नई दिल्ली: ड्रोन्स, अल्ट्राकोल्ड कंटेनर्स और हवाई जहाज़ों का एक बैच- ये है पूरे भारत में कोविड-19 वैक्सीन पहुंचाने की अवनी सिंह की योजना, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन स्पाइसजेट के मालिक, अजय सिंह की बेटी हैं.
स्पाइस हेल्थ की सीईओ अवनी ने दिप्रिंट को बताया, कि वो पहले से ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), और दूसरी सरकारी एजेंसियों के साथ बातचीत कर रही हैं.
टेलीफोन पर किए गए एक इंटरव्यू में अवनी ने कहा, ‘वैक्सीन्स की डिलीवरी के लिए, वो हमारी ड्रोन सर्विस टेक्नोलॉजी को टेस्ट कर रहे हैं. हम दूसरी नई चीज़ों के लिए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से भी बात कर रहे हैं. वो जल्दी से (हमारी टेक्ननोलॉजी) अपनाने को लेकर उत्साहित हैं…’
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी ग्रेजुएट, 24 वर्षीय अवनी अक्तूबर में, कंसल्टेंसी फर्म मैकिंसे के यहां से अपनी नौकरी छोड़कर, भारत के एक सबसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्र- हेल्थकेयर में आ गईं.
मनोविज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक अवनी का लक्ष्य, वैक्सीन को ‘फैक्ट्री से मरीज़ों तक’ पहुंचाने के लिए, एक सिस्टम तैयार करना है.
उन्होंने कहा, ‘विचार ये है कि वैक्सीन्स को सीधे निर्माण सुविधाओं से उठाया जाए, और फिर शुरू से अंत तक लॉजिस्टिक्स, और प्रशासन उपलब्ध कराया जाए. ये है हमारी योजना’. उन्होंने आगे कहा कि उनकी कंपनी, केंद्र सरकार के साथ सक्रियता से बातचीत कर रही है.
23 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लॉन्च की गई स्पाइस-हेल्थ, वैक्सीन को रखने और डिलीवर करने के लिए, तापमान नियंत्रित कंटेनर तैयार कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल, उपलब्ध टेक्नोलॉजी के साथ हम उन वैक्सीन्स को स्टोर कर सकते हैं, जिन्हें माइनस 40 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान चाहिए होता है. फाइज़र की वैक्सीन्स को रखने के लिए, हम माइनस 70 से माइनस 80 डिग्री तक जाने की कोशिश कर रहे हैं’.
लेकिन, अवनी ने ये अनुमान लगाने से इनकार कर दिया, कि उनकी कंपनी हर रोज़ कितनी वैक्सीन्स की डिलीवरी कर पाएगी.
‘फिलहाल ये अनुमान लगाना बहुत जल्दबाज़ी होगी. मुझे यक़ीन है कि आगे चलकर, हम संख्या का बेहतर अंदाज़ा लगा पाएंगे’.
अवनी की योजना स्पाइसजेट की कार्गो डिवीज़न, स्पाइस एक्सप्रेस के साथ भी नज़दीकी के साथ काम करने की है, जिसमें 17 विमानों का एक समर्पित बेड़ा शामिल है, जिसमें एयरबस ए- 340, बोइंग 737 और बोम्बार्डियर क्यू 400 विमान शामिल हैं.
अवनी ने कहा, ‘हम नज़दीकी से कार्गो विंग के साथ काम करते हैं, जो अभी तक 95,000 टन कार्गो पहुंचा चुकी है, जिसमें ढेर सारी मेडिकल सप्लाईज़ शामिल हैं. भविष्य में भी वैक्सीन अभियान की अपनी योजना को पूरा करने के लिए, हम उनके साथ मिलकर काम करेंगे’.
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‘पिता के बिना कुछ नहीं’
अवनी अपने उद्यमी पिता अजय सिंह से ‘बेहद क़रीब’ हैं, जिन्हें 2005 में उनके द्वारा ही स्थापित, कम लागत वाली एयरलाइन को पुष्ट बनाने का श्रेय जाता है.
‘मैं कभी दावा नहीं कर सकती कि मैं जो भी करती हूं, वो सिर्फ मेरे द्वारा होता है या उनसे पूरी तरह स्वतंत्र होता है…ऐसा दावा करना अभिमान कहलाएगा. मैं सभी विचार उनसे साझा करती हूं, वो हमेशा सलाह के लिए मौजूद रहते हैं’. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने हेल्थकेयर कारोबार में कूदने का विचार, अपने पिता को बताया तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी.
उन्होंने कहा कि पिता ने मुझसे हमेशा कहा है, कि ‘विपत्ति आपके लिए हमेशा मौक़े लेकर आती है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘स्पाइसजेट में संभावित रूप से हाथ आज़माने से पहले, मैंने थोड़ा और समय तक कंसल्टेंसी के साथ काम करने की योजना बनाई थी. मैंने उनसे कहा कि मैं हेल्थकेयर में ये काम करने की सोच रही हूं, उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे अपना फैसला ख़ुद लेना है’.
उन्होंने कहा, ‘दरअस्ल वो मेरे आइडिया से बहुत संतुष्ट थे’. उन्होंने आगे कहा: ‘डैड ने कहा, अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारे आइडिया में संभावनाएं हैं, तो तुम्हें ये करना चाहिए… लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए कि इसमें मेहनत बहुत करनी होगी’.
उन्होंने कहा, ‘बस यही था. मैंने ज़मीनी सच्चाई जांचनी शुरू कर दी, ताकि समझ सकूं कि मुझे कहां से शुरू करना है’.
‘मैंने हेल्थकेयर कारोबार में लगे लोगों से मिलना शुरू कर दिया. मैं सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों से मिली, जिनमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन, और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंदर जैन शामिल हैं’.
आख़िरकार, उन्होंने अपना उद्यम शुरू करने का फैसला किया, और पहले कोविड-19 टेस्टिन्ग के साथ शुरूआत की- जो कोविड के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए ज़रूरी था.
सस्ती उड़ान से सस्ती हेल्थकेयर तक
अवनी ने कहा: ‘एक आम सोच ये थी भारत अपनी भरसक कोशिश कर रहा है, लेकिन हमारे पास एक मज़बूत हेल्थकेयर इनफ्रास्ट्रक्चर नहीं है’.
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय राजधानी में भी, जिस पैमाने पर टेस्टिंग चाहिए थी, वो उपलब्ध नहीं थी, और दिल्ली में रियल-टाइम पॉलीमर्स चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट कराने का एक बड़ा संकट था’.
जैसे जैसे उन्होंने और लोगों से बात की, अवनी को ‘समझ में आ गया कि टेस्टिंग ही एक तरीक़ा था, जिससे महामारी को क़ाबू किया जा सकता था. हमने बाज़ार को स्टडी किया और हमें दो मुद्दे सबसे मुख्य लगे- टेस्टिंग की लागत बेहद ज़्यादा थी, और बहुत सी लैब्स दूर दूर स्थित थीं, जिससे सैम्पल्स को लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी’.
अवनी ने कहा कि नवंबर के आख़िर तक, स्पाइसहेल्थ ने 499 रुपए की सबसे कम क़ीमत पर, आरटी-पीसीआर टेस्ट करने शुरू कर दिए- जबकि देश की दूसरी लैब्स इसके लिए 2,400 रुपए चार्ज कर रहीं थीं.
‘जैसे स्पाइसजेट सस्ती और किफायती उड़ानों के लिए जानी जाती है, उसी तरह स्पाइसजेट का सार भी वही है- सबके लिए किफायती’.
फिलहाल, कंपनी दिल्ली में पांच कोविड टेस्टिंग लैबोरेटरीज़ चला रही है- राजौरी गार्डन, छतरपुर, द्वारका, रोहिणी और आज़ादपुर मंडी. राष्ट्रीय राजधानी में जल्द ही पांच और नए लैब्स खोले जाने वाले हैं.
‘हम दिल्ली सरकार की टेस्टिंग योजना में एक बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहे हैं, जो 90,000 टेस्ट प्रतिदिन की है. हमारे पास पांच लैब्स हैं जो इसमें लगाए जाने के लिए तैयार हैं, और पांच अन्य लैब्स हैं जो पहले से काम कर रही हैं’.
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जिनोम सीक्वेंसिंग में जाने की योजना
अवनी की योजना कोविड टेस्टिंग सुविधाओं को धीरे धीरे देशभर में फैलाने की है, और वो भारत में ‘जिनोम- सीक्वेंसिंग’ के कारोबार में भी शामिल होना चाहती हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने दुनिया की टेक कैपिटल में पढ़ाई की है’. उन्होंने आगे कहा कि उनकी कंपनी नवीनता में विश्वास रखती है.
‘हमने सबसे पहले सूखे स्वॉब का तरीक़ा शुरू किया, जिससे टेस्टिन्ग का समय कम हो गया, जिसकी वजह से सैम्पल लेने के 6 घंटे के भीतर रिपोर्ट दी जा सकती है, जबकि दूसरे तरीक़ों में औसतन 24-48 घंटे लगते हैं’.
अवनी ने आगे कहा कि वो ‘जीनोम इंजीनियरिंग को लेकर बहुत उत्साहित हैं’. उन्होंने ये भी कहा, ‘सीक्वेंसिंग के बिना हेल्थकेयर का कोई भविष्य नहीं है, और स्पाइसहेल्थ में इसके बाद, मैं उसी में शामिल होना चाहती हूं’.
अवनी को उम्मीद है कि जल्द ही उनका उद्यम स्पाइसजेट से स्वतंत्र हो जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘स्पाइसजेट भी हमारी ही कंपनी है, और जहां जहां मैं अपने उड़ान कारोबार का फायदा उठा सकती थी, मैंने उठाया. बल्कि उससे हमें पूरा आईटी ढांचा खड़ा करने, और संचालन को संभालने में सहायता मिली’. उन्होंने आगे कहा, ‘स्पाइस हेल्थ अब पूरी तरह स्वतंत्र बनने पर काम कर रही है, चूंकि स्पाइस हेल्थ का लक्ष्य काफी बड़ा बनना है. स्पाइस हेल्थ एक स्वतंत्र कंपनी बनने की तरफ क़दम बढ़ा रही है’.
अवनी ने आगे कहा कि उनके मेडिकल उद्यम में अब 100 से अधिक कर्मचारी हैं, और हर दिन वो और कर्मचारी हायर कर रही हैं.
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