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Tuesday, 7 May, 2024
होमदेश‘जांच में देरी की रणनीति’, झारखंड सरकार का आदेश — विभाग एजेंसियों को सीधे दस्तावेज़ सौंपने से बचें

‘जांच में देरी की रणनीति’, झारखंड सरकार का आदेश — विभाग एजेंसियों को सीधे दस्तावेज़ सौंपने से बचें

सीएम सोरेन द्वारा ईडी के सात समन को नज़रअंदाज करने के बीच जारी आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा समन के जवाब में जानकारी और दस्तावेज़ को कैबिनेट सचिवालय और सतर्कता विभाग से गुज़रना होगा.

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नई दिल्ली: झारखंड सरकार ने अपने एक आदेश में अपने सभी विभागों को केंद्रीय एजेंसियों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने या सीधे उन्हें कोई दस्तावेज़ नहीं सौंपने का निर्देश दिया गया है, जिसे एजेंसियां “जांच में देरी” और “सहयोग नहीं करने” की “प्रतिक्रिया” के रूप में देख रही हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी ने कहा कि यह आदेश “अजीब” है क्योंकि यह पुलिस, राज्य या किसी भी सरकारी अधिकारी पर निर्भर है कि वह चल रही जांच में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत एजेंसी को सभी सहायता प्रदान करे.

ईडी अधिकारी ने पीएमएलए की धारा 50 (2) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एजेंसी के निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप निदेशक या सहायक निदेशक के पास किसी भी व्यक्ति को समन कर बुलाने की शक्ति है, जिसकी उपस्थिति को वह ज़रूरी मानते हैं, चाहे वह अधिनियम के तहत किसी भी जांच या कार्यवाही के दौरान सबूत या कोई रिकॉर्ड पेश करना ही क्यों न हो.

इसके अलावा, पीएमएलए की धारा 54 विभिन्न नियामकों और प्राधिकरणों को धन-शोधन रोधी अधिनियम को लागू करने में सहायता करने का अधिकार देती है और इसकी आवश्यकता होती है.

झारखंड सरकार का आदेश मंगलवार को उस समय जारी किया गया था जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भूमि घोटाला मामले में ईडी के सात समन को नज़रअंदाज़ कर दिया था — केंद्रीय एजेंसियों द्वारा समन के जवाब में सूचना और दस्तावेजों के प्रवाह को केवल कैबिनेट सचिवालय सतर्कता विभाग (सीएस एंड वी) के जरिए से अनिवार्य कर दिया गया था.

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स्थापित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, किसी भी सरकारी विभाग के अधिकारी विभाग प्रमुख को पूछताछ के बारे में सूचित करेंगे, जो फिर सीएस एंड वी विभाग को समन के बारे में सूचित करेगा. इसके बाद सीएस एंड वी विभाग एजेंसियों द्वारा जारी समन का जवाब देने के लिए प्रचलित नियमों के आधार पर उचित कानूनी राय मांगेगा.

ईडी अधिकारी ने पहले कहा था, “राज्य सरकार ने शायद जांच में देरी करने के लिए इस प्रक्रिया में एक परत जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन यह आदेश निरर्थक है क्योंकि राज्य कानून द्वारा जांच में आवश्यक विवरण प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है.”

केंद्रीय एजेंसी के अन्य अधिकारी ने दिप्रिंट के साथ बातचीत में फैसले को “राजनीतिक” बताया और कहा, “जबकि झारखंड सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर रही है कि अधूरी जानकारी न सौंपी जाए.”

अधिकारी ने कहा, “जांच के दौरान, हम बहुत विशिष्ट जानकारी मांगते हैं जिसके लिए एक विशिष्ट जवाब की ज़रूरत होती है. हम यह समझने में असमर्थ हैं कि राज्य क्या सुव्यवस्थित करना चाहता है. कोई दस्तावेज़ जमा करने से पहले कानूनी राय मांगना जो साक्ष्य का हिस्सा बन सकता है, अजीब है.”


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‘आदेश एजेंसियों को प्रतिबंधित नहीं कर सकता’

ईडी के एक दूसरे अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आदेश से जांच में कुछ दिनों की देरी हो सकती है, लेकिन जांच को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, “एजेंसियां उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए जांच के लिए आवश्यक प्रासंगिक दस्तावेज़ मांगती हैं. इस आदेश के गंभीर परिणाम हो सकते हैं क्योंकि यह जानकारी छिपाने का प्रयास है.”

अधिकारी ने कहा कि कानून के प्रावधानों के तहत एजेंसी उन्हें आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए मजबूर कर सकती है: “जांच के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ की मांग करने के लिए सीआरपीसी में प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं. इसके अलावा, अगर दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं, तो एजेंसी हमेशा अदालत जा सकती है और निर्देश प्राप्त कर सकती है.”

सोरेन को साहिबगंज में एक अवैध खनन मामले में भी ईडी की आंच का सामना करना पड़ रहा है, जहां उनके विधायक प्रतिनिधि को एक “घोटाले” का “सरगना” करार दिया गया है, जिसने कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध आय अर्जित की है. इस मामले में एजेंसी ने सीएम से नवंबर 2022 में पूछताछ की थी.

एजेंसी ने मई 2022 में राज्य में मनरेगा निधि के कथित गबन के लिए तत्कालीन खनन सचिव पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था. एक अन्य आईएएस अधिकारी, छवि रंजन को एजेंसी ने मई 2023 में उसी मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था, जिसमें सोरेन ईडी के सम्मन से बच रहे थे.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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