लखनऊ : दूसरे राज्यों से लौटे श्रमिकों को यूपी में ही रोजगार देने के ऐलान के बाद योगी सरकार उनकी स्किल मैपिंग में जुट गई है. इसके जरिए श्रमिकों के टैलेंट को पहचान कर उन्हें रोजगार देने का सरकार का प्रयास है. इस सिलसिले में अब तक यूपी सरकार की ओर से 23 लाख से अधिक श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम पूरा हो चुका है.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक 23 लाख में से लग़भग 18 लाख श्रमिक यूपी में ही काम करना चाहते हैं. सरकार द्वारा उन्हें एमएसएमई सेक्टर से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.
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18 लाख श्रमिक यूपी में ही चाहते हैं रोजगार
दिप्रिंट को मिले आंकड़ों के मुताबिक, अब तक सरकार की ओर से 23.5 लाख श्रमिकों की स्किल मैपिंग हुई है. उनको फोन करके उनके काम के बारे में पूछा गया है. इनमें से लगभग 18 लाख श्रमिकों ने सरकार की ओर से काम दिए जाने को लेकर इच्छा जताई है. सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 23.5 लाख लोगों में से 16.6 लाख लोग अकुशल श्रमिक (अनस्किल्ड लेबर) हैं जो मजदूरी छोड़कर वापस आए हैं. सरकार की ओर 94 कैटेगरियों में इनकी स्किल मैपिंग की गई है. ये आंकड़े 2 जून तक के हैं.
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इनमें 2.26 लाख निर्माण क्षेत्र के श्रमिक हैं. वहीं पेंटिंग, पीओपी वर्क से जुड़े लगभग 43 हजार श्रमिक हैं. फैक्ट्री के अतिरिक्त कार्य करने वाले लगभग 32 हजार श्रमिक हैं. इनके अलावा कारपेंटर 30,450, टेलर, स्टेचिंग, एम्ब्रॉइडरी- 21,365, ड्राइवर- 15,415,कृषि श्रमिक- 10,257, प्लंबर-10,047, कुक- 8,289, इलेक्ट्रीशियन-7,843, आया-चाइल्ड केयर टेकर- 6,736 फैक्ट्री वर्कर-5,892, कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल रिपेयर, नेटवर्किंग-5,363, सिक्योरिटी गार्ड- 5,311 हैं. वहीं इसके अलावा लगभग बाकि श्रमिक दूसरी अन्य कैटेगरी में हैं.
5 लाख से अधिक श्रमिक वापस लौटना चाहते हैं
आंकड़ो के मुताबिक लगभग 5 लाख श्रमिक यूपी में रोजगार के इच्छुक नहीं हैं. इनमें 4.5 लाख से अधिक अकुशल श्रमिक (अनस्किल्ड लेबर) हैं. सरकार से जड़े एक अधिकारी की मानें तो कई श्रमिकों को उन राज्यों से फोन आए हैं, जहां वे काम करते थे. उनकी फैक्ट्रियों व दुकानों के मालिकों ने फोन किए और उन्हें उनका बकाया पैसा वापस देने की बात कही है. ऐसे में माना जा रहा है कि ये श्रमिक स्थिति सामान्य होने पर अपने पुराने काम पर लौट सकते हैं. दक्षिण भारत व एनसीआर में जैसे-जैसे बाजार, फैक्ट्री, दुकानें खुल रही हैं और शहरों में यूपी के श्रमिकों की मांग बढ़ने लगी है.
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पिछले दिनों दिप्रिंट से बातचीत में यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि ‘स्किल मैपिंग’ का मुख्य लक्ष्य श्रमिकों की स्किल्स से संबंधित डेटाबेस तैयार करना है, जिसको ध्यान में रखते हुए उन्हें यूपी में ही रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.
सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक, एमएसएमई के जरिए लाखों नए रोजगार पैदा किए जा सकते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना है, जिसके जरिए जो भी हर जिले के मशहूर प्रोडक्ट को बढ़ावा देते हुए उसमें ही श्रमिकों को जोड़ा जा सकता है.
उदाहरण के तौर पर लखनऊ का चिकनकारी वर्क, कन्नौज का इत्र आदि से जुड़े जो काम हैं, उससे श्रमिकों को जोड़ा जा सकता है. कई दूसरे देशों की कंपनियों ने भी यूपी में एमएसएमई में निवेश करने की इच्छा जताई है. हमारा प्रयास उनके जरिए नए रोजगार क्रियेट करने का है.
दूसरे राज्यों के श्रमिकों के लौटने से भी क्रियेट हुए मौके
यूपी में कानपुर, गाजियाबाद समेत तमाम शहरों की फैक्ट्रियों में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ के हजारों की संख्या में श्रमिक काम करते रहे हैं. इनमें अधिकतर लॉकडाउन के दौरान अपने-अपने राज्य लौट चुके हैं. वे कब लौटेेंगे इसको लेकर असमंजस बरकरार है. ऐसे में फैक्ट्री मालिकों के सामने संकट खड़ा हुआ है. ऐसे में वह यूपी के ही मजदूरों को ढ़ूंढ़कर उन्हें अपने यहां काम देने में जुट गए हैं. सरकार के जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि उद्यमी व कारोबारी संगठनों के जरिये सरकार के संपर्क में हैं.
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बीते शुक्रवार को इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन, नरडेको, सीआईआई और यूपी सरकार के बीच एमओयू साइन किया गया. इस एमओयू से प्रदेश में 11 लाख 50 हजार श्रमिकों और कामगारों को फायदा मिलने की उम्मीद है.
एमओयू के मुताबिक रियल एस्टेट में 2.5 लाख, इंडस्ट्री एसोसिएशन में 5 लाख, लघु उद्योग में 2 लाख और सीआईआई में 2 लाख श्रमिकों और कामगारों को रोजगार मिलेगा. सरकार ने श्रमिकों और कामगारों को काम दिलाने के 4 एमओयू किए हैं. इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव में ही स्वरोजगार के लिए योगी सरकार ‘बाबा साहब आंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना 1.5 से 2 लाख तक का लोन देगी. ये लोन 35 से 50 प्रतिशत सब्सिडी पर दिया जाएगा. इस योजना के तहत 50 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जाति व जनजाति के होंगे. इस योजना के तहत सरकार का 50 करोड़ रुपए का प्रावधान है.