा है.

इसरो के एक अधिकारी ने बताया, ‘तकनीकी खामी पाई गई. खामी दूर करने के लिए हमें सबसे पहले वाहन तक जाना होगा. सबसे पहले हमें रॉकेट में भरा ईंधन निकालना होगा, इसके बाद रॉकेट को आगे की जांच के लिए वापस ले जाया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘इस प्रक्रिया में 10 दिन लगेंगे, उसके बाद ही हम प्रक्षेपण कार्यक्रम तय कर सकते हैं.’

‘चंद्रयान-2 रोबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने शनिवार को कहा कि भारत का दूसरा मून मिशन चंद्रयान-2 रोबोटिक अंतिरिक्ष खोज की दिशा में देश का पहला कदम है और यह ज्यादा जटिल व पेचीदा है. राधाकृष्णन इस समय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानुपर के बोर्ड ऑफ गवनर्स के चेयरमैन हैं. उन्होंने कहा, ‘इंडियन लैंड रोवर (विक्रम प्रज्ञान) कंबाइन रोबोटिक अंतरिक्ष खोज की दिशा में भारत का पहला कदम है और यह मिशन की तैयारी जारी है. जाहिर हे कि यह मिशन ज्यादा जटिल है.’

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फोरमेशन टेक्नोलोजी डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (आईआईआईटीडीएम), कांचीपुरुम के सातवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि चांद की कक्षा की परिक्रमा करने वाला विक्रम कं पास करीब 6,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की परिक्रमा करते हुए खुद स्वत: अपनी रफ्तार को कम और ज्यादा करने की क्षमता होगी और यह चांद के अपरिचित क्षेत्र में सुरक्षित उतर सकता है.

उन्होंने कहा, ‘यह पूरा कार्य 16 मिनट के भीतर होगा और उतरते समय यह खुद ही उतरने की जगह भी तय करेगा. पूरे देश की नजर इसकी ओर है.’

(न्यूज एजेंसी एएनआई और आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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