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Wednesday, 6 November, 2024
होमडिफेंससेना की नियंत्रण रेखा पर गर्मियों में होगी खास रणनीति, इसबार कश्मीर बॉर्डर पर बढ़ सकती हैं आतंकी गतिविधियां

सेना की नियंत्रण रेखा पर गर्मियों में होगी खास रणनीति, इसबार कश्मीर बॉर्डर पर बढ़ सकती हैं आतंकी गतिविधियां

सेना द्वारा यह कदम उस समय उठाया जा रहा है जब कश्मीर में एक नया संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट सामने आया है, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा शुरू किया गया एक और आतंकी प्रॉक्सी ग्रुप है.

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नई दिल्ली: सेना ने कश्मीर में पाकिस्तान के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर गर्मियों के मद्देनजर नई रूपरेखा तैयार की है. सेना का मानना है कि गर्मियों के दौरान पाकिस्तान एलओसी पर आतंकी गतिविधियां बढ़ा सकता है.

उपायों में नियंत्रण रेखा पर ग्रिड-वाइज़ (अलग-अलग तरीके से) सुरक्षाबल गुणक शामिल होंगे.

सेना ने यह कदम उस समय उठाया है जब कश्मीर में एक नया संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) सामने आया है, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह पाकिस्तान द्वारा शुरू किया गया एक और आतंकी प्रॉक्सी ग्रुप है.

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि टीआरएफ और कुछ नहीं है बल्कि इस्लामाबाद के लिए आतंकी हमले को अंजाम देने और स्थानीय लोगों को आकर्षित करने का एक मोर्चा भर है.

सिक्योरिटी इस्टैबलिशमेंट के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, पाकिस्तान पहले ही एलओसी पर आतंकवादियों की घुसपैठ को बढ़ा दिया है. संघर्ष विराम का उल्लंघन केवल उसी के लिए है. ‘ घाटी में आतंकवादियों को जोड़ने से उनकी गतिविधियों में वृद्धि होगी और वो फिलहाल सॉफ्ट टार्गेट को अपना निशाना बनाएंगे, जैसे में गश्ती दल में मौजूद पुलिसकर्मी या चौकियों पर मौजूद पुलिसकर्मी आदि.

सूत्र ने बताया कि हमारा मानना है कि आने वाले सप्ताह में पाकिस्तान की गतिविधियां और बढ़ने वाली हैं. सुरक्षा बल पहले से ही आक्रामक हैं, यहां तक कि कोरोनोवायरस महामारी के मद्देनजर भी सावधानी बरती जा रही है.

संघर्ष विराम का उल्लंघन पाकिस्तान ने बढ़ाया

हालांकि संघर्ष विराम उल्लंघन एक नियमित विशेषता है, सूत्रों ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान में कोविड -19 महामारी होने के बावजूद लगातार वह संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है. और इसे शामिल करने के लिए देश की सेना को तैनात किया गया है.


यह भी पढ़ें: खुफिया एजेंसी का कहना है कि 5 अगस्त से जम्मू-कश्मीर में 55 आतंकवादी घुसे, लेकिन सेना ऐसा नहीं मानती


इस वर्ष पाकिस्तानी सेना द्वारा कम से कम 1,197 युद्धविराम उल्लंघन किए गए हैं – मार्च में उनमें से 411. सूत्रों ने कहा कि पिछले साल मार्च में उल्लंघन की संख्या 267 थी.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तानी सैनिकों ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में संघर्ष विराम उल्लंघन 3,200 बार किया, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे अधिक रहा था.

सेना युद्धविराम उल्लंघन का जवाब दे रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, भारतीय सेना एलओसी के किनारे आतंकी लॉन्च पैड पर टार्गेट कर हमले कर रही है.

हालांकि, पाकिस्तानी पक्ष की ओर से किसी के हताहत होने का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है, लेकिन सेना के सूत्रों ने कहा कि दूसरी तरफ कई गंभीर रूप से और हताहत हुए हैं.

अगर आप औसत आंकड़ों पर जाएं, तो मैं कहूंगा कि हमारी प्रतिक्रिया के कारण पाकिस्तानी पक्ष की ओर से हर हफ्ते कम से कम एक गंभीर रूप से घायल होता है और कई 3-5 हताहत होते हैं.

ये संख्याएं अनुमान और ग्राउंड पर मौजूद मानवीय बुद्धिमत्ता पर आधारित हैं.

सेना  ने बनाई गर्मियों के लिए रणनीति 

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बल अपनी गर्मियों की रणनीति की तरफ ध्यान केंद्रित कर रही है. जिसके तहत घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के साथ साथ एलओसी पर सैनिकों की अधिक तैनाती पर ध्यान दिया जा रहा है.

इस रणनीति में कई ग्रिड-आधारित सुरक्षा, अधिक घातक और पहचान-आधारित प्रणालियों की तैनाती शामिल होगी.

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद नियंत्रण रेखा पर पांच अप्रैल को पांच आतंकी मार गिराए हैं. इस कार्यवाई में पांच सेवा के जवान भी मारे गए हैं.

श्रीनगर में 15 कॉर्प के जेनरल कमांडिंग अधिकारी लेफ्टिनेंट जेनरल बीएस राजू ने तब कहा था कि यह घटना स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की सहायता और घुसपैठ और घाटी में आतंकवाद के रूप में दिखाई देता है.

पाकिस्तान का यह कृत्य विशेष रूप से निंदनीय है क्योंकि जब पूरी दुनिया कोविड -19 और उसके प्रभाव से लड़ रही है उस दौरान पाकिस्तान घुसपैठियों को बढ़ावा दे रहा है.

सुरक्षा एजेंसी टीआरएफ पर रख रही है कड़ी नजर

टीआरएफ पर सेना और सुरक्षा एजेंसी कड़ी नजर रख रही हैं. यह समूह पहली बार पिछले वर्ष अक्तूबर में सामने आया था जब इसने सीआरपीएफ के जवान पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी ली थी.

इस वर्ष मार्च में जम्मू और कश्मीर पुलिस ने टीआरएफ के मॉड्यूल का खुलासा किया था, जो जेके फाइटर के नाम से जाना जाता था.

शुरुआत में यह पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा का ही अंग के रूप में देखा गया था. सेंट्रल सिक्योरिटी एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि पहले उन्हें लगा कि यह भी पाकिस्तान का कोई प्रॉक्सी समूह है जो दूसरे के हमले की जिम्मेदाी ले रहा है.

इस मॉड्यूल ने माना कि इस महीने के शुरुआत में कुपवाड़ा में मारे गए पांच आंतकी उन्हीं के हैं. सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि टीआरएफ पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में जो कुछ होता है, उसके लिए स्वदेशी घुमाव देने का एक और प्रयास है. वे दूसरों द्वारा किए गए हमलों पर दावा कर रहे हैं. उनका उपयोग स्थानीय भर्तियों को आकर्षित करने के लिए भी किया जा रहा है.


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रविवार को अनंतनाग में जम्मू और कश्मीर पुलिस के जवान की हत्या की जिम्मेदारी भी टीआरएफ ने अपने उपर ली है.
यहां तक की, सोमवार को एक नया बयान जारी कर उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वह कश्मीरी को नहीं मारते हैं. और एक कदम आगे बढ़ते हुए हिजबुल मुजाहिदीन पर हमले का आरोप लगाया और इस तरह के किसी भी हमले के खिलाफ आतंकवादी समूह को चेतावनी दी.

सुरक्षा बलों ने कहा कि यह मामला स्थानीय लोगों को आकर्षित करने के लिए कि वह आने वाले दिनों में टीआरएफ इस तरह के मामले और बढ़ा सकता है.

झूठे आरोप की चिंता

कुछ मामलों में यह भी आशंका है कि पाकिस्तान, ‘भारत के खिलाफ झूठा अभियान‘ चला रहा है, वास्तव में किसी तरह के हमले को अंजाम दे सकता है और भारतीय एजेंसियों पर इसका दोष मढ़ सकता है.

हाल ही में एक चीनी जहाज से जुड़े कांडला बंदरगाह की घटना को भी भारत के झूठे संचालन के रूप में दिखाने की कोशिश की गई थी.

एक खुफिया जानकारी के अनुसार, यह पाकिस्तान के एक थिंक-टैंक द्वारा किया गया था जिसने हाल ही में ‘रेडिकल’ इंडिया और ‘रिस्पॉन्सिबल’ पाकिस्तान पर एक सेमिनार का आयोजन किया था.

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान भारत द्वारा झूठे ऑपरेशंस के बारे में बात कर रहा है, जो यहां अगले आतंकी हमले के समय काम आ सकता है.

हालांकि, किसी भी बड़े आतंकी हमले के बारे में कोई खास खुफिया जानकारी नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में भी पढ़ा जा सकता है, यहां क्लिक करें)

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