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Friday, 26 April, 2024
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कौशल विकास का कमाल, चार दिशाओं में खिंच रहा है मंत्रालय

कुछ साल पहले पत्रकारों ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी से पूछा था कि आपका मंत्रालय कहां है. इस पर रूडी ने कहा था कि मैं भी वही खोज रहा हूं.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने 2015 में स्किल इंडिया का नारा बुलंद करते हुए कौशल मंत्रालय की स्थापना की थी. इस बार मंत्रालय का जिम्मा दो मंत्रियों को सौंपा गया है. महेंद्रनाथ पांडेय, जो यूपी के चंदौली से सांसद हैं और इससे पहले यूपी भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं. आरके सिंह, जो इससे पहले गृह सचिव थे और अभी ऊर्जा मंत्रालय समेत नवीन उर्जा मंत्रालय भी संभाल रहे हैं. लेकिन मंत्रालय खुद को नहीं संभाल पा रहा है. चार साल पूरे करने के बावजूद उसके पास खुद की बिल्डिंग नहीं है.

जब मंत्री ने कहा- मैं भी अपना मंत्रालय ही ढूंढ़ रहा हूं

गौरतलब है कि कुछ साल पहले पत्रकारों ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से पूछा था कि आपका मंत्रालय कहां है. तो इसपर रूडी ने मजाकिया लहजे में जवाब दिया था कि मैं भी वही खोज रहा हूं. अभी भी ये सवाल प्रासंगिक बना हुआ है क्योंकि पूछे जाने पर कुछ ऐसा ही जवाब मिलता है- ये यहां है और वो वहां है. मंत्रालय की बिल्डिंग के नाम पर चार अलग जगहों के नाम बता दिए जाते हैं.


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हालांकि, मार्च 2019 में मंत्रालय के भवन के निर्माण की नींव दिल्ली के चाणक्यपुरी में रखी गई है. मगर इस बात से अधिकारी खासे उत्साहित नहीं दिखते हैं. मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘एक बिल्डिंग को बनने में कितने साल लगेंगे. इस बात को बताने की जरूरत नहीं है. तब तक यहां से वहां और वहां से यहां फाइलें पहुंचाते रहो. कई बार हमें भी किसी अधिकारी को ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ जाती है क्योंकि मंत्रालय कई बार इधर से उधर हो चुका है.’

कितनी जगहों पर फैला है स्किल मंत्रालय?

मंत्रालय के दो दफ्तर सेंट्रल दिल्ली में हैं. कुछ अधिकारी श्रमशक्ति भवन में बैठते हैं तो कुछ अधिकारी पीटीआई बिल्डिंग में. पीटीआई बिल्डिंग में आने से पहले एक दफ्तर सीपी के शिवाजी स्टेडियम से चलाया जा रहा था. उसके बाद छह महीने के अंदर पूरे दफ्तर को उठाकर पीटाआई ले जाया गया. अप्रैल-मई में जाकर ये प्रक्रिया पूरी की गई. एक-एक वायर और डेस्क को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में अच्छा खासा लेबर भी लगा और काम भी प्रभावित हुआ.

इसके अलावा कुछ एजेंसी करोल बाग से चलाई जा रही हैं तो कुछ एजेंसी नोएडा से. जैसे एनएसडीसी (इम्पलिमेंटिंग एजेंसी) का दफ्तर दिल्ली एयरपोर्ट के पास (एरोसिटी) में है. पॉलिसी मेकिंग एजेंसी यानी कि एनएसडीए का दफ्तर करोल बाग में है. वहीं, उद्यमियों की ट्रेनिंग और सपोर्ट के लिए बनाई गई एजेंसी निसबड नोएडा में है.

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इसके अलावा डीजीटी (जो आईटीआई को मान्यता प्रदान करती है) का ऑफिस भी करोल बाग में है. पहले ये एजेंसी श्रमशक्ति भवन में हुआ करती थी जिसे बाद में करोल बाग शिफ्ट कर दिया गया.

मंत्रालय के दोनों मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय और आरके सिंह श्रमशक्ति भवन में बैठते हैं. कुछ सेक्रेटरी और ज्वॉइंट सेक्रेटरी भी श्रमशक्ति भवन में ही बैठते हैं. इसके अलावा एक ज्वॉइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर्स व अलग विंग्स के कर्मचारी पीटीआई बिल्डिंग में बैठते हैं. डीजीटी के डीजी राजेश अग्रवाल का दफ्तर करोल बाग में है.

कई बार सेक्रेटरी या ज्वॉइंट सेक्रेटरी से किसी बात के स्पष्टीकरण लिए एक सेक्शन के पूरे विभाग को एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग भागना पड़ जाता है. कई बार विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बीच अर्जेंट मीटिंग कराना भी संभव नहीं हो पाता है.  अलग-अलग जगहों पर बैठने की वजह से मीटिंग्स के लिए कई दिन पहले ही बताना पड़ता है.


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बिल्डिंग की नींव तो रख दी गई है, लेकिन बनने में सालों लग जाएंगे

जितनी ज्यादा बिल्डिंग्स, उतने ज्यादा श्रम की जरूरत पड़ती है. मंत्रालय में करीब 15-20 गाड़ियां भी लगी हुई हैं. जो कर्मचारियों को संसद तक पहुंचाने और अन्य कामों में इस्तेमाल की जाती हैं. एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, ‘जब तक सारे मंत्रालय की खुद की बिल्डिंग नहीं बन जाती है ऐसे ही काम करने की कोशिश की जाएगी. थोड़ी दिक्कत आती है लेकिन मैनेज करना पड़ रहा है.’

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