गुरुग्राम: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अफसर वाई. पुरन कुमार, जिन्होंने 7 अक्टूबर को कथित तौर पर आत्महत्या की, उनका शव अब भी चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) की मॉर्चरी में रखा हुआ है. परिवार का आरोप है कि पुलिस ने इसे परिवार की सहमति के बिना वहां शिफ्ट किया था.
परिवार का कहना है कि जब तक डीजीपी शत्रुजीत कपूर और अब तबादला किए जा चुके रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरणिया — जिन पर पुरन ने उत्पीड़न के आरोप लगाए थे को गिरफ्तार नहीं किया जाता, वे पोस्टमॉर्टम की अनुमति नहीं देंगे.
2001 बैच के आईपीएस अफसर और दलित परिवार से आने वाले पुरन कुमार ने आठ पन्नों का एक ‘फाइनल नोट’ छोड़ा था, जिसमें उन्होंने डीजीपी कपूर और बिजरणिया पर झूठे भ्रष्टाचार केस में फंसाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने 13 अन्य अधिकारियों पर भी उत्पीड़न, अपमान और जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए.
7 अक्टूबर को कथित आत्महत्या के बाद पुरन कुमार का शव पहले चंडीगढ़ सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल ले जाया गया. वहां से चंडीगढ़ पुलिस ने उसे कथित रूप से परिवार की सहमति के बिना PGIMER में शिफ्ट कर दिया. शव फिलहाल वहीं मॉर्चरी में रखा है.
परिवार को मनाने की ताज़ा कोशिश में राज्य के दो मंत्री — कृष्णलाल पंवार और कृष्ण बेदी (दोनों अनुसूचित जाति समुदाय से) — शनिवार को आईएएस अफसर अमनीत पी. कुमार के घर पहुंचे. 10 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज होने के बाद से यह सरकार की तीसरी कोशिश थी.
लेकिन परिवार ने एक बार फिर डीजीपी कपूर और बिजरणिया पर कार्रवाई की मांग दोहराई. रात करीब 11 बजे दोनों मंत्री बिना किसी समाधान के लौट गए.
हालांकि परिवार और सरकार, दोनों ने यह नहीं बताया कि मंत्रियों ने क्या पेशकश की, लेकिन एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रियों ने डीजीपी को 10 दिन की छुट्टी पर भेजने और इस दौरान एक कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया था.
सूत्र ने यह भी बताया कि अमनीत पी. कुमार की बड़ी बेटी को डीएसपी (डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस) की पोस्ट देने की पेशकश की गई, लेकिन परिवार ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया.
सूत्र ने कहा, “मृत आईपीएस अधिकारी के परिवार को डीएसपी की पोस्ट की पेशकश कोई नई बात नहीं है. यह हरियाणा सरकार की मुआवज़ा नीति (एक्स-ग्रेशिया पॉलिसी) का हिस्सा है और इस आधार पर हरियाणा पुलिस सेवा या हरियाणा सिविल सेवा में कई नियुक्तियों के उदाहरण हैं.”
शनिवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब चंडीगढ़ पुलिस ने सरकारी अस्पताल से शव को PGIMER शिफ्ट कर दिया — कथित तौर पर बिना परिवार की अनुमति के.
जब परिवार को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई और शव लेने से इनकार करने की चेतावनी दी. इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया. इसके बाद चंडीगढ़ डीजीपी सागर प्रीत हूडा ने सफाई दी कि परिवार की सहमति के बिना पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाएगा.
एक सूत्र ने बताया कि शुक्रवार रात हरियाणा गृह सचिव सुमिता मिश्रा से मुलाकात के दौरान शोक में डूबी अमनीत पी. कुमार ने कहा था कि उनकी बेटियां शनिवार सुबह सरकारी अस्पताल जाकर अपने पिता को अंतिम श्रद्धांजलि देंगी, जहां शव रखा था.
सूत्रों के मुताबिक, इसे ही परिवार की सहमति समझते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने शनिवार को शव को PGIMER शिफ्ट कर दिया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी.
कांग्रेस का दबाव, कैबिनेट बैठक टली
इस बीच विपक्ष के दबाव के बीच सोनिया गांधी ने वाई. पुरन कुमार की पत्नी को पत्र लिखा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 17 अक्टूबर को हरियाणा दौरे पर चर्चा के लिए शनिवार दोपहर 3 बजे कैबिनेट बैठक बुलाई गई थी, जिसके बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक और डिनर होना था, लेकिन बढ़ते विवाद के चलते कैबिनेट बैठक को 12 अक्टूबर तक टाल दिया गया.
परिवार करेगा महापंचायत
इसी बीच, वाई. पुरन कुमार का परिवार और दलित समुदाय के सदस्यों ने 31 सदस्यीय समिति बनाई है. समिति ने घोषणा की है कि जब तक डीजीपी कपूर और एसपी बिजरणिया को गिरफ्तार नहीं किया जाता, पोस्टमॉर्टम की अनुमति नहीं दी जाएगी.
रविवार को सेक्टर-20, चंडीगढ़ के गुरु रविदास गुरुद्वारे में महापंचायत आयोजित की जाएगी.
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