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Monday, 29 September, 2025
होमदेशधराली में आर्मी कैंप के जवानों ने पीड़ितों को बचाने के लिए तुरंत की कार्रवाई, लेकिन ‘फिर पानी आ गया’

धराली में आर्मी कैंप के जवानों ने पीड़ितों को बचाने के लिए तुरंत की कार्रवाई, लेकिन ‘फिर पानी आ गया’

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे कई जवान पानी के तेज़ बहाव में बह गए. कई को हड्डी टूटने और हल्की चोटों के बाद उत्तरकाशी ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के ज़िला अस्पताल में गुरुवार को हर्षिल में आई अचानक बाढ़ के पीड़ितों को भर्ती कराया गया. इनमें कई के हाथ-पैर टूट गए थे और कुछ को हल्की (सॉफ्ट टिश्यू में) चोटें आई थीं. ज़्यादातर लोग धराली के पास हर्षिल आर्मी कैंप के थे, जो रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारी के दौरान बाढ़ की चपेट में आ गए.

अमृतसर, पंजाब के 41 साल के अमरदीप सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “ऐसा लगा जैसे कोई बांध टूट गया हो, पानी अचानक आ गया.” वे कैंप में भारी मशीनरी के सुपरवाइज़र हैं. उन्होंने कहा, “सिर्फ 30 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया.”

अस्पताल के ऑर्थोपेडिक वार्ड में छह लोग बिस्तरों पर आराम कर रहे थे. सभी आर्मी कैंप से थे, जिनमें चार अग्निवीर भी शामिल थे. केवल दो लोग होश में थे—अमरदीप और गोपाल, जो स्थानीय कुली हैं और कैंप में काम करते थे.

अमरदीप सिंह, हर्षिल आर्मी कैंप के सुपरवाइज़र, अस्पताल में भर्ती | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
अमरदीप सिंह, हर्षिल आर्मी कैंप के सुपरवाइज़र, अस्पताल में भर्ती | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

जब हर्षिल कैंप के सैनिकों को धराली में आई अचानक बाढ़ की खबर मिली — जो वहां से करीब 7 किलोमीटर दूर है — तो वे तुरंत हरकत में आ गए. सिंह के मुताबिक, एक टीम धराली के लिए रवाना हुई और बाकी ने कैंप में ही रेस्क्यू की तैयारी शुरू कर दी.

उन्होंने बताया, “पहली बार बाढ़ धराली में दोपहर 12:30 बजे से 1 बजे के बीच आई. हमने रेस्क्यू टीम को वहां जाते हुए देखा…जब पहली टीम वापस आई, तो मैंने खुद लोगों को पानी से निकाला, उन्हें आर्मी की गाड़ियों में बैठाया और फर्स्ट एड दिलवाई.”

सिंह ने आगे कहा, “हम हर्षिल कैंप से रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए निकल ही रहे थे कि अचानक बाढ़ आ गई.”

सिंह ने बताया कि बाढ़ आते ही उन्होंने सैनिकों को पानी के तेज़ बहाव में बहते देखा. कुछ सैनिक धराली से लोगों को बचाकर लौटे ही थे. इस हादसे में सिंह का भी पैर टूट गया.

उन्होंने रुंधते गले से कहा, “हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि हम अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं. अगर हम एक भी जान बचा लें, तो बिना शर्म के स्वर्ग जा सकते हैं.”

सिंह डेढ़ महीने पहले ही हर्षिल आए थे, जब उनके मैनेजर को आर्मी कैंप में मशीनरी सेवाएं देने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था.

उन्होंने फोन में कैंप की तस्वीरें दिखाईं—कैंप के रेस्तरां में चमकीली पीली पगड़ी पहने उनकी मुस्कुराती सेल्फियां. उनकी पत्नी और तीन बच्चे अमृतसर में रहते हैं. सिंह ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के बाद ही पहली बार उनसे बात हो पाई.

पहले उनका इलाज आर्मी कैंप के मेडिकल इंस्पेक्शन रूम में हुआ, फिर उन्हें एयरलिफ्ट करके उत्तरकाशी लाया गया. उन्हें नहीं पता कि अस्पताल से कब छुट्टी मिलेगी, लेकिन वे वापस हर्षिल लौटकर काम जारी रखने का इरादा रखते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मुझे डर नहीं लगा. आखिर मैं पंजाब से हूं—हम डरते नहीं.”

सिंह के बिस्तर के तिरछे सामने गोपाल बैठे थे. उत्तरकाशी के रहने वाले गोपाल के शरीर पर कट और खरोंचों पर भूरे रंग की दवा लगी हुई थी. कैंप में कुली के तौर पर गोपाल खाना बनाने से लेकर सामान पहुंचाने तक के छोटे-मोटे काम करते थे.

गोपाल (दाएं), उत्तरकाशी के स्थानीय निवासी जो आर्मी कैंप में काम करते हैं | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
गोपाल (दाएं), उत्तरकाशी के स्थानीय निवासी जो आर्मी कैंप में काम करते हैं | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

गोपाल ने बताया, “हम धराली जाने की तैयारी कर रहे थे. रस्सियां और रेस्क्यू का सामान गाड़ियों में रख चुके थे, तभी बाढ़ आ गई.” उन्हें पानी का तेज़ बहाव बहा ले गया था और उन्हें 250 मीटर तैरकर किनारे आना पड़ा.

उन्होंने कहा कि उन्हें आर्मी के जवानों ने बचाया. “यहां तीन कैंप हैं—ऊपरी, बीच वाला और निचला कैंप. हम निचले कैंप में थे.”

गोपाल को भी बुधवार को एयरलिफ्ट करके ज़िला अस्पताल लाया गया, जहां देहरादून से आए आठ डॉक्टरों की टीम मरीजों की देखरेख कर रही थी.

सरकारी दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल एजुकेशन के अतिरिक्त निदेशक डॉ. आर.एस. बिष्ट भी इस टीम का हिस्सा थे.

बिष्ट ने कहा, “सबसे आम चोट पैरों में है, ज्यादातर हड्डी टूटने की. 13 लोगों को बचाया गया, जिनमें 10 आर्मी के और तीन आम नागरिक हैं. इनमें से 11 को ज़िला अस्पताल में भर्ती किया गया है.”

डॉक्टरों के मुताबिक, ज़्यादातर बाढ़ पीड़ितों को पैरों में चोट लगी है | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
डॉक्टरों के मुताबिक, ज़्यादातर बाढ़ पीड़ितों को पैरों में चोट लगी है | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यहां भर्ती 11 लोगों में से तीन को दूसरे अस्पताल भेजा गया है, जबकि एक ICU में है.”

बिष्ट आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के मटली अस्पताल में भी बैठते हैं, जहां हेलिपैड है और बाढ़ पीड़ितों का इलाज हो रहा है.

बिष्ट ने कहा, “हम पहले भी इसी ग्रुप का इलाज कर रहे थे, लेकिन आज मरीज़ों की संख्या थोड़ी कम थी, इसलिए हम मटली में काम कर रहे हैं. एक मरीज को सिर में चोट थी, जिसे हमने एम्स ऋषिकेश भेजा.”

बिष्ट के मुताबिक, रेस्क्यू ऑपरेशन अब तेज़ हो गए हैं. इनका फोकस स्थानीय लोगों को बचाने पर है, खासकर एयरलिफ्ट के ज़रिए.

बिष्ट ने बताया कि “राहत कार्यों में 11-12 हेलिकॉप्टर और 1 चिनूक लगे हुए हैं. सड़क से आना-जाना अभी तुरंत संभव नहीं होगा क्योंकि रास्ता साफ होने में समय लगेगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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