scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशसोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने को लेकर छिड़ा विवाद, जावड़ेकर बोले- यह लोकतंत्र है

सोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने को लेकर छिड़ा विवाद, जावड़ेकर बोले- यह लोकतंत्र है

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए हमले के बाद उनके प्रति एकजुटता दिखाने के लिए जेएनयू पहुंची थीं.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय जाने को लेकर छिड़ी बहस के बीच कहा है कि सिर्फ कलाकार ही क्यों, कोई भी आम आदमी अपना विचार प्रकट करने के लिए कहीं भी जा सकता है, कोई आपत्ति नहीं हो सकती. वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने भी कहा था कि कौन कहां जाता है, इससे कोई किसी को रोक नहीं सकता है. यह एक लोकतांत्रिक देश है और हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. कोई फिल्म के प्रमोशन के लिए जाता है और कोई इसके लिए इवेंट तैयार करता है.

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए हमले के बाद छात्रों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए जेएनयू पहुंची थीं. पांच से सात मिनट परिसर में रुकीं ज़रूर लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं.

दीपिका जेएनयू जाने के बाद से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता जहां अभिनेत्री के विरोध में खड़े हो गए हैं वहीं दूसरा वर्ग उनके समर्थन में खड़ा है. दीपिका कल शाम 7 बजकर 40 मिनट पर विश्वविद्यालय परिसर पहुंची थीं और उन्होंने वहां चल रही एक जनसभा में हिस्सा लिया था. यह बैठक रविवार को परिसर में छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले पर बातचीत के लिए जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयूएसयू ने बुलाई थी.

बता दें कि दीपिका की फिल्म छपाक आगामी शुक्रवार को रिलीज़ होने वाली है. सोशल मीडिया पर उनको लेकर कई तरह के ट्रेंड चल रहे हैं जिसमें छपाक फिल्म का बहिष्कार #boycottchhapaak किए जाने से लेकर, दीपिका पादुकोण #DeepikaPadukone और आई सपोर्ट दीपिका पादुकोण #ISupportDeepika ट्रेंड कर रहा है.

वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी दिल्ली से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का समर्थन करने के कारण लोगों से अदाकारा दीपिका पादुकोण की आगामी फिल्म ‘छपाक’ का बहिष्कार करने को कहा है. जबकि विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि दीपिका को स्पष्ट करना चाहिए कि वह वहां किसके साथ एकजुटता दिखाने गई थीं.

बिधूड़ी ने कहा कि देश के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों के साथ दिखने की बजाय बॉलीवुड सितारों से फिल्मों के ज़रिए देश में युवाओं को सकारात्मक संदेश देने की अपेक्षा होती है.

विहिप पदाधिकारी ने दीपिका पादुकोण से मांगी सफाई

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हालिया हिंसा के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के जेएनयू पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि दीपिका को स्पष्ट करना चाहिए कि वह वहां किसके साथ एकजुटता दिखाने गई थीं.

विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, ‘महत्वपूर्ण बात यह है कि दीपिका जेएनयू के किन विद्यार्थियों के साथ एकजुटता दिखा रही हैं? हालिया हिंसा के वक्त वहां दो तरह के विद्यार्थी थे. एक तबका विद्यार्थियों पर हमला कर रहा था, जबकि दूसरा हमलावरों से उनकी सुरक्षा का प्रयत्न कर रहा था.’

उन्होंने पूछा, ‘क्या वह (दीपिका) उन लोगों के साथ एकजुटता दिखा रही हैं जो जेएनयू में गलत काम कर रहे हैं?’

परांडे ने जोर देकर कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और 34 वर्षीय अभिनेत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि वह जेएनयू विद्यार्थियों के किस तबके के साथ हैं.

जेएनयू हिंसा मामले में केंद्र सरकार पर बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप के तीखे हमलों के बारे में पूछे जाने पर विहिप महामंत्री ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘मुझे लगता है कि इस तरह का रुख रखना कुछ लोगों के लिए फैशनेबल बात हो गई है. अगर कोई भी व्यक्ति देशहित के खिलाफ बात करता है, तो यह सरासर गलत है और इसे हम कतई स्वीकार नहीं कर सकते, भले ही ये बातें कितनी भी बड़ी और मशहूर हस्तियों के मुंह से निकली हों.’

परांडे ने कहा, ‘इन दिनों जिस तरह देश विरोधी ताकतों द्वारा एक साजिश के तहत जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों में हिंसा का उपयोग किया जा रहा है, उसे मैं बेहद खतरनाक मानता हूं. इन परिसरों में हिंसक आंदोलनों का आह्वान करने वाले लोगों को सजा मिलनी चाहिए.’

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की जोरदार पैरवी करते हुए विहिप महामंत्री ने कहा कि 1947 में भारत के विभाजन के वक्त खासकर हिंदुओं और सिखों के साथ ‘ऐतिहासिक अन्याय’ किया गया था. इस नाइंसाफी को दूर करने के लिए भारत सरकार द्वारा सीएए के जरिए अच्छा कदम उठाया गया है.

उन्होंने कहा, ‘भारत के कुछ राजनीतिक दल और साम्यवादी शक्तियां सीएए की आड़ में हिंसा भड़काते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण का प्रयास कर रही हैं, जबकि देश के मुसलमानों से इस कानून का कोई संबंध ही नहीं है. यह किसी व्यक्ति की नागरिकता छीनने वाला नहीं, बल्कि पड़ोसी मुल्कों में धार्मिक आधार पर सताए गए लोगों को नागरिकता देने वाला कानून है.’

गौरतलब है कि सीएए के अनुसार 31 दिसम्बर, 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन के लिए पात्र बनाने का प्रावधान है.

share & View comments