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Friday, 19 April, 2024
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सोनू कुमार- कैसे एक ‘शराबी के बेटे’ ने नीतीश कुमार को पुकारा और बिहार में स्टार बन गया

एक वायरल वीडियो में पांचवी कक्षा का छात्र सीएम नीतीश कुमार को अपने स्कूल में पढ़ाई के घटिया स्तर के बारे में बताते हुए नजर आ रहा है.

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पटना: 16 मई को बिहार के एक सरकारी स्कूल में पांचवीं में पढ़ने वाले 12 साल के सोनू कुमार उस समय अचानक से सुर्खियों में छा गए, जब उसने भीड़ से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आवाज दी और कहा कि उसके स्कूल में ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं होती है. सीएम अपने गृह जिले नालंदा का दौरा कर रहे थे और भीड़ में इंतजार कर रहे सोनू की शिकायत का उनका ये वीडियो वायरल हो गया.

नालंदा के कल्याण बीघा गांव के रहने वाले सोनू वायरल वीडियो में कहते हैं, ‘सुन लीजिए, सर’ स्तब्ध नीतीश लड़के की ओर मुड़ते हैं, वह कहता है: ‘हमको आईएएस, आईपीएस बनना है. सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है.’

सोनू आगे नीतीश कुमार को बताते हैं, (जिनकी सरकार ने राज्य में शराबबंदी लागू की हुई है) कि उनके पिता रणविजय यादव दूध बेचते हैं और शराबी हैं. वह सारा पैसा शराब पर खर्च कर देते हैं. उनका परिवार उन्हें प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा सकता है. इस बात से थोड़ा सा शर्मिंदा नजर आए मुख्यमंत्री अपने साथ आए अधिकारियों से शिकायत पर गौर करने के लिए कहते हैं.

इसके बाद से कई राजनेताओं को ध्यान सोनू की तरफ गया और उन्होंने उसकी शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था करने और पैसे देने की पेशकश की. सोनू इस बात से इनकार करते हैं कि उन्हें ये सब कहने के लिए किसी ने ‘सिखा-पढ़ाकर’ भेजा था.

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जहां नीतीश की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं ने स्कूलों की स्थिति के बारे में आरोपों के खिलाफ मुख्यमंत्री का बचाव किया है तो वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षक इस घटना को ‘सम्राट के पास कपड़े नहीं हैं’ कहानी से जोड़कर देख रहे हैं.

ए.एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, पटना के पूर्व निदेशक डी.एम. दिवाकर ने कहा, ‘मुझे वह कहानी याद है जहां केवल एक युवा लड़के में राजा को यह बताने की हिम्मत थी कि उसके पास कपड़े नहीं हैं.’

वह आगे कहते हैं, ‘सोनू बहुत होशियार लड़का लगता है. उसने जो किया उससे ये तो उजागर हो गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी विफल है और राज्य की स्कूली शिक्षा चरमरा रही है.’

वह बिहार के शराबबंदी कानून का जिक्र कर रहे थे जिसे पहली बार 2016 में विधानसभा ने पारित किया था. कानून राज्य में शराब पीने वाले के लिए कारावास या जुर्माना की सिफारिश करता है. हालांकि इस कानून को काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है – मुख्य रूप से यह कि कानून अपने उद्देश्य में विफल रहा है और इसने राज्य न्यायपालिका के बोझ को बढ़ा दिया है. राज्य सरकार का कहना है कि शराबबंदी पर उसे महिलाओं का समर्थन प्राप्त है.

उधर पार्टी स्कूली शिक्षा में बेहतरी की बात कर रही है. जद (यू) ने कहा कि यह नीतीश की सरकार है जिसने बिहार में स्कूली शिक्षा में सुधार लाने में मदद की.

जद (यू) विधान परिषद की सदस्य नीरजा कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘2005 से पहले स्कूलों की हालत क्या थी, उसे याद करें.. कोई बिल्डिंग या शिक्षक नहीं थे. यह सीएम नीतीश कुमार थे जिन्होंने स्कूल बनवाए और वहां शिक्षकों को लेकर आए.’


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किसी ने सिखा-पढ़ा कर नहीं भेजा था

सोनू नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बीघा के एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है. दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल में बहुत कम क्लास लगती हैं और पढ़ाई की हालत खस्ता है.

उन्होंने कहा, ‘हमें अंग्रेजी पढ़ाने वाले टीचर को खुद ढंग से अंग्रेजी नहीं आती है.’

सोनू ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि वह स्थानीय पंचायत स्कूल में पांचवी के 30 बच्चों को ट्यूशन देते हैं.

एस.के. पटना में एक कोचिंग संस्थान चलाने वाले झा ने दिप्रिंट को बताया. ‘वह बिहार में सबसे कम उम्र का टीचर होगा.’ झा ने सोनू की पढ़ाई का खर्च उठाने की पेशकश की है. वीडियो वायरल होने के बाद से सोनू के पास ऐसे कई प्रस्ताव आए हैं, ये उन्हीं में से एक है.

राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद के सबसे बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने सोनू को एक प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाने की बात कही है.

पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वह सोनू से मिले थे और उन्हें 3000 रुपये के मासिक वजीफा के साथ नवोदय विद्यालय में दाखिला दिलाने का ऑफर दिया.

मोदी ने कहा, ‘जिस तरह से उन्होंने सीएम के सामने अपने मन की बात कही, मैं उनके आत्मविश्वास प्रभावित हुआ हूं.’ जवाहर नवोदय विद्यालय मुख्य रूप से ग्रामीण भारत के उज्जवल लेकिन वंचित छात्रों के लिए केंद्रीय विद्यालय हैं.

सोनू ने इन आरोपों से इनकार किया है कि सीएम के सामने ये सब कहने के लिए उन्हें किसी ने सिखा-पढ़ाकर भेजा था. वह तो बस सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हालत पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं सीएम से मिलकर एक अपील करना चाहता था. इसके लिए मुझे किसी ने ‘तैयार’ नहीं किया था.’

वीडियो के वायरल हो जाने के बाद जहां सोनू स्टार बन गया है, वहीं उसके पिता लोगों की नज़रों से बचते घूम रहे हैं. राज्य के कठोर शराबबंदी कानून के तहत उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर है.

अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर एन.के. चौधरी ने कहा कि सोनू के वीडियो ने एक गहरी समस्या को उजागर किया है: सरकारी शिक्षा की चरमराती हालत.

चौधरी ने कहा, ‘मोदीजी (सुशील मोदी) सोनू को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला दिला सकते हैं. लेकिन यह समस्या का कोई सही हल नहीं है. सोनू जैसे हजारों बच्चे प्रतिभाशाली हैं जो सरकारी स्कूलों से बेहतर शिक्षा पाने के हकदार हैं.’

दिवाकर ने स्वीकार किया कि 2005 में नीतीश के सत्ता में आने पर अनुमानित 35 लाख बच्चे स्कूल से बाहर थे. उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार की सरकार ही थी जिसने बच्चों खासकर लड़कियों को स्कूल में लाना शुरू किया.

वह आगे कहते हैं, ‘लेकिन जब सरकार ने शिक्षकों की भर्ती शुरू की तो काबिलियत पर ध्यान नहीं दिया गया. 1,500 रुपये प्रति माह पर कांट्रेक्ट पर नियुक्तियां की गई. सरकार ने स्थानीय मुखिया को नियुक्ति प्राधिकारी बनाया. प्रमुखों द्वारा नियुक्तियों के लिए रिश्वत लेने के कारण बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं.’

उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सामान्य गिरावट आई है.

उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिली, लेकिन उनमें से ज्यादातर पढ़ाने में असमर्थ हैं’ वह कहते हैं, ‘इसलिए सोनू शिकायत कर रहा है कि उसके अंग्रेजी शिक्षक को भाषा नहीं आती है. सरकार यह समझने में विफल रही कि शिक्षा रोजगार की जगह नहीं है. यह मानव संसाधन विकास का एक तंत्र है जिससे रोजगार पैदा होता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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