नई दिल्ली: लॉकडाउन की वजह से देशभर में फैमिली प्लानिंग कार्यक्रम पर बड़ा असर पड़ने जा रहा है. यही नहीं सरकार से साथ मिलकर फैमिली प्लानिंग के लिए काम कर रही संस्था ने चेतावनी दी है कि इस वर्ष अवांछित गर्भधारण में भी तेजी आएगी.
चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरी में परिवार नियोजन की सर्विस पिछले चालीस दिनों से बंद हैं साथ ही कंट्रासेप्टिव्स, दवाओं की उपलब्धता न होने और कांडोम की बिक्री में हुई कमी दर्शाता है कि आने वाले समय में देशभर में महिलाएं लाखों की संख्या में गर्भधारण करेंगी जो उनकी इच्छा के विपरीत होगा. विशेषज्ञों ने यह भी चिंता जाहिर की है कि जिसकी वजह से महिलाएं असुरक्षित गर्भपात कराएंगी जिससे मातृ मृत्यु दर के मामले भी बढ़ सकते हैं.
गर्भपात के सख्त कानून और टर्मिनेशन पिल्स
लेकिन इन सबके बीच जो एक बड़ी बात निकलकर सामने आई है कि देश में गर्भपात कानून सख्त हैं. दवा विक्रेता बिना प्रिसक्रिप्शन के इस तरह की कोई दवा मरीज को नहीं देते हैं. अब यदि कोई टेली कॉलिंग के माध्यम से डॉक्टर से दवा पूछ भी रहा होगा तो संसाधन की कमी की वजह से वह प्रिस्क्रिप्शन कहां से ला पाएगा.
गांवों में महिलाओं के पास स्मार्ट फोन हो जरूरी नहीं. अब भारत में दवा के सेवन से गर्भपात किए जाने की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बिना प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवा किसी को दवा विक्रेता नहीं देता है.
फाउंडेशन फॉर रिप्रोडेक्टिव हेल्थ सर्विस इंडिया के सीईओ सीवी चंद्रशेखर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा संस्थान भी सरकार के साथ मिलकर पांच से अधिक राज्यों में काम कर रहा है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से 24 मार्च से सबकुछ बंद है.कुछ जिलों में हमने अप्रैल में काम शुरू किया है लेकिन वह भी नाकाफी है.’
उन्होंने कहा अमूमन देश में हर महीने 10-12 लाख गर्भपात कराया जाता है और यह सुरक्षित गर्भपात का आंकड़ा है यानी साल में करीब 1.5 करोड़ के करीब गर्भपात कराए जाते है. लेकिन पिछले 47 दिनों में पूर्ण लॉकडाउन की वजह से अगर हम कम से कम आंके तो यह आंकड़ा हर महीने बढ़कर 15-20 लाख होने की संभावना है.
अगर ये जोड़े किसी जुगाड़ से गर्भपात कराते हैं तो करीब सात लाख महिलाएं गर्भपात नहीं करा पाएंगी. सरकार को लॉकडाउन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. चंद्रशेखर ने कहा, ‘ महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में यह स्थिति तब विकट हो जाती है जब यहां टर्मिनेशन पिल्स पर पूरी तरह से पाबंदी है.’
उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने अलग-अलग राज्यों में 250 दवा दुकानों पर सर्वे किया जिसमें उन्होंने टर्मिनेशन पिल्स (गर्भपात के लिए प्रयोग की जाने वाली दवा) की बिक्री बिना प्रिस्क्रिप्शन के न होने की बात कही.
लॉकडाउन, हिचकिचाहट और 2.56 करोड़ जोड़े
अवांछित गर्भधारण किए जाने से लेकर देशभर में कंडोम और कंट्रासेप्टिव की बिक्री को लेकर फाउंडेशन फॉर रिप्रोडेक्टिव हेल्थ सर्विस इंडिया से शोध किया है जिसमें उन्होंने पाया कि आने वाले समय में सबकुछ नॉरमल होने तक लगभग सितंबर तक करीब 2.56 करोड़ लोग कंट्रासेप्शन सेवा का उपयोग नहीं कर सकेंगे जिससे अनवानटेड प्रेगनेंसी के मामले बढ़ने की संभावना तीव्र हो जाएगी. फाउंडेशन फॉर रिप्रोडेक्टिव हेल्थ सर्विस इंडिया के सीईओ सीवी चंद्रशेखर ने दिप्रिंट को बताया, ‘इसका बहुत बड़ा प्रभाव फैमिली प्लानिंग पर पड़ने जा रहा है.’
चंद्रशेखर ने यह भी कहा, ‘2019 में कंडोम डिस्ट्रीब्यूशन 32 लाख किया गया था जबकि बाजार से खरीजने वालों की संख्या 2.2 बिलियन थी लेकिन इसबार ये आंकड़ा इसके आस-पास भी नहीं पहुंचा है.’
आंकड़ों की बात करें तो 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद कंडोम की बिक्री में 25 से 50 फीसदी का उछाल आया था लेकिन अप्रैल माह में यह आंकड़ा घट कर 10-15 फीसदी पर पहुंच गया. सिर्फ कंडोम ही नहीं बल्कि कंट्रासेप्टिव दवाएं जैसे सुबह खाई जाने वाली दवाओं में भी गिरावट देखी गई.
चंद्रशेखर इस गिरावट के बारे में कहते हैं भारतीय सभ्यता में आज भी लोग अपनी सोसाइटी और आस-पास की दुकानों से कंट्रासेप्टिव पिल्स और कंडोम नहीं खरीदते हैं. उन्हें हिचकिचाहट होती है.’ लॉकडाउन की वजह से वह दूसरे इलाके में जा नहीं पा रहे हैं.
एफआरएचएस संस्था द्वारा कराए गए फैमिली प्लानिंग के सर्वे में यह सामने आया है कि सितंबर तक करीब 2.56 करोड़ जोड़े गर्भपात या फिर इससे जुड़ी सेवाओं का उपयोग नहीं कर पाएंगे. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों से तुलना करते हुए चंद्रशेखर दिप्रिंट को बताते हैं कि औसतन लॉकडाउन में 6.9 लाख नसबंदी , 9.7 लाख आईयूडी, इंजेक्शन योग्य गर्भ निरोधकों में 5.8 लाख डोज साथ ही गर्भनिरोधक गोलियों के 2.3 करोड़ साइकिल, 9.2 लाख आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां और 40.6 करोड़ कंडोम नहीं खरीदे जा सके हैं जो यह दिखाते हैं कि आने वाले समय में अनवांछित गर्भधारण की संख्या बढ़ने जा रही है.
यही नहीं शोध में यह भी पाया गया है कि 23.8 लाख अनपेक्षित गर्भधारण में 14.5 लाख जोड़े गर्भपात कराएंगे जिनमें से 8.34 सही स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं होने की वजह से असुरक्षित गर्भपात का सहारा लेगें जिसमें महिलाओं की मृत्यु दर भी बढ़ सकता है.
चंद्रशेखर आगे कहते हैं कि सबकुछ करने के बाद भी करीब 6.79 लाख नवजात का जन्म होगा.