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Sunday, 24 August, 2025
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खोपड़ी और हड्डियां, कुत्तों की ‘चीखें’ — एक प्रोटेस्ट ने रोहिणी ABC सेंटर की समस्याओं को उजागर किया

रोहिणी सेंटर के अंदर आवारा कुत्तों के साथ क्रूरता को दिखाते कथित फोटो और वीडियो व्हाट्सएप ग्रुप्स में तेजी से फैलने के बाद, जानवर प्रेमी मौके पर पहुंच गए और जवाब मांगने लगे.

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नई दिल्ली: दो साल पहले, आयेशा क्रिस्टीना बेन कई दिनों तक रोहिणी सेक्टर 27 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर के बाहर अकेली खड़ी रहीं. उनका आरोप था कि यह सेंटर खुलेआम ABC नियमों का उल्लंघन कर रहा है और नसबंदी के बाद आवारा कुत्तों को उनके असली इलाकों में वापस नहीं छोड़ रहा है.

उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया गया था. तब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डालकर लोगों से समर्थन मांगा था. इसमें उन्होंने दावा किया था कि लाल किले के कुत्तों—जिनमें से कई को उन्होंने माइक्रोचिप लगाया था—को गणतंत्र दिवस से पहले 16 किलोमीटर दूर रोहिणी सेंटर लाया गया, जबकि दो अन्य ABC सेंटर, जिनमें उनका खुद का भी था, ज़्यादा नज़दीक थे.

उन्होंने आरोप लगाया था कि सेंटर उन्हें अंदर नहीं आने दे रहा क्योंकि उन्होंने पहले यहां कई नियम तोड़ने की घटनाओं की ओर इशारा किया था. इनमें कुत्तों को टैग न करना, नसबंदी के लिए बने कमरे को “बेडरूम” के रूप में इस्तेमाल करना और ऑपरेशन एक गैर-स्टरल रूम में करना, डॉग कैचर्स का “गठजोड़” और खुले घावों के साथ कुत्तों को छोड़ने की शिकायतें शामिल थीं.

सोशल मीडिया पर उनके SOS का असर बहुत कम रहा था.

शुक्रवार रात, बेन फिर उसी ABC सेंटर के बाहर खड़ी थीं, लेकिन इस बार नज़ारा अलग था. सैकड़ों पशुप्रेमी गेट पर जुटे थे, नारे लगा रहे थे और अंदर जाने की मांग कर रहे थे. वजह थी तस्वीरें और वीडियो, जिनमें कथित तौर पर कुत्तों पर क्रूरता दिखाई गई थी.

Animal weflare community members outside the Rohini ABC Centre late Friday | Gitanjali Das | ThePrint
शुक्रवार देर रात रोहिणी एबीसी सेंटर के बाहर पशु कल्याण समुदाय के सदस्य | गीतांजलि दास | दिप्रिंट

लोगों ने सेंटर के पास कथित रूप से पशु अवशेष, जैसे खोपड़ी और हड्डियाँ देखने का दावा किया. स्टाफ पर कुत्तों को पीटने का आरोप लगा. एक ड्रोन वीडियो में एक कर्मचारी को अंगों को प्लास्टिक बाल्टी में डालते हुए दिखाया गया.

यह सब उसी दिन हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवादित आवारा कुत्तों के फैसले में बदलाव कर कहा कि कुत्तों को अभी शेल्टर में न रखा जाए, बल्कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाए.

अंधेरे और सुनसान इलाके में बने इस रोहिणी सेंटर के बाहर भीड़ जमा थी. सौ से ज़्यादा लोग थे—कुछ गेट पर धक्का-मुक्की कर रहे थे, कुछ शांत रहकर अपने-अपने इलाकों के कुत्तों को ढूंढ रहे थे, और कुछ लोग माहौल शांत कराने की कोशिश कर रहे थे.

पुलिस ने दो लोगों को खींचकर पीटा. एक डॉग फीडर रोते हुए बोलीं कि वह रोज़ जिन दो कुत्तों को खाना खिलाती थीं, उन्हें ढूंढने आई हैं.

“कुत्तों की हत्या”, “कुत्तों के मांस का कारोबार”, “यातना”, “लापरवाही”, “भ्रष्टाचार” और “गलत ऑपरेशन” जैसे आरोप हवा में उड़ रहे थे.

Ayesha Christina Benn, whose NGO Neighbourhood Woof is empanelled with MCD to carry out sterilisations, speaks to the crowd as they demand to know what she observed inside the Rohini centre | Gitanjali Das | ThePrint
आयशा क्रिस्टीना बेन, जिनका एनजीओ नेबरहुड वूफ़ एमसीडी के साथ नसबंदी करने के लिए सूचीबद्ध है, भीड़ से बात करती हैं जब लोग जानना चाहते हैं कि उन्होंने रोहिणी केंद्र के अंदर क्या देखा | गीतांजलि दास | दिप्रिंट

कई घंटे तक तनाव रहा. लोग अंदर जाकर जांच की मांग कर रहे थे. लेकिन गेट अंदर से बंद था और पुलिसकर्मी खड़े थे.

धीरे-धीरे पुलिस ने छोटे-छोटे समूहों को अंदर जाने दिया. इनमें दिल्ली एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य डॉ. आशेर जेसुडॉस, सुप्रीम कोर्ट की वकील जैस्मीन दमकेवाला और बेन भी शामिल थीं. इनके साथ पुलिसकर्मी भी थे और उन्होंने अंदर का वीडियो बनाया.

Animal skull found near the Rohini Sector 27 ABC Centre | By special arrangement
रोहिणी सेक्टर 27 एबीसी सेंटर के पास जानवर की खोपड़ी मिली | विशेष व्यवस्था द्वारा

जेसुडॉस और दमकेवाला दोनों ने बताया कि उन्होंने सेंटर के बाहर कुत्ते की खोपड़ी और हड्डियां देखीं. जेसुडॉस ने कहा, “मैंने एक बीमार कुत्ते को वॉशरूम में ई-कॉलर पहने देखा. उसे वॉलंटियर्स ने बाहर निकालकर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल भेजा है.”

दोनों ने यह भी कहा कि अंदर फर्श साफ किए हुए लग रहे थे और जगह हाल ही में धोई गई थी. दमकेवाला ने बताया कि कोई CCTV नहीं था और उन्होंने कुल 112 कुत्तों को गिना.

एमसीडी के वेटरिनरी सर्विसेज के डिप्टी डायरेक्टर एस.के. यादव ने कहा, “पशु कार्यकर्ताओं ने गेट तोड़कर सेंटर में घुसने की कोशिश की और ड्रोन कैमरे लाए. डॉक्टर राजीव ने बताया कि अंदर एक कुत्ता है जिसका पैर टूटा था. हालत खराब होने पर पैर काटना पड़ा. किसी ने तस्वीर लेकर वायरल कर दी होगी.”

यादव ने दावा किया कि पशु कार्यकर्ता आक्रामक कुत्तों को भी सड़क से उठाने के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें रोहिणी सेंटर की कोई शिकायत नहीं मिली है.

आउटर नॉर्थ डीसीपी हरेश्वर वी. स्वामी ने बताया कि यह ज़्यादातर शांतिपूर्ण प्रदर्शन था. “करीब 150 लोग रात 11 बजे इकट्ठा हुए. कई प्रतिनिधि टीमों को उनके दावों की जांच के लिए अंदर भेजा गया. वे लोग सुबह 4 बजे तक तितर-बितर हो गए.”

उन्होंने बताया कि एक प्रदर्शनकारी को भीड़ को भड़काने पर हिरासत में लिया गया था, लेकिन शनिवार सुबह छोड़ दिया गया.

डीसीपी ने यह भी कहा कि कुछ लोग शुरू में गेट तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने रोका और कुछ प्रतिनिधियों को अंदर भेजा.

एमसीडी कमिश्नर अश्विनी कुमार से टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया है. उनका जवाब मिलने पर रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.

ABC हैंडबुक क्या कहती है

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत बनाए गए ABC नियमों में नसबंदी की एक बेहद सावधानीपूर्वक प्रक्रिया तय की गई है. ABC प्रोग्राम के तहत आवारा कुत्तों को उठाना, टैग करना, उनकी सटीक लोकेशन 311 ऐप में दर्ज करना जरूरी है. नसबंदी और ऑपरेशन के बाद रिकवरी पूरी होने पर कुत्तों को उनके असली इलाके में वापस छोड़ना होता है.

संशोधित ABC मॉड्यूल, यानी ABC हैंडबुक, इस साल फरवरी में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने जारी किया.

हैंडबुक के कुछ मुख्य नियम हैं—प्रोजेक्ट इंचार्ज को रोज़ाना अपडेटेड रिकॉर्ड रखना होगा जिसमें कुत्तों को पकड़ने की जानकारी (क्षेत्र, तारीख/समय, पकड़ने वाली टीम के सदस्य, कुत्तों का विवरण), छोड़े जाने की जानकारी (तारीख, समय, स्थान), मृत्यु रिकॉर्ड, प्रजनन अंगों की जांच का रिकॉर्ड और पिछले 30 दिनों की CCTV फुटेज शामिल होनी चाहिए.

एक ABC सेंटर में सर्जरी रूम, प्रिपरेशन रूम और रिकवरी रूम होना जरूरी है. ऑपरेशन थिएटर और प्रिपरेशन रूम एक-दूसरे से सटे होने चाहिए.

जब किसी कुत्ते को उठाया जाता है तो उसकी गर्दन में एक टैग डाला जाता है, जो एक पतली ग्रे प्लास्टिक कॉलर होती है. इस पर टैग नंबर लिखा होता है, जो कुत्ते के लिंग, उठाए जाने की जगह आदि की जानकारी से मेल खाता है.

दिप्रिंट से बात करते हुए आयेशा क्रिस्टीना बेन ने कहा कि स्टाफ का अंगों को बाल्टी में डालने वाला वीडियो शायद अंग गिनने की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है, जो हर ABC सेंटर में होता है. लेकिन उन्होंने अंगों को रखने के तरीके पर सवाल उठाया.

ABC हैंडबुक के मुताबिक, नसबंदी के बाद निकाले गए प्रजनन अंगों को 10 प्रतिशत फॉर्मेल्डिहाइड में स्टोर करना चाहिए और रिकॉर्ड के लिए गिना जाना चाहिए.

रोहिणी सेक्टर 27 ABC सेंटर के अंदर

यह सेंटर एक सुनसान सड़क पर, CNG पंप के पास बना है. सामने सड़क की ओर गेट खुलते हैं, और इमारत के चारों ओर खाली जमीन है जिस पर घास और झाड़ियां हैं.

सेंटर में ग्राउंड फ्लोर, दो मंज़िलें और एक टैरेस है. अंदर जाते ही एक बड़ा खाली हॉल है, जिसके दोनों ओर कमरे बने हैं. लाइट और पंखे या तो बंद थे या काम नहीं कर रहे थे.

हॉल के आखिर में बाईं ओर एक टाइलों वाला खाली कमरा था. बेन ने कहा कि यही वह कमरा है जहां नसबंदी सर्जरी होनी चाहिए—यह पूरी तरह टाइल्ड है ताकि डिसइंफेक्टेंट से साफ किया जा सके, जैसा हैंडबुक में बताया गया है.

लेकिन दो स्टील की सर्जरी टेबल पास के दूसरे कमरे में रखी थीं. एक टेबल पर कुछ सिरिंज रखे थे. किसी भी कमरे पर उनका उद्देश्य नहीं लिखा था.

सेंटर के गेट के ठीक सामने एक अंधेरा गलियारा था, जो उन दो कमरों की ओर जाता था जहां कुत्तों को केनेल्स में रखा गया था. कुछ केनेल्स में दो कुत्ते थे, कुछ में एक और कुछ में तीन. गेट पर एक बड़ा बर्तन रखा था, जिसमें कुत्तों का खाना पकाया जाता था.

ऊपरी दोनों मंज़िलें खाली थीं. कुछ कमरे स्टोरेज के लिए इस्तेमाल हो रहे थे.

‘गायब टैग, धमाके और चीखें’

दिल्ली एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य जेसुडॉस, जो देर शाम सेंटर में गए, ने कहा कि कई कुत्तों की गर्दन में टैग नहीं थे. “कुछ केनेल्स पर टैग बार्स पर लगे थे, तो कुछ पर नहीं. कई जगह केनेल टैग पर लिखी संख्या अंदर मौजूद कुत्तों से मेल नहीं खा रही थी. जैसे टैग पर 3 लिखा था लेकिन अंदर 2 कुत्ते थे.”

उन्होंने कहा कि ज़्यादातर खाने के बर्तन खाली या आधे भरे थे. “उन्होंने मुझे दवाइयां, फ्रिज या वह जगह नहीं दिखाई जहां सर्जरी उपकरण रखे जाते हैं.”

Two dogs on the left seen with no tags around their necks, and a third who did | By special arrangement
बाईं ओर दो कुत्ते बिना किसी टैग के दिखाई दे रहे हैं, और तीसरा जिसके गले में टैग है | विशेष व्यवस्था द्वारा

उन्होंने कहा, “मैंने एक छोटी खोपड़ी देखी जो कुत्ते की लग रही थी, सेंटर के सामने दाईं ओर.”

वहीं, दमकेवाला, जो रात 1-2 बजे के बीच अंदर गईं, ने कहा कि कई खाने के बर्तन भरे हुए थे और कुछ आधे खाए हुए थे. “हमें पता चला था कि कुछ कॉलेज छात्र पिछले तीन दिन से रोहिणी सेंटर आ रहे थे और अपने इलाके से उठाए गए कुत्तों को देखने की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था. शुक्रवार को जब हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घर जा रहे थे तभी खबर मिली कि यहां कुत्तों को पीटा जा रहा है, मारा जा रहा है और वॉलंटियर्स को मदद चाहिए.”

उन्होंने कहा, “मैंने कुछ स्थानीय लोगों से भी बात की, जो दूर से प्रदर्शन देख रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने अंदर से धमाके सुने और उसके बाद कुत्तों की चीखें.”

उन्होंने कहा, “मैं पहले भी शेल्टर में गई हूं, लेकिन यह जगह बहुत अजीब लगी. मैंने शराब की बोतल भी देखी. यहां कुछ तो संदिग्ध है.”

जब सेंटर के पास मिले कंकालों के बारे में पूछा गया तो रोहिणी सेंटर के डॉक्टर राजीव कुमार ने कहा कि लोग इस इलाके में भी कुत्ते फेंक जाते हैं. उन्होंने कहा कि सेंटर के अंदर कोई कुत्तों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा.

रोहिणी सेंटर के बाहर विरोध शनिवार सुबह तक चला. बेन ने कहा कि जब वह बाहर निकल रही थीं तो कुछ लोग उनकी कार के पास आकर “सबूत” मांग रहे थे.

सुबह तक प्रदर्शनकारी धीरे-धीरे तितर-बितर हुए, लेकिन अभी भी यह मांग कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुत्तों को छोड़ा जाए.

मृणालिनी ध्यानी से इनपुट्स

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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